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Chritmas 2023: क्रिसमस पर्व आज, गिरिजाघर में हुई विशेष प्रार्थना सभा

Chritmas 2023: विश्व  में प्रेम व सौहार्द का संदेश देने वाले प्रभू यीशू का जन्मदिन क्रिसमस पर्व डूंगरपुर जिले में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इस अवसर पर जिलेभर के गिरिजाघरों में प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया.

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क्रिसमस की शुभकामनाएं
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Akhilesh Sharma|Updated: Dec 25, 2023, 04:07 PM IST

Chritmas 2023: विश्व  में प्रेम व सौहार्द का संदेश देने वाले प्रभू यीशू का जन्मदिन क्रिसमस पर्व डूंगरपुर जिले में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इस अवसर पर जिलेभर के गिरिजाघरों में प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया.

डूंगरपुर जिला मुख्यालय पर स्थित मित्र निवास गिरिजाघर में क्रिसमस पर्व पर सामूहिक विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ। जिलेभर से आए ईसाई अनुयायियों ने भाग लेते हुए प्रभू यीशू को याद किया. क्रिसमस पर्व पर  गिरिजाघर में प्रभु यीशु की विशेष झाकी के साथ विशेष सजावट भी की गई थी. इधर इस अवसर पर फादर संजय डोडियार, फादर मेकटरिंन ओर फादर नाइजो  ने यीशू के अनुयायियों को प्रभू के बताये मार्ग पर चलकर अपने जीवन में दया व प्रेमभाव रखते हुए मानव सेवा करने का संदेश दिया.

क्रिसमस, 'मास ऑफ क्राइस्ट' शब्द से बना है, जो ईसा मसीह के जन्म का स्मरण कराता है. यीशु का जन्म बेथलहम में जोसेफ और मैरी के यहाँ हुआ था. वह पवित्र आत्मा द्वारा गर्भ में आया था और जोसेफ के साथ मदर मैरी की सगाई के दौरान पैदा हुआ था. 25 मार्च को, मदर मैरी ने सुना कि उनके पास एक विशेष बच्चा होगा, और नौ महीने बाद, 25 दिसंबर को, यीशु का जन्म हुआ.

हालाँकि, इसका कोई प्रमाण नहीं है कि यीशु का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था, क्योंकि उस समय ग्रेगोरियन कैलेंडर मौजूद नहीं था। इसके बजाय, यीशु मसीह के जन्म की कहानी नए नियम में सेंट ल्यूक और सेंट मैथ्यू के सुसमाचार में बताई गई है. प्रारंभिक रोमन इतिहास के अनुसार, 25 दिसंबर की तारीख पहली बार चौथी शताब्दी में ईसा मसीह के जन्म से जुड़ी थी.

क्रिसमस एक धार्मिक अवकाश है. इस दिन लोग ईसा मसीह और मानवता के लिए उनके बलिदान को याद करते हैं. दुनिया से नफरत और लालच को दूर करने के साथ-साथ बुराई को खत्म करने और खुशियां लाने के लिए यीशु को धन्यवाद देने के लिए लोग सामूहिक सेवाओं में भी शामिल होते हैं. उनका मानना है कि क्योंकि वह मानवता को सभी पीड़ाओं से बचाने के लिए आए थे, सूली पर चढ़ने के दौरान उनके सर्वोच्च बलिदान को याद किया जाना चाहिए.

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