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Jaipur: जयपुर में शहीद स्मारक पर जुटे प्रदेशभर के शिक्षक, तबादलों की मांग को लेकर आंदोलन

 राजस्थान में पिछले चार सालों से तबादलों का इंतजार कर रहें तृतीय श्रेणी शिक्षक जयपुर के शहीद स्मारक पर जुटे और विशाल धरना दिया साथ ही आमरण अनशन की भी घोषणा की.

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शहीद स्मारक पर धरना प्रदर्शन करते शिक्षक
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Lalit Kumar|Updated: Oct 19, 2022, 05:36 PM IST

Jaipur: राजस्थान में पिछले चार सालों से तबादलों का इंतजार कर रहें तृतीय श्रेणी शिक्षकों के सब्र का बांध आखिरकार टूट गया है. आज से जहां सरकारी स्कूलों में दिवाली का अवकाश शुरू हुआ है तो वहीं अवकाश के बाद प्रदेशभर से बड़ी संख्या में तृतीय श्रेणी शिक्षक जयपुर के शहीद स्मारक पर जुटे और एक विशाल धरना दिया. इस दौरान शिक्षकों ने सरकार को खुली चेतावनी देते हुए अनिश्चितकालीन धरने के साथ ही आमरण अनशन की भी घोषणा की है.

गौरतलब है की पिछले 4 सालों में हर सरकारी विभाग के कार्मिकों को तबादलों की सौगात मिली है. शिक्षा विभाग में भी फर्स्ट ग्रेड, सैकेंड ग्रेड सहित अधिकारियों और कर्मचारियों को भी तबादलों की सौगात दी गई, लेकिन प्रदेश के करीब 1 लाख शिक्षक चार सालों से तबादलों का इंतजार ही करते रहे गए. प्रदेश के 20 जिलों के शिक्षकों को जहां तबादलों का इंतजार 4 सालों से है तो, वहीं डार्क जोन में लगे शिक्षकों को तबादलों का इंतजार पिछले करीब 10 से 15 सालों से है.

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि शिक्षा विभाग में हर वर्ग के तबादला आदेश जारी हुए हैं, लेकिन तृतीय श्रेणी शिक्षकों को अभी तक तबादलों की सौगात नहीं मिली है. अगर जल्द ही सरकार की ओर से तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं किए गए तो, आने वाले समय में और भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

राजस्थान शिक्षक संघ एकीकृत के अध्यक्ष गिरिराज शर्मा ने बताया कि पिछले चार सालों से तृतीय श्रेणी शिक्षक तबादलों का इंतजार कर रहे हैं. इसके साथ ही डार्क जोन में लगे शिक्षकों को 10 से 15 सालों का समय हो चुका है,लेकिन इनको तबादलों का लाभ नहीं मिला है. सालभर पहले तृतीय श्रेणी शिक्षकों से तबादलों के लिए आवेदन लिए थे, लेकिन आज तक सूची जारी नहीं हुई है. अब जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

पिछले 16 सालों से बाड़मेर में लगी सीकर की रहने वाली शिक्षिका ममता आंखों में आंसू लिए कहती हैं कि "बच्चे कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला 16 सालों से बाड़मेर में अपनी सेवाएं दे रही हूं, कभी दो महीने तो कभी तीन महीने में घर जाने का मौका मिलता है. बच्चे शादी वाले हो गए हैं, लेकिन कभी उनके साथ वक्त तक नहीं बिताया इसलिए सरकार से गुहार है कि अब तो हमारी पीड़ा सुने और तबादलों की सौगात दें.

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