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बीसलपुर प्रोजेक्ट का शटडाउन खत्म, सवाल अभी बाकी,क्या गारंटी फिर नहीं होगा लीकेज?

जयपुर न्यूज: बीसलपुर प्रोजेक्ट का शटडाउन खत्म हो गया है लेकिन सवाल अभी भी ये है कि क्या गारंटी है फिर से लीकेज नहीं होगा.

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बीसलपुर प्रोजेक्ट का शटडाउन खत्म, सवाल अभी बाकी,क्या गारंटी फिर नहीं होगा लीकेज?
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Ashish Chauhan|Updated: Aug 25, 2023, 02:49 PM IST

जयपुर: बीसलपुर परियोजना में दो बड़े लीकेज को जलदाय विभाग ने सुधार लिया है.जिसके बाद आज शाम और कल सुबह से पानी की सप्लाई नियमित हो पाएगी.लेकिन आज जयपुर में जलसंकट की स्थिति जगह-जगह देखने को मिली.

क्या गारंटी की फिर से लीकेज नहीं होगा?

भले ही तय समय से 11 घंटे पहले बीसलपुर परियोजना का शटडाउन खत्म हो गया हो,लेकिन अभी सवाल खत्म नहीं हुए है.भले ही आज शाम से जयपुर में नियमित पानी की सप्लाई शुरू की जाएगी,घटिया मॉनिटरिंग और बीसलपुर प्रोजेक्ट के फेलियर पर सवाल अभी बाकी है.सुरजपुरा से 41 किलोमीटर और 5 किलोमीटर की दूरी पर जलदाय विभाग के इंजीनियर्स और मजदूरों ने रातभर जागकर तय समय से लीकेज को सुधार दिया.लेकिन इसकी क्या गारंटी की फिर से लीकेज नहीं होगा,फिर से जलसंकट से जयपुर की जनता परेशान नहीं होगी? ये सवाल इसलिए क्यों बीसलपुर लाइन में छेद इतने हो गए है कि इसमें लीकेज का खतरा बढ गया है.वैसे भी 5 किलोमीटर की दूरी वाला लीकेज को विभाग ने दोबारा सुधारा है.

शुद्ध पानी पर सरकार का 66 करोड़ का खर्चा-

सरकार करोड़ों खर्च कर रही है,लेकिन इसके बावजूद बार बार बीसलपुर का शटडाउन लिया जा रहा है.सुरजपुरा में सरकार ने ट्रीटेट वाटर प्लांट लगाया हुआ है,जहां बीसलपुर से ट्रीट होकर पानी जयपुर को सप्लाई होता है.पानी को ट्रीटेट करने और जयपुर तक पहुंचाने में 3 करोड़ का बिजली का खर्च हर माह खर्च होता है.इसके अलावा बीसलपुर डेम पर 2.50 करोड़ के बिजली के बिल पर खर्च होता है.यानी 5 करोड़ हर महीने खर्च होते है.सरकार 1 एमएलडी पानी पर 2570 रुपए खर्च करती है.प्रतिदिन बीसलपुर से 650 एमएलडी पानी ट्रीटेट होता है.इस हिसाब से पानी को ट्रीटेट करने के लिए प्रतिदिन 16,70,500 रूपए,प्रतिमाह 5,01,15000 रूपए और सालाना 60,13,80,000 रुपए खर्च होते है.इसके अलावा जीसीकेसी कंपनी को रखरखाव के लिए 6 करोड़ सालाना भी दिया जा रहा है.

क्यों फेलियर सतीश जैन पर इतना भरोसा?

महज 3 महीने में बीसलपुर पाइप लाइन में लीकेज के बाद 4 बार शटडाउन लिया गया.लेकिन सवाल ये है? क्यों अफसरों की जिम्मेदारी तय नहीं की जा रही है,क्यों जिम्मेदार फर्म जीसीकेसी पर मेहरबानी बरसाई जा रही है. क्यों जयपुर बीसलपुर प्रोजेक्ट के अधीक्षण अभियंता पर जलदाय विभाग इतना भरोसा कर रहा है. मॉनिटरिंग और जिम्मेदारी तो जब ही तय हो पाएगी जब विभाग के मुखिया चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता समय से दफ्तर पहुंचे और जनत की प्यास पर एक्शन ले.लेकिन पीएचईडी में ऊपर से नीचे तक लापरवाही दिखाई दे रही है,इसलिए जनता की प्यास तो भगवान भरोसे ही है.

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