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देश में अब पहली बार मेडिकल की पढ़ाई भी हिंदी में होगी, हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल ने तैयार की MBBS की तीन किताबें

Atal Bihari Vajpayee Hindi University Bhopal : अब गांव गरीब के लड़के भी हिंदी पढ़ के डॉक्टर्स (MBBS) बन सकेंगे. हिंदी डॉक्टर बनने में बाधा नहीं अब माध्यम बनेगी. अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय ने इस पहल की शुरुआत कई सालों पहले की थी. अब एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के तीन विषय Anatomy, Physiology and Bio-Chemistry का पाठ्यक्रम हिंदी में तैयार कर लिया गया है.  

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फाइल फोटो.
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Tarun Chaturevedi|Updated: Oct 15, 2022, 04:29 PM IST

Medical studies will be Hindi in Hindi University Bhopal: अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय (Atal Bihari Vajpayee Hindi University) ने एक बार फिर से देशभर की शैक्षणिक संस्थाओं का ध्यान आकर्षित किया है. हालांकि इस विश्वविद्यालय ने पहले ही हिंदी में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने की घोषणा की थी. पर कई तरह की चुनौतियों के बीच यह कार्य शुरू नहीं हो सका था. लेकिन ये इच्छा थी कि हिंदी में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हो. आज वो इच्छा भी पूरी होते दिख रही है, जब एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के तीन विषय Anatomy, Physiology और  Bio-Chemistry का पाठ्यक्रम हिंदी में तैयार कर लिया गया.

इस पहल के बाद अब गांव-गरीब और हिंदी बैकग्राउंड के छात्र भी सरलता से डॉक्टर्स बन सकेंगे. राजस्थान के जिन स्टूडेंट्स का डॉक्टर बनने का सपना अंग्रेजी न आने कि वजह से अधूरा रह गया है, हिंदी में MBBS के पाठक्रम आने के बाद उनके सपने भी अब पूरे हो सकेंगे. 

जानें किसने दिया था ये सुझाव
भारत के जानें-मानें लेखक वेद प्रताप वैदिक मैनेट भोपाल के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 2019 में आए थे. हिंदी के विस्तार पर पत्रकारों ने जब हिंदी शिक्षा के विषय पर संवाद करते हुए हिंदी विश्वविद्यालय को लेकर सवाल पूछा था. वैदिक पत्रकारों से बात करते हुए कहते हैं कि हिंदी में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हो इसके लिए मैंने सालों पहले सीएम शिवराज सिंह को सुझाव दिया था, लेकिन आज हिंदी विश्वविद्यालय के हालात देखरक मन दुखी हो रहा है.

मेरा मानना है कि दुनिया के कई देश अपनी भाषा में शिक्षा दे रहे हैं तो क्यों न हम भी अपने देश में भी हिंदी भाषा में ये शिक्षा दें. मतलब साफ है वेद प्रताप वैदिक के सुझाव पर मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस दिशा में काम किया. इसकी जिम्मेदारी अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल को दी गई. क्योंकि अटल जी एक राष्टवादी हिंदी प्रेमी जननेता थे.

इसलिए इस पूरे प्रोजेक्ट को मंदार नाम दिया गया
मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि मप्र के मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर और हिन्दी के जानकारों ने MBBS फर्स्ट ईयर की किताबों का हिंदी अनुवाद तैयार किया है. इस पूरे प्रोजेक्ट को मंदार नाम दिया गया है. मंदार नाम रखने के पीछे ये विचार था कि जिस प्रकार समुद्र मंथन में मंदार पर्वत के सहारे अमृत निकाला गया था. 

अमित शाह इन किताबों का विमोचन करेंगे
उसी प्रकार से अंग्रेजी की किताबों का हिंदी में अनुवाद किया गया है, मंत्री ने बताया, मंदार में शामिल डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने विचार मंथन करके किताबें तैयार की हैं. मंत्री सारंग ने कहा मुझे खुशी है कि दुनिया के उन देशों में अब भारत भी शामिल हो गया है, जो अपनी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई कराते हैं. खास बात यह है कि 16 अक्टूबर को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इन किताबों का विमोचन करेंगे. इस कार्यक्रम को लेकर भोपाल में तैयारियां जोरों पर है.

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