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Mahalaxmi Vrat : शुक्रवार को इस व्रत से मां लक्ष्मी होती है प्रसन्न, जानें पूजा विधि और कथा

Mahalakshmi Vrat katha : हिंदू धर्म में शुक्रवार (Friday)का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है. आज के दिन महालक्ष्मी व्रत(Mahalakshmi Vrat) किया जाता है. भक्त मनोकामना पूर्ति की इच्छा के साथ 16 शुक्रवार ये व्रत करते हैं और मां महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. महालक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा (Mythological Story)इस प्रकार है.

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बांसवाड़ा में महालक्ष्मी मंदिर
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Pragati Awasthi|Updated: Oct 12, 2023, 03:16 PM IST

Mythological Story : बहुत पुरानी बात है. एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था जो नियमित रूप से श्रीविष्णु की पूजा करता था. उसकी भक्ति से खुश होकर एक दिन भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए. भगवान विष्णु ने ब्राह्मण की इच्छा पूछी- ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में हो ऐसी कामना की. ये सुनकर प्रभु मुस्कुराएं और कहां की मैं तुम्हे एक सरल सा उपाय बताता हूं, जिससे तुम्हें लक्ष्मी की प्राप्ति होगी.

विष्णु जी ने कहा कि  गांव के मंदिर के सामने एक स्त्री रोज आती है और वहां पर उपले थापती है. तुम उसे अपने घर आने का निमंत्रण दो. वो स्त्री ही देवी लक्ष्मी है. उसके घर आते ही तुम्हारा घर खुशियों और धन धान्य से भरपूर हो जाएगा. अगले दिन सुबह 4 बजे ब्राह्मण मंदिर के सामने बैठा था. जब वो स्त्री उपले थामने आई तो ब्राह्मण ने उससे अपने घर आने की निवेदन किया. ब्राह्मण की बात सुनकर सामान्य स्त्री बनी मां लक्ष्मी समझ गयी की ये सभ श्रीविष्णु ने कहा होगा.

लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा कि तुम महालक्ष्मी व्रत करों, 16 दिन तक ये व्रत करना और फिर 16वें दिन रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने पर जो भी तुम्हारी इच्छा होगी पूरी होगी. लक्ष्मी जी के कहें अनुसार ब्राह्मण ने ये व्रत किया और देवी को उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके पुकारा. जिसके बाद से ब्राह्मण के घर पर कभी धन धान्य की कमी नहीं रही.
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तब से ये मान्यता है कि जो भी जातक पूरी श्रद्धा के साथ महालक्ष्मी व्रत करता है, उसके घर में महालक्ष्मी जी का वास होता है और कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती है. महालक्ष्मी व्रत हर शुक्रवार किया जा सकता है. लेकिन याद रहे पूजा सिर्फ मां लक्ष्मी की ही नहीं बल्कि भगवान विष्णु की भी करनी है.

इसके लिए एक चौकी पर गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाकर श्री यंत्र और मां महालक्ष्मी की तस्वीर को को स्थापित करें. फूल चढ़ाए. भोग लगायें. कथा पढ़े और ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा मंत्र का जप करे. इस प्रकार से की गयी पूजा से घर में धन धान्य की कभी कमी नहीं होती है.

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