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Rajasthan News : दिव्या मदेरणा को राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन के समर्थन के क्या मायने ?

Rajasthan News : राजस्थान में सियासी खींचतान के बीच जोधपुर के ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा ( Divya Maderna ) ने 25 साल पुराने सियासी हालातों पर ट्वीट किया. जिसे कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ( Ajay Maken ) ने रीट्वीट किया. तो वो अशोक गहलोत और सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) खेमों के बीच चर्चा का विषय बन गया.

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Rajasthan News : दिव्या मदेरणा को राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन के समर्थन के क्या मायने ?
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Hinglaj Dan|Updated: Oct 05, 2022, 08:03 PM IST

Rajasthan News : राजस्थान कांग्रेस इन दिनों ऐसे दौर से गुजर रही है. जहां सब कुछ आलाकमान के फैसले पर टिका है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) गुटों के बीच की खींचतान और जयपुर ( Jaipur ) में 25 सितंबर को हुए ड्रामे के बाद पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है. जब कांग्रेस के कई विधायक खुलकर प्रदेश के दोनों गुटों से किनारा कर खुद को पार्टी के साथ खड़ा कर रहे है. इन मुखर चेहरों में राजेंद्र सिंह गुढ़ा और दिव्या मदेरणा ( Divya Maderna ) के नाम शामिल है.

दिव्या मदेरणा को अजय माकन का समर्थन

जयपुर में अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) कैंप के शक्ति प्रदर्शन के बाद से दिव्या मदेरणा लगातार पार्टी के प्रति समर्पण और निष्ठा की बात कर रही है. अशोक गहलोत के करीबी शांति धारीवाल और महेश जोशी को गद्दार बता रही है. हाल ही में दिव्या मदेरणा ने उनके दादा और दिवंगत नेता परसराम मदेरणा के एक बयान का जिक्र करते हुए ट्वीट किया था. अपने ट्वीट में लिखा- आप चुप क्यों हैं ? मैं इसलिए नहीं बोल रहा हूं क्योंकि मैं कांग्रेस का अनुशासित सिपाही हूं : परसराम मदेरणा ( Dec 1998) 

दरअसल राजस्थान में 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में परसराम मदेरणा भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे. चुनाव परिणाम आए तो कांग्रेस को 200 में से 153 सीटें जीतने में कामयाब रही. उस समय कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक गहलोत थे. चुनाव के बाद आलाकमान ने अपने पर्यवेक्षक भेजकर अशोक गहलोत के नाम पर मुहर लगवाई. लेकिन बावजूद इसके परसराम मदेरणा ने पार्टी और संगठन के प्रति निष्ठा जताई और पार्टी लाइन को ही फॉलो किया. 

राजस्थान में 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में हरीदेव जोशी मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार थे. चूंकि राजनीतिक गलियारों में माना जाता है कि 1988 में राजीव गांधी दौरे के समय सरिस्का में हुए कांस्टेबल प्रकरण के बाद हरीदेव जोशी को मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी. लेकिन राजनीतिक गलियारों में ये माना जाता था कि अशोक गहलोत के कहने पर ही उस कांस्टेबल ने राजीव गांधी की गाड़ी को दांए मुड़ने का इशारा किया था. हरीदेव जोशी ने पर्यवेक्षकों द्वारा बुलाई गई बैठक में गुस्से में आते हुए कहा था. कि जब सब कुछ तय हो ही गया है तो इन बैठकों का क्या मतलब है. तब के पर्यवेक्षक दिग्विजय सिंह ने हरीदेव जोशी को जवाब दिया- कि जिसने संघर्ष कर 8 सालों के बीजेपी शासन का अंत किया है. उसे उसका हक तो मिलना चाहिए.

हरीदेव जोशी ने तो तल्खी भी दिखाई. लेकिन मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में शामिल परसराम मदेरणा ने आलाकमान के फैसले के विरोध में कोई बयान तक नहीं दिया. जब उनसे कुछ मीडिया वालों ने बार बार पूछा कि आपने चुप्पी क्यों साध रखी है. तो परसराम मदेरणा ने जवाब दिया "चुप हूं क्योंकि कांग्रेस का अनुशासित सिपाही हूं"

दिव्या मदेरणा ( Divya Maderna ) ने उस वक्त के अखबारों की कटिंग को ट्वीटर पर शेयर करते हुए परसराम मदेरणा के उस बयान का जिक्र किया. तो राजस्थान ( Rajasthan ) कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने उसे रीट्वीट भी किया. अजय माकन का दिव्या मदेरणा के बयान को समर्थन जयपुर ( Jaipur ) के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. असल में अजय माकन ( Ajay Maken ) ने इस रीट्वीट से ये संदेश देने कि कोशिश की है कि कोई भी विधायक या पार्टी का नेता आलाकमान के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकता है. पार्टी में अनुशासन सबसे जरुरी है.

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