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Jaipur News: डॉ. कमला बेनीवाल को राजकीय सम्मान नहीं देने पर बवाल, कांग्रेस ने सरकार पर उठाए सवाल

Jaipur News: राजस्थान में पूर्व राज्यपाल और पूर्व उप मुख्यमन्त्री डॉ. कमला बेनीवाल के निधन के बाद उन्हें अन्तिम विदाई तो दे दी गई लेकिन अन्तिम संस्कार के समय राजकीय सम्मान नहीं देने और गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिये जाने पर कांग्रेस ने सवाल उठाये हैं. पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा के बाद अब राजस्थान कांग्रेस के हैण्डल से ट्वीट करते हुए सरकार से सवाल पूछा है. 

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Shashi Mohan|Updated: May 17, 2024, 08:51 AM IST

Jaipur News: पूर्व राज्यपाल और पूर्व उप मुख्यमन्त्री डॉ. कमला बेनीवाल के निधन के बाद उन्हें अन्तिम विदाई तो दे दी गई लेकिन अन्तिम संस्कार के समय राजकीय सम्मान नहीं देने और गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिये जाने पर कांग्रेस ने सवाल उठाये हैं. पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा के बाद अब राजस्थान कांग्रेस के हैण्डल से ट्वीट करते हुए सरकार से सवाल पूछा है. 

कांग्रेस ने पूछा कि अब बीजेपी सरकार मौन क्यों है? इस ट्वीट में कांग्रेस ने राजस्थान की परम्परा को भी याद दिलाया है. कांग्रेस ने कहा कि प्रदेश की गौरवशाली परंपरा के अनुसार 16 मई 2010 को पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भैरोंसिंह शेखावत की राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई एवं तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा स्मृति स्थल हेतु ज़मीन भी आवंटित की गई. 9 अक्टूबर 2012 को गुजरात के पूर्व राज्यपाल स्व. पंडित नवल किशोर शर्मा को भी राजकीय सम्मान के साथ आखिरी विदाई दी गई. 

ऐसे में सवाल है कि आज गुजरात की पूर्व राज्यपाल और प्रदेश की प्रथम महिला मंत्री डॉ. कमला बेनीवाल की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ क्यों नहीं हुई? राजस्थान की जनता जवाब मांग रही है, क्या गुजरात की राज्यपाल रहते हुए कमला जी के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी से सैद्धांतिक विवाद की वजह से उनका अपमान किया गया? हालांकि इस सवाल के बाद प्रशासनिक अमलों में हलचल मची है? और सामान्य प्रशासन विभाग के कुछ अधिकारियों का कहना है कि जीएडी की आधिकारिक लिस्ट में जिन स्वतन्त्रता सेनानियों का नाम है. उन्हें ही अन्त्येष्टि के दौरान राजकीय सम्मान दिया जाता है.

यह भी कहा जा रहा है कि प्रॉटोकॉल के लिए स्वतंत्रता सैनानियों की सूची में रजिस्टर्ड होना जरूरी है और यदि स्वतंत्रता सैनानियों की सूची में डॉ.कमला का नाम होता... तो तो राजकीय सम्मान के साथ होती उनकी अंत्येष्टि. कहा जा रहा है कि इसके लिए नियम बने हुए हैं. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि दूसरे राज्य में राज्यपाल रहने पर राजकीय सम्मान का प्रॉटोकॉल नहीं.

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