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Ganesh Chaturthi 2022 : राजस्थान का वो गणेश मंदिर, जहां रोजाना प्रसाद के कटोरे में मिलता था सोना

Ganesh Chaturthi 2022 : सूर्यवंश शैली में बने 450 साल पुरानें 16 वीं शताब्दी के महल रोड आमेर स्थित श्वेत अर्क गणपति मंदिर में छठा देखते ही बनती है. इन सभी मंदिरों में श्वेत अर्क गणेश मंदिर की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं. 

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Ganesh Chaturthi 2022 : राजस्थान का वो गणेश मंदिर, जहां रोजाना प्रसाद के कटोरे में मिलता था सोना
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Damodar Prasad|Updated: Aug 28, 2022, 09:06 AM IST

Jaipur: गणेश चतुर्थी का पर्व 31 अगस्त को मनाया जाएगा. जयपुर की पुरानी राजधानी आमेर में श्वेत आंकड़े की जड़ से तैयार गणेश जी की महिमा जयपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में फैली है. सूर्यवंश शैली में बने 450 साल पुरानें 16 वीं शताब्दी के महल रोड आमेर स्थित श्वेत अर्क गणपति मंदिर में छठा देखते ही बनती है. 

असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए लोग यहां पहुंचते हैं. इसके साथ ही कई ज्योतिषियों की भी मंदिर में विशेष मान्यता है. गणेश जी यह प्रतिमा सफेद आंकड़े  से निकली हुई है. आमेर को छोटीकाशी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यहां पर करीब 365 मंदिर बने हुए हैं. इन सभी मंदिरों में श्वेत अर्क गणेश मंदिर की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं. आमतौर पर पाषाण के गणेश, भस्म के गणेश की प्रतिमाएं होती हैं. 

घुड़सवार हो गए चकित
महंत चन्द्रमोहन शर्मा ने बताया कि इस दुर्लभ प्रतिमा को महाराजा मानसिंह प्रथम जयपुर की स्थापना के पहले हिसार हस्तिनापुर से लाए थे. इस मूर्ति को वापस मंगाने के लिए हिसार के राजा ने आमेर में अपने घुड़सवारों को भेजा था. महाराजा ने श्वेत अर्क गणेश के पास ही पाषाण की दूसरी मूर्ति बनवा कर रख दी, जिससे घुड़सवार आश्चर्य चकित हो गए और वे दोनों बालस्वरूप मूर्तियां यहीं छोड़ गए, तभी से ये दोनों ढाई फीट की प्रतिमाएं बावड़ी पर स्थित हैं. 

सूर्यमुखी गणेश की विशेषता
आमेर के इस मंदिर में श्वेत अर्क की प्रतिमा के नीचे पाषाण की गणेश मूर्ति भी स्थापित है. पूर्व दिशा को  देखती हुई दोनों मूर्तियों गणेशजी की बांई सूंड हैं इसलिए इसे सूर्यमुखी गणेश भी कहते हैं. महाराजा मानसिंह प्रथम ने यहां 18 स्तम्भों का मंदिर बनवाकर गणेश को विराजमान करवाया था. बरसों प्राचीन पहले बावड़ी थी, पानी के उपर स्तंभ बनाकर गणेश जी विराजमान किए. 

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विवाह आदि के निमंत्रण पत्र डाक या कोरियर से यहां भेजते हैं. गणेश चतुर्थी पर मेला भरने के साथ ही आमेर कुंडा स्थित गणेश मंदिर से शोभायात्रा का समापन आंकड़े वाले गणेश जी पर होता है. महंत ने बताया कि चौथी पीढ़ी मंदिर में सेवा पूजा कर रही है, राजा मानसिंह जब यहां अनुष्ठान करते थे तब गणपति के समक्ष रोजाना 125 ग्राम सोना प्रसाद के कटोरे में मिलता था. 

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