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कनकांचल और आदिबद्री के 46 खनन पट्टे टर्मिनेट, इतने हेक्टेयर भूमि वन क्षेत्र घोषित

रोक के बावजूद खनन होने और मशीनें नहीं हटने का मामला उछलने के बाद से राज्य सरकार ने सभी लीज पट्टों के निरस्तीकरण आदेशों के साथ ही अब यह क्षेत्र पूरी तरह से खननमुक्त हो गया है.

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कनकांचल और आदिबद्री के 46 खनन पट्टे टर्मिनेट, इतने हेक्टेयर भूमि वन क्षेत्र घोषित
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Vishnu Sharma Jaipur|Updated: Aug 19, 2022, 04:07 PM IST

Jaipur: राज्य सरकार ने अलग-अलग आदेश जारी कर कनकांचल और आदिबद्री पर्वत क्षेत्र के सभी 46 खनन पट्टों को प्रीमेच्योर टर्मिनेट कर दिया है. रोक के बावजूद खनन होने और मशीनें नहीं हटने का मामला उछलने के बाद से राज्य सरकार ने खनन पट्टे निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं. 

अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि विभाग द्वारा सभी 46 खनन पट्टाधारियों को नियमानुसार सुनवाई का अवसर देने के बाद 18 अगस्त, 22 को खनन पट्टों के निरस्तीकरण के आदेश जारी किए हैं. सभी लीज पट्टों के निरस्तीकरण आदेशों के साथ ही अब यह क्षेत्र पूरी तरह से खननमुक्त हो गया है.

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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले महीने कनकांचल और आदिबद्री पर्वत क्षेत्र में खनन कार्य बंद कराने के साथ ही इस क्षेत्र को वन भूमि में परिवर्तित करने के निर्देश दिए थे. इसके खनन क्षेत्र में खनन कार्य पर तत्काल पूरी तरह से रोक लगा दी थी. हालांकि कुछ लोगों ने सेटेलाइट इमेज वायरल कर दोनों पर्वतों पर खनन होने और मशीनें नहीं हटाने की बात कही थी.

उसके बाद खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने स्पष्टीकरण जारी किया था कि क्षेत्र की सभी 46 खानों में खनन कार्य बंद हो गया था.एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि भरतपुर जिले के आदिबद्री पर्वत तहसील सीकरी और कनकांचल पर्वत तहसील पहाडी क्षेत्र धार्मिक एवं पुरातात्विक महत्व का होने से राज्य सरकार द्वारा क्षेत्र की 757.40 हेक्टेयर भूमि को वन भूमि घोषित किया गया. इसके बाद जिला कलेक्टर भरतपुर आलोक रंजन ने 21 जुलाई, 2022 को आदेश जारी कर इस भूमि को वन विभाग को हस्तांतरित किया गया.

उन्होंने बताया कि आदिबद्री और कनकांचल पर्वत क्षेत्र के आस पास 147.36 हेक्टेयर क्षेत्र में स्वीकृत मेसनरी स्टोन के 45 खनन पट्टे और सिलिका सेंड के एक खनन पट्टा कुल 46 खनन पट्टे स्वीकृत थें. खान विभाग द्वारा स्वीकृत 46 खनन पट्टों का क्षेत्र वन भूमि में होने से नियमानुसार सभी खनन पट्टाधारी को 15 दिन का नोटिस जारी कर सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया और उसके बाद 18 अगस्त, 22 को आदेश जारी कर सभी खनन पट्टा नियमानुसार समयपूर्व समाप्त कर दिए  गये हैं.

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