trendingNow/india/rajasthan/rajasthan11450931
Home >>nagaur

हरीश चौधरी, हनुमान बेनीवाल और दिव्या मदेरणा, कौन बनेगा मारवाड़ में जाटों का किंग ?

Rajasthan Politics : विधानसभा चुनाव 2023 से पहले राजस्थान में जाट मतदाताओं का लीडर बनने की होड़ में गोविंद सिंह डोटासरा, सतीश पूनिया के अलावा हरीश चौधरी, हनुमान बेनीवाल और दिव्या मदेरणा जैसे नेताओं का नाम भी है जो मारवाड़ में जाट वोटर को अपने पाले में लेने में जुटे है.

Advertisement
hanuman beniwal harish choudhary divya maderna
Stop
Hinglaj Dan|Updated: Nov 21, 2022, 12:44 PM IST

Rajasthan Politics : राजस्थान की सियासत विधानसभा चुनाव 2023 से पहले एक बार फिर से जाट वोट बैंक पर केंद्रित हो गई है. लेकिन इस बार लड़ाई बीजेपी या कांग्रेस के बीच नहीं है. इस बार लड़ाई जाट समाज के भीतर ही समाज का नेता बनने की है. कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया दोनों जाट समाज से ताल्लुक रखते है. लेकिन सूबे की सियासत के केंद्र में इस बार तीन दूसरे चेहरे है. 

1. पंजाब कांग्रेस प्रभारी, पूर्व मंत्री और बायतू विधायक हरीश चौधरी
2. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल
3. कांग्रेस की युवा नेत्री और ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 से ठीक पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरे हनुमान बेनीवाल 3 विधानसभा सीटें जीतने में कामयाब हुए थे. और तेजी से जाट लीडर के तौर पर उभरे. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले बीजेपी आलाकमान ने भी जाट वोटर को साधने के लिए हनुमान बेनीवाल से हाथ मिलाया. फायदा दोनों को हुआ. बीजेपी को जाट वोटर मिला तो हनुमान बेनीवाल भी बीजेपी की मदद से लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्रीय राजनीति में प्रवेश करने में कामयाब रहे. 

राज्य में कांग्रेस सरकार थी. लिहाजा हनुमान बेनीवाल का काट निकालने की कोशिशें शुरु हुई. इसी सिलसिले में तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को नागौर जिले का प्रभारी मंत्री बनाया गया. ये साफ संदेश था कि हरीश चौधरी को बतौर जाट लीडर नागौर का प्रभारी मंत्री बनाना और साथ ही नागौर के नावां से आने वाले विधायक महेंद्र चौधरी को जोधपुर जिले का प्रभारी मंत्री बनाकर हनुमान बेनीवाल के प्रभाव वाले क्षेत्र में उनको कमजोर करने की कोशिश हुई. उधर वक्त के साथ बेनीवाल का बीजेपी से गठबंधन टूटा तो कांग्रेस ने काफी हद तक राहत ली

बाड़मेर में हनुमान बेनीवाल और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के काफिले पर हमला हुआ तब भी दोनों नेताओं के निशाने पर हरीश चौधरी रहे. हनुमान बेनीवाल ने तो सीधे तौर पर आरोप लगा दिए थे कि हरीश चौधरी का ही इसके पीछे हाथ है. जाट लीडर बनने की इस लड़ाई में वक्त के साथ ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा की एंट्री भी हुई. हनुमान बेनीवाल ने दिव्या मदेरणा के विधानसभा क्षेत्र ओसियां में पंचायती राज के चुनावों में घुसपैठ की कोशिश की. तो दिव्या मदेरणा इसके जवाब में खींवसर के दौरे कर वहां का सियासी तापमान मापने लगी.

ये भी पढ़ें- नए साल में केंद्रीय कर्मचारियों की जेब हो जाएगी भयंकर भारी, मिलने वाला है बड़ा तोहफा

हाल ही में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर जहां हरीश चौधरी खुद को प्रदेश में ओबीसी लीडर के तौर पर स्थापित करने में लगे है. जिसमें मूल रुप से जाट वोटर निशाने पर है. तो वहीं ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा भी एक तरफ जहां पार्टी के मुद्दों पर आलाकमान के साथ खड़े होकर प्रदेश स्तर के कई नेताओं से सीधी टक्कर ले रही है तो वहीं ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर भी खुलकर समर्थन दे रही है. जिससे जाट समाज में उनकी छवि तेज तर्रार युवा नेता के तौर पर बन रही है.

ये भी पढ़ें-  गजेंद्र सिंह शेखावत का ट्वीट वायरल, यमराज-चित्रगुप्त की बातचीत के जरिए अरविंद केजरीवाल पर तंज

दिव्या मदेरणा हाल ही में राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल हुई थी. मदेरणा ने सुरक्षा घेरे डी में जाकर कुछ दूरी राहुल गांधी के साथ तय की थी. इस दौरान राहुल गांधी के साथ उनकी बॉन्डिंग कई दूसरे नेताओं के लिए चिंता का विषय जरुर बनी थी. दूसरी तरफ हरीश चौधरी ओबीसी आरक्षण के मुद्दे के जरिए खुद को प्रदेश स्तर पर जाट नेता के रुप में स्थापित करने में लगे है. तो वहीं सरदारशहर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में बीजेपी कांग्रेस से इत्तर जाट उम्मीदवार उतारकर हनुमान बेनीवाल ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की बिसात बिछानी शुरु कर दी है. ऐसे में देखना होगा कि जाट लीडर बनने की इस लड़ाई में किस नेता का दांव मजबूत हो पाता है.

Read More
{}{}