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महापौर उप चुनाव: रश्मि सैनी को प्रत्याशी बनाने से BJP में फूट, दाव पर विधायकों की साख

Mayor by election: जयपुर नगर निगम महापौर का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर आ गया है. भाजपा की ओर से रश्मि सैनी को महापौर का प्रत्याशी बनाने के बाद भाजपा अलग-अलग धड़ो में बंटी नजर आ रही है.

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महापौर उप चुनाव: रश्मि सैनी को प्रत्याशी बनाने से BJP में फूट, दाव पर विधायकों की साख
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Deepak Goyal|Updated: Nov 06, 2022, 05:32 PM IST

Jaipur:  जयपुर नगर निगम महापौर का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर आ गया है. भाजपा और कांग्रेस पार्षदों की अलग-अलग जगह पर बाड़ेबंदी की गई है. भले ही कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन बीजेपी में चल रही अंतर्कलह के बीच भाजपा में गढ़ में सेंध लगाने की रणनीति बना रही है.

उधर भाजपा की ओर से रश्मि सैनी को महापौर का प्रत्याशी बनाने के बाद भाजपा अलग-अलग धड़ो में बंटी नजर आ रही है. इस तरह रश्मि भाजपा के रथ पर सवार हैं और कांग्रेस की हेमा सिंघानिया को क्रॉस वोटिंग और बगावत से सिंहासन की आस है.

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क्रॉस वोटिंग रोकने को पार्षदों से बात कर रहे विधायक 

जयपुर नगर निगम ग्रेटर महापौर का मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे चुनाव दिलचस्प भी बनता जा रहा है. दोनों ही पार्टियों को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है. कांग्रेस के पास इस चुनाव में खोने को कुछ नहीं है, लेकिन भाजपा में जयपुर नगर निगम ग्रेटर में मेयर कैंडिडेट के सलेक्शन के बाद अब भाजपा के 3 वर्तमान और 2 पूर्व विधायकों की साख दाव पर लग गई है.

वसुंधरा गुट के विधायक और विधायक प्रत्याशी रहे अब क्रॉस वोटिंग रोकने के लिए विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आए पार्टी के सभी पार्षदों से सीधे संवाद कर नाराज पार्षदों को मनाने में जुट गए, और बाड़ाबंदी में पहुंचकर पार्षदों को ग्रेटर निगम में क्वीन का ताज बचाने के लिए 10 नवंबर को होने वाले मत के दान में पूरी आस्था और निष्ठा दिखाने के संस्कार दे रहे है. 

जानकारों की मानें तो बीजेपी के लिए सबसे बड़ी टेंशन का कारण सभी पार्षदों का बाड़ेबंदी में अब तक नहीं पहुंचना है. अभी भाजपा के ही 85 पार्षद हैं, जबकि 8 निर्दलीय उनके सपोर्ट में हैं. इन सभी 93 में से केवल 54 ही पार्षद चौंमू पैलेस में मौजूद हैं. वहीं, पार्टी के पदाधिकारी दावा कर रहे हैं कि अभी उनके यहां 68 पार्षद पहुंच चुके हैं, जिसमें 3-4 निर्दलीय हैं. उनका दावा है कि मतदान से पहले सभी पार्षद होटल पहुंच जाएंगे. 

कांग्रेस ने अपने पार्षदों की बाड़ेबंदी की

कांग्रेस ने अपने पार्षदों की बाड़ेबंदी कर रखी है. कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि भाजपा के पार्षदों में नाराजगी है, जिसका हमें फायदा मिल सकता है. उन्होंने कहा कि हम नंबर गेम में जरूर पीछे हैं, लेकिन जब गणित बदलती है तो बहुत तेजी से बदलती है. साल 2019 में भी इसी निगम में बड़ा उलटफेर हुआ था और बीजेपी देखती रह गई थी. वहीं, बाड़ेबंदी करवाने के पीछे कारण उन्होंने बताया कि जो बीजेपी के पार्षद हमारे पास आएंगे, उन्हें हम कहा रखेंगे. इसलिए हमने होटल बुक करवाया है, ताकि वे पार्षद हमारे पार्षदों संग रह सके.

सबसे ज्यादा 26 पार्षद विद्याधर नगर से

जयपुर नगर निगम ग्रेटर एरिया में 5 विधानसभा क्षेत्र (विद्याधर नगर, झोटवाड़ा, मालवीय नगर, सांगानेर और बगरू) आते हैं. इसमें सबसे ज्यादा 26 पार्षद विद्याधर नगर से ही है. यहां के 12 से ज्यादा पार्षद रश्मि सैनी के विरोध में है. क्योंकि लाइट समिति अध्यक्ष रहते हुए सैनी के पति संग उनका विवाद हुआ था और उनके खिलाफ धरना भी दिया था. इसके अलावा झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के भी कुछ पार्षद सैनी से नाराज है, जिससे पूर्व विधायक राजपाल सिंह शेखावत के लिए भी परेशानी बढ़ सकती है. 

जीत के लिए 21 और पार्षदों की जरूरत

वर्तमान में भाजपा के पास बहुमत से 19 पार्षद ज्यादा हैं. जबकि कांग्रेस को इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए 21 और पार्षदों की जरूरत है. कांग्रेस के पास वर्तमान में 49 स्वयं की पार्टी के और 4 निर्दलीय यानी कुल 53 पार्षद हैं. जीत के लिए 74 वोटों की जरूरत है. साल 2019 में जब चुनाव महापौर का उपचुनाव हुआ था, तब 90 में से भाजपा के पास 62 पार्षद (विष्णु लाटा के अलावा) थे, और जीत के लिए बीजेपी को 46 वोट चाहिए थे. इधर कांग्रेस के पास 18 पार्षद थे, जबकि 9 निर्दलीयों का समर्थन, यानी कुल 27 पार्षद थे. फिर भी विष्णु लाटा (भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़े प्रत्याशी) को 45 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के मनोज भारद्वाज को 44 वोट और एक वोट खारिज हो गया था.

बहरहाल, यह सियासी बाजी कौन मारेगा यह तो 10 नवंबर को ही मतगणना के साथ साफ हो जाएगा. लेकिन इतना जरूर है महापौर चुनाव से पहले भाजपा में चल रही है आपसी वर्चस्व की लड़ाई को बंद करना होगा. नहीं तो इसका फायदा कांग्रेस अच्छे से उठा सकती है. 

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