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Lok Sabha Election 2024: 1984 के बाद से कांग्रेस कभी जीत नहीं पाई ये सीट, जानिए क्या है इस लोकसभा सीट का चुनावी गणित

Lok Sabha Election 2024: राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से एक सीट ऐसी भी है जहां 1984 के बाद से कांग्रेस कभी जीत नहीं पाई. जानिए क्या है इस लोकसभा सीट का चुनावी गणित.

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Nizam Kantaliya|Updated: Apr 21, 2024, 09:21 AM IST

Rajasthan Lok Sabha Election 2024: प्रदेश की झालावाड़ बारां लोकसभा सीट अस्तित्व में आने के बाद से ही बीजेपी के कब्जे में रही है. झालवाड़ा-बारां लोकसभा क्षेत्र प्रदेश की नहीं बल्कि देश की एक हाई प्रोफाइल सीट में मानी जाती है. यह संसदीय सीट वसुंधरा राजे परिवार का गृह क्षेत्र है. इस सीट पर पहले लगातार 5 बार राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सांसद रहीं और अब उनके बेटे दुष्यंत सिंह लगातार 4 बार से सांसद है, इस सीट पर 1984 के बाद से कांग्रेस कभी जीत ही नहीं पाई. हालांकि इस सीट का मिथक तोड़ने के लिए कांग्रेस भी ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है.

झालावाड़ की चार और बारां जिले की चार विधानसभा सीटों को मिलाकर बने इस लोकसभा क्षेत्र पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खास प्रभाव माना जाता है. कोटा से बारां में प्रवेश करते ही यहां पर कांग्रेस की उम्मीदवार उर्मिला जैन भाया के होर्डिंग्स और बीजेपी के होर्डिंग्स में पीएम मोदी के साथ दुष्यंत सिंह की फोटो वाले होर्डिंग्स नजर आते हैंयप्रदेश में अगर कहीं चुनावी माहौल सड़कों पर नजर आया तो वो बारा झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र हैं.

गहलोत सरकार में पूर्व मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाया वर्तमान में बारां की जिला प्रमुख हैं.दुष्यंतसिंह के सामने उर्मिला जैन का चुनाव प्रचार काफी चर्चा में हैं.पिछले दिनों यहां कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने भी मोर्चा संभाला है.दूसरी तरफ दुष्यंत सिंह के लिए वसुंधरा राजे ने कमान संभाल रखी हैं. जमीनी स्तर पर इस बार दुष्यंतसिंह के कुछ चुनौतियां जरूर हैं.उर्मिला जैन द्वारा क्षेत्र में किए जा रहे सेवा कार्यों के लिए सहानुभूति के साथ बारां का स्थानीय समर्थन भी मजबूत कर रहा है. इस लोकसभा की जनता की राय बंटी हुई है. झालावाड़ में दुष्यंतसिंह तो बारा में उर्मिला जैन के लिए लोगो की राय एक समान हैं.

झालावाड़-बारां लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां गुर्जरों का खासा प्रभाव है. गुर्जरों के बाद इस सीट पर एससी/एसटी आते हैं, जिनकी आबादी लगभग 35 फीसदी है, एससा/एसटी और गुर्जरों के अलावा इस सीट पर जैन और मुस्लिम वोट भी निर्णायक भूमिका अदा करते हैं.इस बार कांग्रेस जमीन पर बीजेपी को कड़ी चुनौती देने की कोशिश कर रही है,इसके लिए वो जैन, मुस्लिम और एससी एसटी की गोलबंदी करने की कोशिश कर रही हैं.

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