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फलोदी के ईशर बाग में 151 वैद पाठियों ने किया महारूद्राभिषेक, दिनभर गूंजे वैदिक मंत्रोच्चार

श्रावण मास मे जहां एक ओर भक्त भगवान शिव को जल चढ़ाकर अपनी मनोकामना पुर्ण होने की कामना करते हैं. 

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दिनभर गूंजे वैदिक मंत्रोच्चार
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Zee Rajasthan Web Team|Updated: Jul 24, 2022, 06:55 PM IST

Phalodi: राजस्थान के फलोदी ईशर बाग भैरव मंदिर परिसर स्थित शिव मंदिर में प्रधान आचार्य सुरेश बोहरा के सानिध्य में 151 वैद पाठियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महारूद्राभिषेक कर शिव लिंग पर दूध और जल के साथ अभिषेक किया गया. सार्वधिक वैद पाठियों द्वारा उच्चारित वैदिक मंत्रोच्चार का ये महारूद्राभिषेक राजस्थान का सबसे बड़ा महारूद्र माना जा रहा है.

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श्रावण मास मे जहां एक ओर भक्त भगवान शिव को जल चढ़ाकर अपनी मनोकामना पुर्ण होने की कामना करते हैं. वहीं छोटी काशी के नाम से प्रख्यात फलोदी के शिवालयों में पुरे श्रावण मास ऊंचे घौष के साथ वेद पाठी पंडितों द्वारा रूद्राष्टाध्याय का वाचन कर भगवान शिव की लिंग पर दूध और जल से जलाभिषेक किया जाता है. 

ऊंचे घौष के साथ रूद्राष्टाध्याय का वाचन राजस्थान प्रदेश ही नहीं समुचे देश मे भी अपनी एक अलग पहचान कायम किए हुए हैं. तब तो पुर्व प्रधानमंत्री स्व.चन्द्रशेखर पुर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपाई के साथ राजस्थान के पुर्व मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति स्व.भैरोसिंह शेखावत और पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान वसुन्धरा राजे भी फलोदी के ही वैद पाठी पंडितों को दिल्ली या जयपुर बुलवाकर भगवान शिव का अभिषेक करवाते हैं. 

श्रावण मास के दूसरे सप्ताह फलोदी स्थित ईश्वरबाग भैरूजी के मंदिर मे आचार्य सुरेश बोहरा के सानिध्य मे 151 वेद पाठियों द्वारा ऊंचे घौष के साथ रूद्राभिषेक का आयोजन किया गया. दिनभर चलनेवाले इस रूद्राभिषेक के दर्शन करने आनेवालो भक्तो का तांता लगा रहा चाहे वो राजनेता हो या फिर प्रशासनिक अधिकारी कोई भी दर्शन का लाभ लेने से अछुता नहीं रहा.

प्रदेश मे अकाल के वक्त शिव बरसाते है जल 
वेद पाठियों के उद्घघोष मे एक मंन्त्र है 'शिव दोय नैत्रवाला शिव पार्वतो प्यारा, शिव बरसो जल धारा शिव भुरी जटावाला' भक्तों के अटुट विश्वास के चलते भगवान शिव उनकी मनोकामना पुर्ण कर जल की बरसात करते हैं. आचार्य बोहरा ने बताया कि श्रवाण मास मे कईबार विश्वशांति की कामना को लेकर इस तरहा के आयोजन कर भगवान शिव को मनाया जाता है.

Reporter: Arun Harsh

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