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जयपुर: दो धड़ों के बीच आंदोलन की राह पर गांव की सरकार, सरंपचों के एक धड़े ने पत्ते खोले,दूसरे के खुलने बाकी

जयपुर न्यूज: दो धड़ों के बीच आंदोलन की राह पर गांव की सरकार नजर आ रही है. सरंपचों के एक धड़े ने पत्ते खोले दिए हैं. वहीं दूसरे के खुलने अभी बाकी हैं.इसी गुटबाजी के बीच अब महंगाई राहत कैंप के बहिष्कार का ऐलान किया गया है.  

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जयपुर: दो धड़ों के बीच आंदोलन की राह पर गांव की सरकार, सरंपचों के एक धड़े ने पत्ते खोले,दूसरे के खुलने बाकी
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Ashish Chauhan|Updated: Apr 15, 2023, 06:49 PM IST

Jaipur: राजस्थान में गांव की सरकार दो धड़ो में बंटकर आंदोलन करेगी. एक धड़े ने 20 अप्रैल से तालाबंदी की घोषणा कर दी. जबकि दूसरे धड़े ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले. ऐसे में क्या महंगाई राहत कैंप पर इस आंदोलन का कोई फर्क पड़ेगा?

दोनो संघों में विचारधारा की लड़ाई

मरूधरा में गांव की सरकार दो गुटों में बंटी है. इसी गुटबाजी के बीच अब महंगाई राहत कैंप के बहिष्कार का ऐलान किया गया है. सरपंच संघ राजस्थान ने 20 अप्रैल तक मांगे नहीं मानने पर तालाबंदी की घोषणा की है. साथ ही महंगाई राहत कैंप का बहिष्कार करेंगे लेकिन सरपंचों के दूसरे धडे़े यानि राष्ट्रीय सरपंच संघ ने अपने पत्ते नहीं खोले. दूसरा धड़ा 17 अप्रैल को जयपुर में रणनीति तैयार करेंगा. खैर मांगें दोनों ही संगठनों की एक सी ही है.लेकिन यहां भी विचारधाराओं की लड़ाई है.

ये हैं प्रमुख मांगें

- राज्य वित्त आयोग 2022-23 की करीब 3 हजार करोड़ रुपए,केंद्रीय वित्त आयोग के करीब 15 सौ करोड़ रुपए बकाया चल रहे हैं. उन्हें जल्द पंचायतों के खातों में रिलीज किया जाए.

- राज्य के कई हिस्सों में नेटवर्क की समस्या होने की वजह से मनरेगा में पोर्टल पर ऑनलाइन हाजिरी को बंद किया जाए और ग्राम पंचायतों की भौतिक सत्यापन के बाद भी बकाया सामग्री मद की राशि को शीघ्र जारी किया जाए.

-राज्य सरकार द्वारा 10 लाख लोगों को खाद्य सुरक्षा से जोड़ने के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे. मगर उन्हें अभी तक इस सुविधा का लाभ नहीं मिला है पात्र लोगों को तुरंत खाद्य सुरक्षा जारी की जाए.

- प्रधानमंत्री आवास प्लस योजना में पात्र नामांकित परिवारों को 2020-21 के बाद राशि नहीं दी गई है. ऐसे पात्र प्रतीक्षा सूची में शामिल परिवारों को आवास की राशि डाली जाए और वंचित रहे परिवारों को जोड़ने के लिए पोर्टल खोला जाए.

पहले आंदोलन में चल चुके लात घूसे

इससे पहले भी जब सरपंचों का आंदोलन हुआ था तो गांव की सरकार में दो फाड़ दिखाई दिए थे.इतना ही नहीं आंदोलन स्थल पर सरपंचों में आपस में जमकर लात धूसे भी चले थे.इसलिए सरपंचों का आंदोलन कमजोर हुआ था.ऐसे में अबकी बार तो पहले ही से गुटबाजी खुलकर सामने थी.ऐसे में सवाल है कि क्या दो गुटों में बंटे सरपंचों का आंदोलन सफल होगा?

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