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जयपुर नगर निगम ग्रेटर से अब कचरा कंपनी 'बीवीजी' को बाय-बाय! जगह-जगह कचरे के ढेर

अभी नगर निगम के पास खुद के केवल 113 हूपर ही है और करीब 100 हूपर किराये पर ले रखे हैं. इन हूपर के भरोसे अभी जयपुर नगर निगम ग्रेटर के आधे एरिया में कैसे-तैसे करके काम चलाया जा रहा है. 

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जयपुर नगर निगम ग्रेटर से अब कचरा कंपनी 'बीवीजी' को बाय-बाय! जगह-जगह कचरे के ढेर
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Deepak Goyal|Updated: Jun 18, 2022, 04:15 PM IST

Jaipur: नगर निगम हैरिटेज के बाद नगर निगम ग्रेटर से कचरा कंपनी 'बीवीजी' को बाय-बाय कर दिया है. जयपुर नगर निगम ग्रेटर प्रशासन ने डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली कचरा कंपनी बीवीजी को अगले सप्ताह से पूरी तरह हटाने का निर्णय कर लिया है. 
विद्याधर नगर, झोटवाडा, मुरलीपुरा, जगतपुरा में बिना तैयारी के नगर निगम अगले सप्ताह से सांगानेर, मालवीय और मानसरोवर जोन में भी डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम अपने स्तर पर करवाएगा.

नगर निगम ग्रेटर से अब कचरा कंपनी 'बीवीजी' को बाय-बाय!

  • घरों के डस्टबिन से लेकर गली-नुक्कड और मुख्य सड़क पर कचरे के ढेर
  • शेष बचे 3 जोन सांगानेर, मालवीय नगर और मानसरोवर से भी विदाई
  • अगले सप्ताह से तीनों जोनों से विदाई के साथ BVG फ्री होगा ग्रेटर निगम
  • नगर निगम ग्रेटर अब खुद अपने स्तर पर करवाएगा कचरा कलेक्शन
  • नई सफाई व्यवस्था के टेंडर तक जयपुरराइट्स को झेलनी पड सकती
  • निगम ने वैकल्पिक तौर पर किराए के हूपर से करवा रहा कचरा संग्रहण
  • किराया -38000 देने के बाद भी घर-घर तक नहीं पहुंच रहे हूपर

राजधानी कचरा-कचरा. घरों के डस्टबिन से लेकर शहर की सड़कों पर कचरे का ढेर. इसी तरह की तस्वीरें अगले एक माह तक शहर की सड़कों पर देखने को मिलेगी. जयपुर शहर में अगले सप्ताह से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम गड़बड़ा सकता है. जनता को ये परेशानी अगले 1 महीने तक या उससे भी ज्यादा समय तक झेलनी पड़ सकती है क्योंकि नगर निगम प्रशासन अगले सप्ताह से बीवीजी कंपनी का कॉन्ट्रेक्ट रद्द कर रहा है. ये कंपनी अभी नगर निगम ग्रेटर क्षेत्र के मानसरोवर, सांगानेर, और मालवीय नगर जोन एरिया में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम कर रही है. इन एरिया में 50 से ज्यादा वार्ड आ रहे हैं. शहर में सफाई व्यवस्था बिगड़ने के पीछे कारण नगर निगम ग्रेटर की कार्यप्रणाली है क्योंकि नगर निगम अपने स्तर पर पूरे ग्रेटर एरिया के 150 वार्डो में कचरा कलेक्शन का काम करवाएगा, जिसके लिए उसके पास पर्याप्त हूपर (कचरा उठाने वाली गाड़ियां) नहीं है. 

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अभी नगर निगम के पास खुद के केवल 113 हूपर ही है और करीब 100 हूपर किराये पर ले रखे हैं. इन हूपर के भरोसे अभी जयपुर नगर निगम ग्रेटर के आधे एरिया में कैसे-तैसे करके काम चलाया जा रहा है. इसमें जगतपुरा, मुरलीपुरा, विद्याधर नगर और झोटवाड़ा जोन शामिल हैं. इन जोन में भी हालात ये है कि कई कॉलोनियों में 2 से 3 दिन के अंतराल में गाड़ियां कचरा लेने पहुंच रही है.

