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Jaipur News: शहर में पार्कों के नाम पर करोड़ों का खर्च! निगम के पार्कों की दशा...

Jaipur News: राजधानी में पार्कों के रखरखाव और नए पौधों को लगाने के नाम पर पैसे पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. इसके बाद भी हालातों में कोई सुधार होता नहीं दिखाई दे रहा है. पार्कों में ओपन जिम प्रोजेक्ट अधिकारियों की लापरवाही का शिकार हो रहे हैं. 

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Deepak Goyal|Updated: Jun 02, 2024, 07:33 PM IST

Jaipur News: राजस्थान के राजधानी में पार्कों के रखरखाव और नए पौधों को लगाने के नाम पर पैसे पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. इसके बाद भी हालातों में कोई सुधार होता नहीं दिखाई दे रहा है. पार्कों में ओपन जिम प्रोजेक्ट अधिकारियों की लापरवाही का शिकार हो रहे हैं. टूटी मशीनों पर सेहत बनाने के लिए शहरवासी असुविधा से त्रस्त हो रहे हैं. टूटी मशीन अन्य उपकरण से बच्चों के घायल होने का डर भी बना हुआ है. 

ओपन जिम के टूटे उपकरण, टूटे झूले, लंबी घास, टूटी हुई लाइटें, ना पीने के पानी की व्यवस्था, पार्क के अंदर खुले पड़े बिजली के जोड़ शहर के पार्कों की स्थिति दिखाने के लिए काफी हैं. जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज क्षेत्र में 1183 पार्कों की देखभाल की जिम्मेदारी है. जिसपर दोनों नगर निगम की उद्यान शाखा पार्कों की देखरेख, मेंटिनेंस के नाम पर करोडों रुपए खर्च भी करती है. 

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शहर में कुछ पार्कों में शहरवासियों की सेहत के लिए ओपन जिम लगाए गए हैं. लेकिन धरातल पर अधिकतर पार्क बदहाल स्थिति में ही दिख रहे हैं. शहर के पार्कों में लगे ओपन जिम का हाल बेहाल है. निगम अफसरों ने ओपन जिम के मेंटेनेंस की ओर ध्यान नहीं दिया. मेटेंनेंस के अभाव में मशीनें दम तोड़ती नजर आ रही हैं. ओपन जिम उपकरणों का रख-रखाव नहीं होने से टूट गए हैं. पार्क में सैर-सपाटे के लिए आने वाले लोगों को टूटे हुए जिम के उपकरणों से सेहत बनाने को मजबूर हैं. 

वहीं छोटे बच्चों के झूले भी टूटे पड़े हैं. पार्कों में रात को अंधेरा नहीं रहे इसके लिए पोल तो लगे हैं लेकिन लाइटें गायब हैं. पार्कं में घूमने आने वाले लोगों का कहना है कि ओपन जिम तो लोगों की सेहत बनाने के लिए स्थापित की गई थी, लेकिन अब इनके मेंटिनेंस के पैसे से किसकी सेहत बन रही है ये तो नहीं पता, लेकिन इतना जरूर है कि लोगों की सेहत तो इन खराब पड़े ओपन जिम से नहीं बन रही है. 

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पार्कों में सुबह शाम हजारों शहरवासी घूमने के लिए आते हैं. लोग शुद्ध वातावरण में अपने आप को स्वस्थ महसूस करते हैं. लेकिन दूसरों को स्वस्थ रखने वाले पार्क अब खुद ही बीमार हो गए हैं. पार्कों की व्यवस्था देखकर ऐसा लग रहा है कि इनकी देख-रेख के लिए कोई कर्मचारी भी नहीं है. बच्चों का कहना है कि गर्मियों की छुट्टियां हैं लेकिन पार्कों में झूले खराब हैं. इसलिए पार्कं में आने का मन नहीं करता है. 

बच्चों के खेलने के लिए झूले, पीने का साफ पानी और स्वच्छ शौचालय कुछ ऐसी सुविधाएं हैं, जिनकी बेहतरी पार्क में आने वाले लोगों की संख्या बढ़ाती है. लेकिन असलियत यह है कि शहर के पार्क बदहाल हैं. नगर निगम ग्रेटर आयुक्त रूक्मणि रियाड़ का पार्कों की बदहाली को लेकर कहना है कि ग्रेटर क्षेत्र में तीन कैटेगिरी में डिवाइड कर रखा है. नगर निगम ग्रेटर क्षेत्र में कुल 936 पार्क हैं. इनमें से जो पार्क अच्छी कंडीशन में हैं उन्हे ए श्रेणी में रखा गया है. 

जिन पार्कों में मरम्मत, मेंटिनेंस की आवश्यता है उन्हे बी श्रेणी में रखा गया है. आचार संहिता हटने के साथ ही पार्कों के झूले, ओपन जिम के उपकरण ठीक करने के लिए टेंडर करेंगे और बी कैटेगिरी के पार्कों को भी एक श्रेणी में लाएंगे. कुछ पार्क हैं जिनकी स्थितियां ठीक नही हैं. ओपन जिम के उपकरण खराब हैं. रिपेयर की आवश्यता है. वहीं नगर निगम हैरिटेज आयुक्त अभिषेक सुराना का कहना है कि आगामी पंद्रह दिनों में प्लांटेशन का काम किया जाएगा. 

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जिन पार्कों में ओपन जिम के उपकरण खराब हैं उन्हे ठीक करवाया जाएगा. कुल निगम हैरिटेज क्षेत्र में 247 पार्क हैं. बहरहाल पार्कों की जरूरत सभी को है, ताकि महिलाएं व बच्चे सुबह-शाम घर से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थान पर खुले में सांस ले सकें. फिजीकल फिटनेस के अभाव में हमारे बच्चे बीमारी का शिकार न हों. 

बुजुर्गों को घूमने के लिए सुरक्षित स्थान मिले. इतना सब समझने के बाद भी पार्कों को लेकर चिंतित नहीं हैं. निगम हर साल शहर में हरियाली को बढ़ाने और उनके सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रुपए खर्च करता है. लेकिन शहर में मौजूद पार्कों की स्थिति देखने के लिए नगर निगम के जिम्मेदारों के पास फुर्सत ही नहीं है.

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