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Jaipur: आदेश के बावजूद ADSP दिव्या मित्तल की जमानत याचिका सूचीबद्ध ना करने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

Jaipur news: राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद नशीली दवाओं से जुड़े मामले में दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में निलंबित एडीएसपी दिव्या मित्तल की जमानत याचिका तय समय पर सूचीबद्ध नहीं करने पर नाराजगी जताई है.

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Jaipur: आदेश के बावजूद ADSP दिव्या मित्तल की जमानत याचिका सूचीबद्ध ना करने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
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Zee Rajasthan Web Team|Updated: Mar 23, 2023, 10:58 PM IST

Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद नशीली दवाओं से जुड़े मामले में दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में निलंबित एडीएसपी दिव्या मित्तल की जमानत याचिका तय समय पर सूचीबद्ध नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार न्यायिक को निर्देश दिए हैं कि वह प्रकरण की जांच कर संबंधित अधिकारियों की सूची तैयार करे. 

अदालत ने रजिस्ट्रार से यह भी बताने को कहा है कि ऐसे कितने मामले में हैं, जिनमें अदालती आदेश के बावजूद केस तय समय पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया. वहीं अदालत ने दिव्या मित्तल की जमानत याचिका को अन्य एकलपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने को कहा है. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश दिव्या मित्तल की जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए दिए.

दरअसल गत 16 फरवरी को याचिकाकर्ता दिव्या की ओर से उनके वकील ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह टालने की गुहार की थी. जिस पर अदालत ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह बाद तय की. इसके बावजूद इस अवधि में केस सूचीबद्ध नहीं हुआ. एसीबी ने गत 15 मार्च को निचली अदालत में दिव्या के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया. इसके बाद हाईकोर्ट में मामला 22 मार्च को सूचीबद्ध किया गया. यह तथ्य अदालत की जानकारी में आने पर एकलपीठ ने प्रकरण पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए रजिस्ट्रार न्यायिक को दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में एसीबी की कार्रवाई झूठ का पुलिंदा है. प्रकरण में एसीबी ने न तो याचिकाकर्ता को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है और ना ही उससे रिश्वत राशि की रिकवरी हुई है. इसके अलावा उसके पास आय से अधिक की राशि भी बरामद नहीं हुई है. वहीं वॉयस रिकॉर्डिंग को लेकर एसीबी ने विधि अनुसार तय प्रक्रिया का पालना नहीं किया है. प्रकरण में एसीबी के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. एसीबी ने गिरफ्तारी से पहले सीआरपीसी की धारा 41 के तहत उसे नोटिस भी नहीं दिया था. 

ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात के तहत ट्रैप की जरूरत नहीं है. यदि सिर्फ रिश्वत की डिमांड की जाती है तो भी एसीबी आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है. एसीबी के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं, जिससे यह साबित है कि दिव्या मित्तल ने दवा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत की मांग की है. 

गौरतलब है कि दवा फैक्ट्री के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में एसीबी ने एसओजी, अजमेर में तैनात तत्कालीन एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल को गत 16 जनवरी को गिरफ्तार किया था. दिव्या पर आरोप है कि उसने हरिद्वार में संचालित दवा फैक्ट्री के संचालक को गलत रूप से नशीली दवा प्रकरण में लिप्त बताकर उसका नाम हटाने के एवज में दलाल के मार्फत दो करोड रुपए की रिश्वत मांगी.

Reporter- Mahesh Pareek

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