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राजस्थान के लाखों कर्मचारियों और बेरोजगारों की मांग नहीं हुई पूरी, क्या आचार सहिंता से पहले मानेंगे गहलोत?

Rajasthan News: राजस्थान में हाल ही में सरकारी नौकरियों में चयनित कर्मचारियों को प्रोबेशन पीरियड में छूट और पूर्ण वेतन को लेकर कैबिनेट से मंजूरी मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हुआ. उन्हें अब भी इसे लेकर आस है.

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राजस्थान के लाखों कर्मचारियों और बेरोजगारों की मांग नहीं हुई पूरी, क्या आचार सहिंता से पहले मानेंगे गहलोत?
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Anish Shekhar|Updated: Oct 02, 2023, 05:26 PM IST

Rajasthan News: राजस्थान में विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है.  प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार भी ताबड़तोड़ फैसले, लोकार्पण और शिलान्यास में जुट्टी हुई है. वहीं रविवार देर रात हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, लेकिन कुछ और उम्मीदें भी प्रदेश के सरकारी कर्मचारी और बेरोजगारों को थी, जिसे पूरा नहीं किया गया है.

प्रोबेशन पीरियड और वेतन भत्ते में नहीं मिली राहत

दरअसल रविवार देर रात हुई कैबिनेट बैठक से राजस्थान एक लाखों सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार उनके प्रोबेशन पीरियड समय सीमा को कम करने और उनके पूरे वेतन भत्ते को लेकर कैबिनेट की बैठक में मुहर लगाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों को उम्मीदें इसलिए भी ज्यादा थी क्योंकि अन्य चुनावी राज्य जैसे कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में इस तरह के फैसले लिए गए हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ही सरकार है. ऐसे में प्रदेश के 1 लाख से ज्यादा कर्मचारियों की उम्मीदें भी अधिक थी. हालांकि आचार संहिता लगने से पहले अब भी सरकारी कर्मचारियों की आस जगी हुई है.

कैडर निर्माण को लेकर भी उम्मीद

वहीं चिकित्सा विभाग में लंबे समय से पैरामेडिकल काउंसिल द्वारा करवाए जाने वाले लगभग 10 कोर्स के कैडर का निर्माण का भी इंतजार था. जिनमें मुख्य ब्लड बैंक, टेक्नीशियन, ओटी टेक्नीशियन, डायलिसिस कैथ लैब और अन्य कैडर शामिल है. सरकार की ओर से इस पर भी किसी तरह की कोई मुहर नहीं लगी. वहीं रीट पात्रता हर साल करवाने को लेकर भी प्रदेश के लाखों बेरोजगारों को कैबिनेट से मुहर लगने की उम्मीद थी.

इसे लेकर राष्ट्रीय रोजगार संघ के अध्यक्ष भरत बेनीवाल का कहना है कि सरकार पिछले 5 सालों से युवाओं के साथ धोखा कर रही है. फिर चाहे एक लाख भार्ती का वर्गीकरण का मुद्दा हो या प्रोबेशन पीरियड की बात हो, कैडर निर्माण हो या भार्तीयों की विज्ञप्ति जारी करने की बात हो. युवाओं के साथ छलावा हुआ है अगर सरकार 7 दिन के अंदर इन मांगों को गंभीरता से नहीं लेती है तो सरकार का चुनाव में विरोध किया जाएगा और युवाओं की ताकत का एहसास करवाया जाएगा.

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