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नमन: बर्फबारी में दबकर शहीद हुए रामप्रकाश प्रजापत,राजकीय सम्मान से दी गई अंतिम विदाई

Jodhpur News: जोधपुर के भोपालगढ़ के अरटीया कला गांव निवासी शहीद रामप्रकाश का गुरुवार को उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.   

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नमन: बर्फबारी में दबकर शहीद हुए रामप्रकाश प्रजापत,राजकीय सम्मान से दी गई अंतिम विदाई
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Zee Rajasthan Web Team|Updated: Jan 12, 2023, 07:20 PM IST

Jodhpur: जोधपुर जिले के भोपालगढ़ के अरटीया कला गांव निवासी शहीद रामप्रकाश का आज उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान मां और सेना के जवानों ने सलामी दी. अपने लाल को अंतिम विदाई देने के लिए सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी. जहां सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से सहित को अंतिम विदाई दी.

भोपालगढ के अरर्टिया कला गांव निवासी रामप्रकाश सियाचिन में तैनात थे. 5 जनवरी को बर्फबारी में दब गए थे. 8 घंटे बाद उन्हें निकाल कर सेना ने चंडीगढ़ आर्मी अस्पताल में भर्ती करवाया था. जहां इलाज के दौरान बुधवार सुबह अस्पताल में उनोहने  अंतिम सांस ली. पार्थिव देह आज  भोपालगढ़  से विशाल जुलूस के साथ शहीद के गांव अरटीया कला गांव पहुंची. जहां  सैंकड़ो  लोगों की मौजूदगी में जयकारों के साथ पैतृक गांव अरटिया कला में आज दोपहर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम  विदाई दी. 

इस दौरान गांव के साथ ही आस पास के दर्जनों गांवों के सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया साथ शहिद के सम्मान में बाजार भी बंद रखे. शहीद रामप्रकाश प्रजापत अमर रहे के नारों से आसमान गूंज उठा. अंतिम संस्कार में पाली सासंद पीपी चौधरी, पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़, पुर्व विधायक कमसा मेघवाल, प्रधान शांति राजेश जाखड़, एसडीएम ताराचंद वैकंट, देवरी आचार्य रमैयादास महाराज, भाजपा नेता किरण सुरेन्द्र डांगी, आर एल पी के जिला अध्यक्ष रामदीन सिगंड जिला परिषद सदस्य पपुराम डारा, सरपंच अनिता चौधरी सहित कई नेताओं ने पहुंचकर का श्रद्धा-सुमन अर्पित किए शहीद को नमन किया.  इस दौरान पुत्र सुभाष राहुल और पुत्री मोनिका ने उन्हें अंतिम विदाई दी. सैनिकों ने सैन्य सम्मान देकर सलामी दी, तो आकाश देशभक्ति के नारों से गूंज उठा. 

गौरतलब है कि सैनिक रामप्रकाश प्रजापत सियाचिन में तैनात थे. 5 जनवरी को बर्फबारी से बर्फ में फंस गए थे. आठ घंटे बाद सैनिकों ने निकालकर चंडीगढ़ आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 11 जनवरी को सुबह अंतिम सांस ली. चंडीगढ़ से देह रात्रि में भोपालगढ़ पहुंची. जहां से विशाल जुलूस के साथ से अरटीया कला ले जाया गया गांव का माहौल गनमीन हो गया. 

Reporter- Bhawani Bhati

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