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Rajasthan: चुनावों की आड़ में फर्मों को बचाने की कोशिश, PHED ने भ्रष्टाचार की जांच पर लगाया ताला!

Rajasthan News:  राजस्थान में चुनावों के बीच जलदाय विभाग में आचार संहिता में काम बंद हो गए है, जिसके चलते करोड़ों का फर्जीवाड़ा करने वाली फर्मों की जांच अटकी पड़ी है. 

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Rajasthan: चुनावों की आड़ में फर्मों को बचाने की कोशिश, PHED ने भ्रष्टाचार की जांच पर लगाया ताला!
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Ashish Chauhan|Updated: Oct 30, 2023, 08:02 PM IST

Jaipur News: राजस्थान में चुनावी रणभेरी का आज से आगाज हो गया है, लेकिन दूसरी तरफ जलदाय विभाग में आचार संहिता में काम बंद हो गए है. दो महीने से करोड़ों का फर्जीवाड़ा करने वाली फर्मों की जांच कार्रवाई अटकी पड़ी है. आखिर इंजीनियरों की मिलीभगत से फर्मों पर क्यों नहीं गिर पा रही गाज? 

ब्लैक लिस्टेड की कार्रवाई क्यों नहीं?
मरुधरा में चुनावों का शंखनाद शुरू हो गया है, चुनावी आड़ में जलदाय विभाग में काम थम गए है, क्योंकि चुनावी मौसम के बीच पीएचईडी ने कार्रवाईयां और जांच पर रोक लगा दी है. चुनावी रणभेरी के बीच फर्मों की जांच से लेकर कार्रवाईयों पर ब्रेक लग गया है. दो महीने पहले जिस फर्म के फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र की शिकायत हुई, अब उसी फर्म को जलदाय विभाग लगातार बचाने की कोशिश में जुटा है.

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फर्जी रजिस्ट्रेशन, प्रमाण पत्र की जांच भी अटकी 

केस1-बजरंगबली फर्म 
बाड़मेर में रेतीली जमीन पर 400 ट्यूबवेल खोदने के लिए 31.28 करोड़ काम देने की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसमें फर्म बजरंगबली कॉन्ट्रैक्ट की शिकायत हुई थी. टेंडर में एक वित्तीय वर्ष में फर्म को 10 करोड़ 42 लाख के रेतीली धरातल पर रोटरी मशीन से ट्यूबवेल खोदने का अनुभव जरुरी था, लेकिन बजरंगबली फर्म ने टेंडर में जो अनुभव प्रमाण पत्र लगाए हैं, वो कॉम्बिनेशन स्ट्रेटा के थे, यानी रेतीले और पथरीले धरातल दोनों का अनुभव था. जबकि टेंडर शर्त के तहत फर्म को 10 करोड़ 42 लाख के रेतीले धरातल पर काम अनुभव जरूरी है, लेकिन इसके बावजूद अतिरिक्त मुख्य अभियंता जोधपुर सैकंड ने सभी नियमों का ताक पर रखते हुए मिलीभगत कर फर्म को टेंडर दे दिए. फर्म को ब्लैक लिस्टेड करने की बजाय बचाने की कोशिश की जा रही है. 

केस 2- मैसर्स बीएसआर फर्म
पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल से डबल ए क्लास बीएसआर फर्म की शिकायत की गई थी, जिसमें प्राइवेट कंपनी साउथ वेस्ट पीनाकल के अनुभव पत्र से फर्जी पत्र लेने का जिक्र किया. नियमों के तहत सरकारी विभाग से काम का अनुभव जरूरी है. पीएचईडी में कंस्ट्रक्शन के साथ कमीश्निंग की एक्सपीरियंस आवश्यक है. इसकी जांच मुख्य अभियंता आरके मीणा कर रहे थे, लेकिन अब तक जांच रिपोर्ट ही सरकार को नहीं भेजी. जब इसकी जांच रिपोर्ट के बारे में पूछा तो उल्टा बोलने लगे कि रजिस्ट्रेशन की रिपोर्ट तो चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता से ले. केडी गुप्ता कहते है कि जांच मैने सभी दस्तावेज आरके मीणा को दिए है यानि फर्म को बचाने की कोशिश की जा रही है.

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केस-3 मैसर्स मांगीलाल विश्नोई फर्म
मैसर्स मांगीलाल विश्नोई के खिलाफ शिकायत थी कि कुछ रिंग मशीनों का 2014 में ही रजिस्ट्रेशन वैधता समाप्त हो गई.10 साल से ट्यूबवेल खोदने का काम चल रहा है. शिकायत के एक महीने बाद भी अब तक जांच पूरी नहीं हुई. जल जीवन मिशन चीफ इंजीनियर आरके मीणा ने जांच रिपोर्ट ही नहीं सौंपी, जिसको लेकर आरके मीणा को नोटिस भी दिया गया है. वैसे जब ज़ी मीडिया ने चीफ इंजीनियर से जांचों पर सवाल पूछा था, तो इन तीनों फर्मों के मालिक एक साथ उनके दफ्तर में गुफ्तगू कर रहे थे.

अब सवाल ये है कि आचार संहिता में जलदाय विभाग ने कार्रवाईयां क्यों बंद कर दी, क्या फर्मों को चुनाव की आड में बचाने की कोशिश तो नहीं?

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