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नगर निगम हैरिटेज में मेयर-अतिरिक्त आयुक्त विवाद, मंत्री शांति धारीवाल तक पहुंचा पूरा मामला

Municipal Corporation Heritage: नगर निगम हैरिटेज में मेयर, पार्षद और अतिरिक्त आयुक्त के बीच हुआ विवाद पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल तक पहुंच गया हैं. हालांकि यूडीएच मंत्री धारीवाल ने मेयर और पार्षदों को शांति रखने की सलाह दी है.

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नगर निगम हैरिटेज में मेयर-अतिरिक्त आयुक्त विवाद, मंत्री शांति धारीवाल तक पहुंचा पूरा मामला
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Deepak Goyal|Updated: Jun 30, 2023, 09:23 PM IST

Municipal Corporation Heritage: नगर निगम हैरिटेज में मेयर, पार्षद और अतिरिक्त आयुक्त के बीच हुआ विवाद पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल तक पहुंच गया हैं. हालांकि यूडीएच मंत्री धारीवाल ने मेयर और पार्षदों को शांति रखने की सलाह दी है. एडिशनल कमिश्नर राजेंद्र कुमार वर्मा ने मेयर मुनेश गुर्जर, उनके पति समेत 15 पार्षदों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के बाद मेयर खेमा उग्र हो गया है.

इसमें आरोप लगाया गया है कि दोपहर 3 से लेकर रात 9 बजे तक उन्हें मेयर और कांग्रेस पार्षदों ने बंधक बनाए रखा. तू-तड़ाके से बोलते हुए अभद्रता करने, बंधक बनाने और जबरन एक फाइल पर हस्ताक्षर करवाने का प्रयास किया गया. कैबिनेट मंत्री महेश जोशी ने भी मुझे बंदी अवस्था में देखकर चले गए. मेयर ने इस संबंध नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल से बातचीत भी की. मेयर को मंत्री धारीवाल ने कहा है कि अभी कुछ न करें, सरकार के निर्देश का इंतजार करें.

अब मेयर खेमा सोमवार तक सरकार से कार्रवाई का इशारा मिलने की आस में है. इस दौरान ईद का त्योहार भी संपन्न हो जाएगा, क्योंकि जिन पर वर्मा ने केस किया है उन 15 में से 8 पार्षद मुस्लिम समुदाय से हैं. मेयर समेत 5 महिला पार्षद पलटवार की रूपरेखा तैयार कर रही हैं. वहीं दो पार्षद वकील भी बार एसोसिएशन से सलाह लेकर कार्रवाई करने की तैयारी में हैं.

उधर स्वायत्त शासन विभाग ने इसकी भी जांच शुरू कर दी है. अतिरिक्त निदेशक चांदमल वर्मा को जांच की जिम्मेदारी दी है. गौरतलब हैं की गत 16 जून को मेयर व एडिशनल कमिश्नर और पार्षदों के बीच विवाद हुआ था. जिसके बाद मेयर समेत 50 पार्षद धरने पर बैठ गए. सरकार की तरफ से एक्शन नहीं लिए जाने पर पार्षदों ने सामूहिक इस्तीफा पत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया.

बाद में इस विवाद में मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास तथा महेश जोशी भी आ गए और कांग्रेस विधायक दो खेमों में बंट गए. हालांकि, बाद में विवाद की सुनवाई राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने की और दो दिन की हामी भरी थी, जिस पर पार्षदों ने 10 दिन का समय दिया.

 

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