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रूस और यूक्रेन युद्ध का असर, भारत में पंपों पर खत्म होने लगा पेट्रोल डीजल

Russia-Ukrainian War: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का असर अब भारत में भी देखने को मिल रहा है, जहां पेट्रोलियम मार्केट को लेकर बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है.

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पेट्रोलियम कंपनियों को दिए निर्देश
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Arun Harsh|Updated: Jun 13, 2022, 07:31 PM IST

Sardarpura: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का असर अब भारत में भी देखने को मिल रहा है, जहां पेट्रोलियम मार्केट को लेकर बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है.

भारत पेट्रोलियम कंपनी और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कंपनियों ने अपने तमाम पेट्रोल पंप मालिकों को निर्देश दे दिए हैं कि आने वाले दिनों में उन्हें पेट्रोल और विशेष तौर से डीजल पर नजर बनाकर रखनी होगी और जब उनका पेट्रोल पंप सूखा हो जाएगा, उसके बाद ही उन्हें सप्लाई दी जाएगी. दोनों कंपनियों ने पेट्रोल पंप मालिकों से बल्क में डीजल पेट्रोल नहीं देने रात 9:00 बजे के बाद पेट्रोल पंप बंद रखने और एडवांस पैसा जमा कराने के बाद ही पेट्रोल डीजल देने की बात कही है.

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लोगों को उधार में भी डीजल पेट्रोल देने से मना किया है दोनों कंपनियों के इस फरमान से यह पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर में बढ़ी हुई दरें जिसका असर अब कंपनियों पर पड़ रहा है और अब कंपनियां अपने घाटे को पूरा करने के लिए पेट्रोल पंप मालिकों को राशनिंग करने की चेतावनी दे रहा है. हालांकि केंद्र सरकार ने रसिया से क्रूड ऑयल खरीदने के लिए प्रयास किए थे, लेकिन जिस मात्रा में खपत हो रही है. उतना क्रूड ऑयल अभी भारत को नहीं मिल रहा है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बढ़े दामों की वजह से पेट्रोल पंप मालिक और लोग परेशान हो रहे हैं.

मानसून का सीजन आने वाला है, ऐसे में किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही है. पेट्रोल पंप मालिकों का मानना है कि अगर केंद्र और राज्य सरकार वैट की दरों में कमी करें तो शायद कुछ लोगों को और पेट्रोल पंप मालिकों को राहत मिल सके अन्यथा आने वाले दिनों में सरकार के पास सिर्फ एक ही विकल्प बचा है. वह है पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी करना.

वहीं पेट्रोल पंप मालिकों की अगर हालत देखी जाए तो 2018 से लेकर अभी तक कोई भी कमीशन नहीं बढ़ाया गया है. पुरानी दरों पर ही इन्हें कमीशन दिया जा रहा ,है जिसको लेकर भी पेट्रोल पंप मालिक काफी परेशान है और सरकारों से गुहार लगा रहे हैं कि उनका कमीशन भी बढ़ाया जाए. लेकिन सरकारें इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. वहीं डीजल-पेट्रोल की कमी के चलते आने वाले दिनों में भारत में भी पड़ोसी देशों जैसे हालत हो सकती है. ऐसे में सरकारों को समय रहते इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.

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