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Rajasthan : साल 2016 ममता कार्ड के अभाव में नवजात बच्चे की हो गई थी मौत, अब कोर्ट ने दिए ये बड़े आदेश

Rajasthan Highcourt : याचिका में कहा गया की 7 अप्रैल, 2016 को वह डिलीवरी के लिए खेडकी सीएचसी गई थी. जहां उसे ममता कार्ड के अभाव में इलाज से मना कर दिया. इसके बाद सीएचसी के बाहर बीच रोड उसने जुडवां बच्चों को जन्म दिया. रास्ते में उसके एक बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गई. वहीं बाद में अस्पताल में दूसरे बच्चे की भी मौत हो गई. अदालत ने संयुक्त उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने को कहा है.

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Rajasthan : साल 2016 ममता कार्ड के अभाव में नवजात बच्चे की हो गई थी मौत, अब कोर्ट ने दिए ये बड़े आदेश
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Mahesh Pareek|Updated: Feb 21, 2024, 10:56 PM IST

Rajasthan Highcourt News: राजस्थान हाईकोर्ट ने गर्भवती और प्रसुताओं के केन्द्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं होने के बाद भी इनका लाभ नहीं मिलने को गंभीर माना है.

इसके साथ ही अदालत ने इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और इनमें संशोधन के लिए परिवार कल्याण मंत्रालय और राज्य सरकार के मुख्य सचिव को संयुक्त उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने को कहा है.

अदालत ने कहा कि प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को शामिल कर बनाई जाने वाली यह कमेटी योजनाओं के क्रियान्वयन पर निगरानी भी रखेगी. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के सडक़ पर हुए प्रसव के बाद दोनों नवजतों की मौत हृदय विदारक घटना है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश फूलवती की याचिका दिए.

अदालत ने कहा कि गर्भवती महिलाओं की तुरंत सहायता के लिए मोबाइल एप बनाया जाए और डिलीवरी के बाद देखभाल के लिए प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ नियुक्त किया जाए. वहीं स्वास्थ्य केन्द्रों में गर्भवती महिलाओं की लॉग बुक रखी जाए, जिसमें सभी योजनाओं की जानकारी हो. इसके अलावा महिलाओं को योजनाओं का पूरा लाभ मिलना सुनिश्चित किया जाए.

अदालत ने माना की अभी इन महिलाओं को दी जाने वाली आर्थिक सहायता कम है. इसलिए राज्य सरकार इस संबंध में नीतिगत निर्णय ले. अदालत ने मामले में घटना के लिए जिम्मेदार अफसरों पर विभागीय जांच के आदेश देते हुए याचिकाकर्ता का चार लाभ रुपए का मुआवजा व खर्च हुए 25 हजार रुपए का पुनर्भरण करने को कहा है.

याचिका में कहा गया की 7 अप्रैल, 2016 को वह डिलीवरी के लिए खेडकी सीएचसी गई थी. जहां उसे ममता कार्ड के अभाव में इलाज से मना कर दिया। इसके बाद सीएचसी के बाहर बीच रोड उसने जुडवां बच्चों को जन्म दिया. इस पर सीएचसी के चिकित्साकर्मियों ने उसे भरतपुर के जनाना अस्पताल भेज दिया.

रास्ते में उसके एक बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गई. वहीं बाद में अस्पताल में दूसरे बच्चे की भी मौत हो गई. याचिका में कहा गया की केन्द्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं हैं, लेकिन उसका लाभ नहीं मिल रहा है.

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