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इटावा: चूल्हा छोड़ खाद के लिए लाइन में लगी महिलाएं, बोली- खेती ही नहीं बचेगी तो क्या करेंगे

Itawa, Kota News: यूरिया खाद की कमी के चलते किसानों को परेशान होना पड़ रहा है, खाद की कमी के चलते किसान सरसों की फसल में पानी नहीं दे पा रहे है, जिसके चलते फसले खराब तक होने लगी है, जिसके चलते अब यूरिया की कमी और नेताओं के आश्वसनों के आगे किसान बेबस और निराश दिख रहे है.  

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इटावा: चूल्हा छोड़ खाद के लिए लाइन में लगी महिलाएं, बोली- खेती ही नहीं बचेगी तो क्या करेंगे
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Himanshu Mittal|Updated: Nov 20, 2022, 04:54 PM IST

Itawa, Kota News: रबी की फसलों की बुवाई के समय पहले डीएपी खाद की कमी ने परेशान किया, अब यूरिया खाद के लिए किसानों को परेशान होना पड़ रहा है. किसान भूखे प्यासे कतारों में लगकर एक दो कट्टो का इंतजाम ही कर पाते है. क्षेत्र में यूरिया की कमी के चलते किसान सरसों की फसल में पानी नहीं दे पा रहे है, जिसके चलते फसले खराब तक होने लगी है, जिसके चलते अब यूरिया की कमी और नेताओं के आश्वसनों के आगे किसान बेबस और निराश दिख रहे है.

खाद के लिए किसानों की परीक्षा हो रही है, एक तरफ फसल को बचाने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है. वहीं दूसरी ओर खाद पाने के लिए भूखे प्यासे कतारों में लगने के बाद दो कट्टे ही मिल पाते है. इटावा मार्केंटिंग सहकारी में सुबह ही सैंकड़ो किसानों की लंबी कतारें लग जाती है, जब पता चलता है कि आज खाद नहीं आएगा तो निराश होकर लौट जाते है. इसके अलावा निजी डीलरों के यहां खाद आता है, तो बिजोलियो के माध्यम से महंगे दामों में बिक जाता है और किसान मायूस वापस अपने घर पहुंचता है.

इटावा क्रय-विक्रय सहकारी समिति तीन दिन बाद शुक्रवार को 1100 कट्टे यूरिया आए, जिनका वितरण किया गया. जैसे ही खाद आने की सूचना किसानों को मिली तो सैकड़ो किसानों की लंबी कतारें लग गई, इसके बाद पुलिस के पहरे में खाद का वितरण किया गया. 

इटावा क्रय-विक्रय सहकारी समिति के व्यवस्थापक सीताराम मीना ने बताया कि जैसे-जैसे खाद प्राप्त हो रहा है, वैसे ही सहकारी संस्थाओं और मार्केटिंग के माध्यम से वितरण किया जा रहा है. 1100 कट्टे यूरिया आया था, जिसमें प्रत्येक किसान को तीन-तीन कट्टे वितरित कर वितरण किया गया. वहीं क्षेत्र की ग्राम सेवा सहकारियों में भी खाद पहुंच रहा है, जिसका वितरण किया जा रहा है.

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इस समय खाद की कमी से हो रही फसल खराब होने से बचाने के लिए किसान ही नहीं महिलाएं भी जल्द सुबह ही कतारों में लग जाती है, जब उनसे पूछा कि चूल्हा चौका छोड़ लाइन में तो परिवार की जिम्मेदारी कौन सभाल रहा है, तो महिलाओं के जवाब थे कि खेती ही नहीं बचेगी तो परिवार क्या करेंगे, दो-चार दिन भूखे रह लेंगे, लेकिन खाद मिल जाए तो फसलों में समय पर पानी लग जाए. खाद लेने के लिए पुलिस के पहरे में किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं की भी लम्बी कतार खाद पाने की लाइनों में नजर आती है.

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