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मटका लेकर पहुंची महिलाऐं तो डर के मारे चौमूं नगरपालिका बंद किया दरवाजा, जानें क्या है पूरा मामला

राजधानी जयपुर के चौमूं कस्बे में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है. विकास के दावों का दम भरने वाली नगरपालिका की कई बार इस तरह के धरना प्रदर्शन होने के बाद पोल खुल जाती हैं. यहां के नेता बीसलपुर का पानी लाने की बात करते हैं. लेकिन बात और वादों का क्या वादे तो वादे होते हैं.

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मटका लेकर पहुंची महिलाऐं तो डर के मारे चौमूं नगरपालिका बंद किया दरवाजा, जानें क्या है पूरा मामला
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Pradeep Soni|Updated: May 16, 2023, 05:47 PM IST

Jaipur News : राजधानी जयपुर के चौमूं कस्बे में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है. विकास के दावों का दम भरने वाली नगरपालिका की कई बार इस तरह के धरना प्रदर्शन होने के बाद पोल खुल जाती हैं. यहां के नेता बीसलपुर का पानी लाने की बात करते हैं. लेकिन बात और वादों का क्या वादे तो वादे होते हैं. पेयजल समस्या से जूझ रही आम जनता की अब सुने तो कौन सुने.

दरअसल, पहले जलदाय विभाग नगरपालिका के अधीन आता था. हालांकि अब जलदाय विभाग और नगर पालिका अलग अलग हो चुके हैं. आज भी बड़ी संख्या में पेयजल समस्या को लेकर आक्रोशित महिलाओं और पुरुषों ने नगरपालिका के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. आक्रोशित महिलाएं खाली मटके नगरपालिका लेकर पहुंच गई. हालांकि नगर पालिका प्रशासन ने मुख्य दरवाजा बंद कर लिया. इस कारण से महिलाएं और पुरुष अंदर नहीं जा सके. लेकिन नगरपालिका के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा 20 दिन से वार्ड नंबर 28 और 29 में पेयजल सप्लाई नहीं हो रही है.

जिसके चलते उन्हें भीषण गर्मी में पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. महंगे दामों पर टैंकर मंगवाना पड़ रहा है. विरोध कर रहे लोगों ने कहा कि जब जल दाय विभाग जाते हैं तो वह नगरपालिका भेज देते हैं. और नगरपालिका जाते हैं तो जलदाय विभाग भेज दिया जाता है.. ऐसे में शहर की जनता जाए तो कहां जाए कोई सुनने वाला नहीं है. स्थानीय लोगों ने कहा नगरपालिका चेयरमैन को भी इस मामले से अवगत करवाया गया. लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. स्थानीय लोगों ने तो इतना तक कह दिया कि यहां के नेता शहर के लोगों को जब पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं करा पाते तो क्या करेंगे. पिछले कई दिनों से शहर में पेयजल समस्या बनी हुई है. कई बार नेताओं और अधिकारियों के सामने लोगों ने पेयजल समस्या को लेकर शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती.

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