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आलाकमान की एडवाइजरी को दरकिनार कर अशोक गहलोत-सचिन पायलट गुट में फिर वार-पलटवार तेज

राजस्थान में सियासी घमासान रुकने का नाम नहीं ले रहा है. हर दो साल में नया संकट आ खड़ा होता है. जब से 2018 में सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी है तब से लेकर अब तक लगातार आपसी बयानबाज़ी का सिलसिला तो थमा ही नहीं.

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आलाकमान की एडवाइजरी को दरकिनार कर अशोक गहलोत-सचिन पायलट गुट में फिर वार-पलटवार तेज
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Manohar Vishnoi|Updated: Nov 03, 2022, 03:42 PM IST

Rajasthan Politics : राजस्थान में सियासी घमासान रुकने का नाम नहीं ले रहा है. हर दो साल में नया संकट आ खड़ा होता है. जब से 2018 में सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी है तब से लेकर अब तक लगातार आपसी बयानबाज़ी का सिलसिला तो थमा ही नहीं. सरकार के 2 साल ठीक से पूरे भी नहीं हुए थे कि सरकार गिरने का संकट खड़ा हो गया, लेकिन किसी भी तरह सरकार तो बच गई थी. ठीक दो साल बाद फिर सितम्बर 2022 में एक बार फिर तूफ़ान खड़ा हो गया.

25 सितम्बर को घटित राजनीतिक घटनाक्रम का साइड इफ़ेक्ट अभी तक दिखाई दे रहा है. 25 सितंबर से की घटना पर खूब बयानबाज़ी हुई. बयानबाज़ी से आहत होकर कांग्रेस आलाकमान को 29 सितंबर को आदेश निकालकर एक एडवाइज़री जारी पड़ी कि राजस्थान के मामले में कोई रणनीतिक हल नहीं निकले तब तक कोई एक दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी ना करे. साथ ही अनुशानहीनता के आरोप में दो मंत्री और बोर्ड चेयरमैन सहित तीन नेताओं को पार्टी ने नोटिस भी जारी किया.

- “कांग्रेस ने 29 सितंबर को राजस्थान के अपने नेताओं को चेतावनी दी कि वे अन्य नेताओं के खिलाफ और पार्टी के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करें और इस निर्देश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी अनुशासनत्मक कार्रवाई की जाएगी. पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक परामर्श जारी कर कहा है कि यह बात संज्ञान में आई है कि कुछ नेता पार्टी के आंतरिक मामलों पर और दूसरे नेताओं के खिलाफ बयान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता अन्य नेताओं के खिलाफ और पार्टी के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करें. इस निर्देश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.”

- लेकिन कुछ समय की खामोशी के बाद फिर से बयानबाज़ी का दौर शुरू हो गया. सचिन पायलट ने आज मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत को लेकर आज एक बड़ा बयान देकर तूफ़ान खड़ा कर दिया. इसको लेकर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि “गहलोत ने भरे मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ नहीं की, बल्कि उन्हें आईना दिखाया. महत्वपूर्ण यह है कि अशोक गहलोत ने उस मंच से क्या कहा. प्रधानमंत्री ने कहा कि गहलोत जी सबसे अनुभवी मुख्यमंत्री है. उसी मंच से जब गहलोत ने कहा कि मोदी जी उस देश के प्रधानमंत्री है जो गांधी, नेहरू, मौलाना आजाद, अम्बेडकर का देश है और जहां 70 साल बाद भी लोकतंत्र जिंदा है. पायलट के बयान पर सुप्रिया ने कहा कि सुर्खिया ढूंढना अच्छा काम है. पता नही आपने पायलट साहब से क्या सवाल पूछा होगा. ”
- 25 सितंबर से लेकर 29 सितंबर तक कई नेताओं ने की थी बयानबाज़ी-

- एडवाइजरी के बाद सबके मुँह पर ताले लग गये थे लेकिन आज पायलट ने बयान देकर मामले को फिर से गरमा दिया है. सचिन पायलट समर्थक परबतसर के विधायक रामनिवास गावड़िया ने धर्मेंद्र राठौड़ को लेकर बड़ा बयान दिया था.
गावड़िया के बयान के बाद पीसीसी गोविंदसिंह डोटासरा ने भी एडवाइजरी का हवाला देकर दोनों पक्षों को चुप रहने की चेतावनी दी और कहा की पार्टी को कमजोर करने का अधिकार किसी को भी नहीं है.

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