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CM Ashok Gehlot: सीएम अशोक गहलोत ने OPS को ठहराया सही, आरजीएचएस को बताया जरूरी

CM Ashok Gehlot: सीएम अशोक गहलोत ने सरकार के चार साल पूरे होने पर ओपीएस की पैरवी, बोले - आलोचकों का अलग नज़रिया, लेकिन मानवीय पहलू भी देखना चाहिए. आरजीएचएस को भी बताया महत्वपूर्ण फ़ैसला. बोले - पेन्शनर्स को मिल रहा इसका फ़ायदा.

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Shashi Mohan|Updated: Dec 18, 2022, 12:27 PM IST

CM Ashok Gehlot: सरकार के चार साल पूरे होने पर सीएम अशोक गहलोत ने पिछले बजट में की गई ओल्ड पेन्शन स्कीम यानि ओपीएस की घोषणा को सही ठहराया है. गहलोत ने कहा कि भले ही देश के कुछ अर्थशास्त्री इस योजना की आलोचना करते होंगे, इसे सही नहीं मानते होंगे, लेकिन उन्होंने इस फैसले में मानवीय पहलू का भी ध्यान रखा है. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने कहा कि ओपीएस के साथ ही उन्होंने आरजीएचएस का भी महत्वपूर्ण फ़ैसला किया है, जिससे पेन्शनर्स को बड़ा फायदा होगा.

हालांकि उन्होंन माना कि इस फैसले की चर्चा अभी तक कम हुई है, लेकिन यह भी बहुत लोगों को फायदा दे रही है. गहलोत ने कहा कि घोषणा पत्र को पॉलिसी का आधार बनाकर हमने बता दिया है कि हमारी नीति और नीयत में कोई फर्क नहीं है. ओपीएस की पैरवी करते हुए गहलोत ने कहा कि ओपीएस था तब भी देश में विकास काफी हुआ है. इस बयान को तीन बार दोहराकर उन्होंने इस पर फोकस किया.

मानवीय पहलू भी समझना चाहिए - गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि उन्होंने ओल्ड पेन्शन स्कीम को कर्मचारी हित में लागू किया है. गहलोत ने कहा कि वे तो कर्मचारियों का सबसे ज्यादा विरोध झेलने वालों में शुमार रहे हैं. सीएम ने कहा कि ओपीएस का विरोध और इसकी आलोचना करने वालों का अपना नज़रिया हो सकता है.

 भारत सरकार में आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ के रूप में काम करने वाले अरविन्द पनगड़िया ने भी इस योजना की आलोचना की है. खुद गहलोत ने ही पनगड़िया का नाम लिया और कहा कि उनका विश्लेषण का अपना तरीका होगा, लेकिन मानवीय पहलू से भी सोचा जाना चाहिए.

कर्मचारी हित में लागू किया OPS - गहलोत
सीएम गहलोत ने कहा कि तत्कालीन पीएमअटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने जनवरी 2004 से सरकारी सेवा में आने वाले लोगों के लिए पूर्व पेंशन योजना (OPS) की जगह अंशदायी पेंशन योजना यानि न्यू पेन्शन स्कीम लागू करने का फ़ैसला लिया था. उन्होंने राज्य सरकारों को भी NPS में शामिल होने का मौका दिया तो पश्चिम बंगाल के अलावा लगभग सभी राज्य सरकारें NPS में शामिल हो गईं. 

क्योंकि NPS में राज्य सरकारों के पैसे की बचत हो रही थी. गहलोत ने कहा कि NPS लागू होने के बाद जब NPS के पात्र कर्मचारी रिटायर होने लगे तो देखने में आया की हालात बहुत अच्छे नहीं थे.

उन्होंने कहा कि NPS के लिए बनाई गई अथॉरिटी PFRDA यानि पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डवलपमेंट अथॉरिटी पर लोकसभा में बहस के दौरान बनी स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट में भी लिखा हुआ है कि लेबर यूनियन, एम्पलॉयी यूनियन NPS के विरोध में हैं.

 NPS के माध्यम से पेंशन की राशि बेहद कम थी. 2018 में CAG की रिपोर्ट में NPS को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा देने में असफल बताया गया. 2021 में नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने NPS को रिव्यू करने के लिए एक कमिटी बनाने की मांग की. 

PFRDA ने भी बताया है कि शेयर मार्केट में कर्मचारियों के NPS में जमा करीब 1600 करोड़ रुपये डूबने की कगार पर पहुंच गए हैं. ज्यूडिशयल पे कमीशन ने भी ज्यूडिशियरी में OPS को ही लागू रखा है. 

आर्मी, नेवी, एयरफोर्स में OPS है और अर्द्धसैनिक बलों में NPS है, जबकि दोनों ही नौकरिया हाई रिस्क नौकरियां हैं. इसको ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने OPS बहाल करने का निर्णय लिया. अभी तक 1 जनवरी 2004 से नौकरी लगकर रिटायर हुए 238 मामलों में OPS का लाभ स्वीकृत किया जा चुका है.

 पेन्शन राज्य का विषय, केन्द्र का नहीं 
मुख्यमंत्री ने कहा कि OPS पर केन्द्रीय एजेंसियों का सवाल उठाना उचित नहीं है क्योंकि संविधान की सातवीं अनुसूची में केन्द्रीय सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची के विषय निर्धारित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 246 राज्यों को राज्य सूची के विषयों पर फैसले लेने का अधिकार देता है.

 सातवीं अनुसूची में राज्य सूची का बिन्दु संख्या 42 स्पष्ट कहता है कि स्टेट पेंशन जो राज्य की समेकित निधि (कंसोलिडेटेड फंड) से दी जाएंगी उन पर राज्य को कानून बनाने का अधिकार है. देश ने 2004 तक जो विकास किया और अभी भी जो कर रहा है उसमें OPS वाले कर्मचारियों का ही अधिक योगदान है.

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