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मौत के बाद आपके पीपीएफ अकाउंट का क्या होगा ? कैसे आपके अपने कर सकते हैं क्लेम, जानें नियम

Public Provident Fund account : पब्लिक प्रोविडेंट फंड को एक बेहतरीन सेविंग इंस्ट्रूमेंट माना जाता है. लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट से इसमें बड़ा फंड तैयार करने की मदद भी मिलती है. अच्छे ब्याज के साथ पीपीएफ , ब्याज और मैच्योरिटी अमाउंट पूरी तरह टैक्स फ्री हैं. पीपीएफ का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल है. 

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मौत के बाद आपके पीपीएफ अकाउंट का क्या होगा ? कैसे आपके अपने कर सकते हैं क्लेम,  जानें नियम
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Zee Rajasthan Web Team|Updated: Jul 03, 2022, 12:50 PM IST

Public Provident Fund account : पीपीएफ पर अभी 7.1% की दर से ब्याज मिल रहा है. लेकिन, PPF अकाउंट से विड्रॉल के नियम थोड़े अलग हैं. अगर किसी निवेशक को खाता बंद करना हो तो उसके लिए अलग नियम हैं. लेकिन, अगर किसी अकाउंट होल्डर की मैच्योरिटी से पहले मौत हो जाए तो पीपीएफ अकाउंट का क्या होता है ? ये जानना जरूरी है.

अगर पीपीएफ अकाउंट की मैच्योरिटी से पहले अकाउंट होल्डर की मौत हो जाती है, तो उसका नॉमिनी पैसा निकाल सकता है. ऐसे हालात में अकाउंट को 5 साल पूरी होने की शर्त भी खारिज हो ही जाती है. अकाउंट होल्डर की मौत के बाद उसके पब्लिक प्रोविडेंट फंड अकाउंट को बंद कर दिया जाता है. नॉमिनी या फिर कानूनी रूप से उत्तराधिकारी को पैसा दे दिया जाता है. 

पीपीएफ अकाउंट होल्डर अपने, पति या पत्नी और बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने जैसी स्थिति में मैच्योरिटी से पहले पैसा निकाल भी सकता है. वहीं, खुद की पढ़ाई या बच्चों की उच्च शिक्षा के मामले में भी पीपीएफ अकाउंट से मैच्योरिटी से पहले पैसा निकाला जा सकता है. अकाउंट होल्डर के प्रवासी हो जाने पर खाते को मैच्योरिटी से पहले बंद किया जा सकता है. अकाउंट को ओपनिंग डेट से ठीक 5 साल पूरे होने के बाद बंद कराया जा सकता है. हालांकि, इस दौरान खाता खुलने की तारीख से 1% ब्याज की कटौती की जाएगी.

पीपीएफ अकाउंट को कोई भी भारतीय नागरिक खुलवा सकता है. इसके लिए उसे प्रूफ लगाना होगा. अकाउंट को नाबालिग के नाम पर भी खोला जा सकता है. पीपीएफ  पर ब्याज दर सरकार तय करती है और सरकारी स्कीम होने की वजह से सरकारी गारंटी भी मिलती है. ब्याज में बदलाव तिमाही आधार पर किया जाता है. फिलहाल, पीपीएफ  पर 7.1 फीसदी ब्याज मिल रहा है. हालांकि, ब्याज की गणना सालाना की जाती है. पीपीएफ  में 500 रुपए के निवेश से शुरुआत की जा सकती है और एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपए डालने की छूट है.

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