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भेदभाव- ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना में 15 साल के अनुभवियों को 8000 मानदेय, शहरी में नयो को 40000

राजस्थान में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की लॉन्चिंग के बाद विवाद गरमाया गया है. शहरों और गांवों में रोजगार की गारंटी देने वाली योजना में भेदभाव किया जा रहा है. इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में संविदाकर्मियों का मासिक मानदेय 40 हजार रूपए तक दिया जाएगा.

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भेदभाव- ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना में 15 साल के अनुभवियों को 8000 मानदेय, शहरी में नयो को 40000
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Ashish Chauhan|Updated: Jun 08, 2022, 02:06 PM IST

Jaipur: राजस्थान में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की लॉन्चिंग के बाद विवाद गरमाया गया है. शहरों और गांवों में रोजगार की गारंटी देने वाली योजना में भेदभाव किया जा रहा है. इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में संविदाकर्मियों का मासिक मानदेय 40 हजार रूपए तक दिया जाएगा, जबकि 15 साल से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में लगे संविदाकर्मियों को महज 8 हजार रूपए मासिक मानदेय दिया जा रहा है.

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अनुभवी को 8 हजार, नयो को 40 हजार तक-
मनरेगा में संविदाकर्मियों की नियुक्तियां जब से की गई है तब से उन्हे 8 हजार रूपए मासिक मानदेय दिया जा रहा है. जबकि शहरी रोजगार गारंटी योजना की लॉन्चिंग के बाद से ही विवाद गरमा गया है. शहरी योजना में 40 हजार तक संविदाकर्मियों को दिए जाएंगे.ऐसे में मनरेगा संविदाकर्मियों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. संविदाकर्मियों का कहना है सरकार को भेदभाव दूर करना चाहिए और शहरी योजना की तरह मनरेगा में  योजना में लगे संविदाकर्मियों का मानदेय बढ़ाया जाए.

शहरी और ग्रामीण योजना में किसे कितना मानेदय
पद                   ग्रामीण योजना                शहरी योजना
कनिष्ठ अभियंता        8 हजार रू                     30 हजार रू
लेखा सहायक         8 हजार रू                     25 हजार रू

एमआईएस मैनेजर      10 हजार रू                    25 हजार रू
रोजगार सहायक        7046 रू                      15 हजार रू

मशीन विथ मैन        8 हजार रू                     10 हजार रू
मल्टी टास्क वर्कर       5200 रू                      8 हजार रू

हाल ही में सरकार ने इस बजट में गांवों की तरह शहरी रोजगार गारंटी योजना घोषणा की थी, जिसके बाद सरकार ने शहर में योजना को लॉच किया है, लेकिन मानदेय में भेदभाव पर कब सवाल खड़े हो रहे हैं. मनरेगा संविदाकर्मियों का कहना है कि मनरेगा योजना में राजस्थान अव्वल आया, लेकिन इसके बावजूद हमारा मानेदय नहीं बढ़ाया.

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