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सरदारशहर उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज, जानिए क्या हैं सियासी समीकरण

सरदारशहर उपचुनाव का मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. कांग्रेस-भाजपा के साथ-साथ बेनीवाल की पार्टी भी इस सीट से उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है. ऐसे में यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती है. 

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सरदारशहर उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज, जानिए क्या हैं सियासी समीकरण
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Sushant S Mohan|Updated: Nov 14, 2022, 02:35 PM IST

जयपुर: सरदारशहर के उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही कांग्रेस और भाजपा में उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है. 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव को सेमीफ़ाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. साथ ही शेखावाटी से आने वाले दोनों ही पार्टियों के नेताओं की साख भी इस चुनाव में दाँव पर लगी है. यही वजह है भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.सतीश पूनिया मूल रूप से चूरु जिले से आते हैं . जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सीकर से आते हैं. यही वजह है कि वह ही पार्टियों के अध्यक्षों ने अपने विश्वस्त लोगों को चुनावी मैदान में उतार दिया है.

कांग्रेस सहानुभूति लहर को देखते हुए दिवंगत विधायक भंवरलाल शर्मा के पुत्र अनिल शर्मा जो कि वर्तमान में ओबीसी आयोग के अध्यक्ष हैं को चुनाव मैदान में उतारने का मानस बना चुकी है.कांग्रेस चुनाव को जीतकर आने वाले वर्ष 2023 के चुनाव अपने पक्ष में करने की रणनीति बना रही है. भाजपा ने भी अब इस चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिए नई रणनीति तैयार की है. केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन लाल मेघवाल को चुनाव प्रभारी बनाया है. अर्जुन लाल मेघवाल चूरू के कलक्टर भी रहे हैं ऐसे में उन्हें वहां की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी है.

त्रिकोणीय हो सकता है मुकाबला

भाजपा की कोशिश है कि वह एससी और एसटी वोटों को अपने पक्ष में कर सके. इसके लिए कुछ लोगों को वहां जिम्मेदारी दी गई है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया के सामने उपचुनाव एक नई चुनौती आ गई है. ऐसे में सरदारशहर का उपचुनाव निश्चित तौर पर भाजपा और कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती लेकर आया है. इस चुनाव में एक बड़ा प्रत्यक्ष हनुमान बेनीवाल की पार्टी भी रहने वाली है. कांग्रेस भाजपा के बीच में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी खलल डालने का काम करेगी. जीत हार में लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

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विधानसभा क्षेत्र में 65 हजार जाट और 45 हजार ब्राह्मण वोटर

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी किसी भी तरह चुनाव जीतना चाहते हैं, जिससे कि पार्टी हाईकमान यह जता सके उनका विश्वास अभी भी कार्यकर्ताओं में मौजूद है. यही कारण है कि भाजपा कांग्रेस सहानुभूति वोटों को बटोरने की रणनीति में लगी हुई है . मौजूदा परिस्थितियों को लेकर पार्टी के सामने यह भी दुविधा है कि इस बार ब्राह्मण या जाट को उम्मीदवार बनाया जाए. सरदारशहर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 65000 जाट और 45 हजार से ज्यादा ब्राह्मण मतदाता है . इसके अलावा यहां पर एससी एसटी और अन्य मतदाता भी हैं जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करेंगे. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी यहां से जाट उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार सकती है.

उम्मीदवारों के नाम का फैसला जल्द
सरदारशहर विधानसभा के उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम का फैसला भी अब जल्दी होने वाला है. दोनों ही पार्टियों ने प्रत्याशियों के नाम का फैसला लगभग कर लिया है. अब तो हाईकमान की मोहर लगाई जानी बाकी है. भाजपा के सामने यह भी मुश्किल है कि सहानुभूति वोट बैंक को देखते हुए स्वर्गीय भंवरलाल शर्मा के भाई पर दांव लगाया जाए या नहीं. पिछले लम्बे समय से वहां ब्राह्मण उम्मीदवार ही जीतता रहा है.

कांग्रेस से विधायक रहे स्वर्गीय भंवरलाल शर्मा के पुत्र अनिल शर्मा का कांग्रेस से टिकट तय माना जा रहा है. ऐसे में सहानुभूतिवोटों का नुकसान भी भाजपा को हो सकता है. उसे देखते हुए अनिल शर्मा के चाचा श्यामलाल पर भाजपा दांव चल सकती है. परिस्थिति कुछ भी हो लेकिन परिणाम निश्चित तौर पर दोनों ही पार्टियों के लिए नए समीकरण बनाने में मदद करेगा.

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