क्या कहना है नगर निगम ग्रेटर आयुक्त महेन्द्र सोनी का 
नगर निगम ग्रेटर आयुक्त महेन्द्र सोनी का कहना है कि नगर निगम अपने स्तर पर सफाई व्यवस्था को संभालेगा और डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए नए टेंडर नहीं होने तक किराए पर हूपर लिए जा रहे हैं लेकिन नगर निगम ग्रेटर का नया प्रयोग भी फेल होता दिख रहा हैं.
दरअसल नगर निगम ग्रेटर ने भी उन्हीं वेंडर पर भरोसा जताया जो कभी बीवीजी कम्पनी के साथ काम करते थे. इसी वजह से घर-घर कचरा संग्रहण में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. आज भी हूपर तीन से चार दिन बाद ही कचरा उठाने आ रहा है. दरअसल निगम प्रशासन अब तक चार जोन से बीवीजी कम्पनी हटा चुका है. निगम ने अस्थाई तौर पर हूपर किराए पर लेना शुरू कर दिया है. निगम ने राज वेस्ट ट्रीट प्राइवेट लिमिटेड से सर्वाधिक हूपर किराए पर लिए हैं. यही फर्म एक समय बीवीजी की सबसे बड़ी वेंडर हुआ करती थी. एक हूपर का किराया निगम 38 हजार रुपये प्रति माह दे रहा हैं.

आयुक्त महेन्द्र सोनी का कहना है कि निगम अभी करीब 300 हूपर की व्यवस्था कर रहा है, जिनसे सभी 150 वार्डों में (हर वार्ड में 2-2 हूपर) कचरा कलेक्शन का काम करवाया जा सके. उन्होंने कहा कि कुछ और हूपर रिजर्व में रखने के लिए चाहिए, जिसके लिए टेंडर कर रहे है ताकि जिन वार्डों में 2 से ज्यादा हूपर की जरूरत पड़ेगी या जहां कोई हूपर खराब हो जाए तो उसकी जगह रिजर्व में रखे हूपरों का उपयोग किया जा सका. सोनी ने बताया कि जयपुर नगर निगम ने सभी जोन में कचरा कलेक्शन का काम करवाने के लिए अप्रैल में टेंडर किया था. इस टेंडर में 5 कंपनियों ने हिस्सा लिया लेकिन एक ही ऐसी कंपनी है जो टेक्नीकल बिड क्वालिफाइ कर पाई है. अभी फाइनेंशियल बिड खुलना बाकी है. कंपनी को अगर काम भी देते है तो उसे वर्क ऑर्डर लेने से लेकर काम शुरू करने तक एक महीने का कम से कम समय लगेगा. इस कंपनी को हूपर लाने, कचरा कलेक्शन करवाने के अलावा घर-घर कचरा कलेक्शन की मॉनिटरिंग के लिए रेडिया फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन (RFID) सिस्टम की भी व्यवस्था करनी है.

कचरा डिपो भी कचरे से भरे दिखने लगे
बहरहाल, डोर टू डोर कचरा संग्रहण सिस्टम शुरू होने के बाद से नगर निगम प्रशासन ने शहर में ओपन कचरा डिपो और कंटेनर डिपो को लगभग खत्म ही कर दिया था. तब निगम प्रशासन का कहना था कि जब डोर टू डोर कचरा संग्रहण हो रहा है तो कचरा घरों व संस्थानों से बाहर सड़कों तक आएगा ही नहीं लेकिन हकीकत ये है कि आज मुख्य रोड, सब्जी मंडियों और मैन बाजारों के अलावा गली-मोहल्ले के कचरा डिपो भी कचरे से भरे दिखने लगे हैं.

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