trendingNow/india/rajasthan/rajasthan11999080
Home >>Dholpur

इस प्यारे विदेशी उल्लू हुई दर्दनाक मौत, काल कोठरी में सड़ रहा पड़े-पड़े, वन विभाग बेखबर

foreign owl died: बाड़ी जिले में रेड डाटा बुक में शामिल संकटग्रस्त प्रजाति का एक उल्लू जो शहर के किला स्कूल में बच्चों को छत पर घायल अवस्था में मिला था. उचित देखभाल नहीं होने के चलते मौत का शिकार हो गया. 

Advertisement
इस प्यारे विदेशी उल्लू हुई दर्दनाक मौत, काल कोठरी में सड़ रहा पड़े-पड़े,  वन विभाग बेखबर
Stop
Bhanu Sharma|Updated: Dec 07, 2023, 04:07 PM IST

Bari news: राजस्थान के बाड़ी जिले में रेड डाटा बुक में शामिल संकटग्रस्त प्रजाति का एक उल्लू जो शहर के किला स्कूल में बच्चों को छत पर घायल अवस्था में मिला था. उचित देखभाल नहीं होने के चलते मौत का शिकार हो गया. हालांकि जैसे ही बच्चों को उल्लू घायल अवस्था में मिला. उसे तुरंत वन विभाग की टीम को सौंप दिया गया. वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा उसे पशु चिकित्सालय ले जाकर उपचार भी कराया गया लेकिन उसकी उचित देखभाल नहीं की गई. इसके चलते वन विभाग के रेंज कार्यालय में उल्लू पिछले दो दिन से मृत होने के बावजूद भी दफनाया नहीं गया है और काल कोठरी में पड़ा सड़ रहा है. जिसकी वन विभाग के अधिकारियों को भनक तक नहीं है.

जानकारी के अनुसार शहर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल किला में बच्चों को खेलने के दौरान छत पर यह उल्लू घायल अवस्था में मिला था. जिसकी जानकारी टीचर्स को दी गई. टीचर्स द्वारा वन विभाग के कर्मचारियों को बुलाया गया और उल्लू उन्हें सौंप दिया गया. घायल उल्लू को लेकर कर्मचारी पशु चिकित्सालय पहुंचे जहां पशु चिकित्सक डॉ संत सिंह मीणा ने उसके पैर और शरीर में अन्य चोटों का ट्रीटमेंट किया और उसकी उचित देखभाल के वन विभाग के कर्मचारियों को निर्देश भी दिए. जिसे ले जाकर रेंज कार्यालय के एक कोठरी नुमा कमरे में बंद कर दिया गया.

यह भी पढ़े- बाबा बालकनाथ ने दिया सांसद पद से इस्तीफा, अब कभी भी हो सकता है CM के नाम को लेकर बड़ा ऐलान

संकटग्रस्त प्रजाति का है उल्लू-
जंतु विज्ञान विषय में शोध कर रहे जूलॉजी के छात्र अवधेश कुमार मीणा ने बताया कि कुछ महीने पहले यह उल्लू जो उनके घर पर आया था. तब इसे पिंजरे में कैद करके वन विभाग को सोपा गया. यह उल्लू या आउल कॉर्डेटा फायलम के एविज वर्ग के टायटोनिडी फैमिली से है. इसका वैज्ञानिक नाम टायटो अल्वा है. जो संकटग्रस्त प्रजाति है. आईयूसीएन की रेड डाटा बुक में इसका नाम है. यह उत्तरी हिमालय क्षेत्र और विदेशों में मिलता है. यहां तक आने में इसे कई हजार किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी है लेकिन जिले का वन विभाग इसकी उचित देखभाल नहीं कर पा रहा है. पूर्व में भी यह उल्लू आसपास के क्षेत्र में छोड़ दिया गया. जहां से वापस आ गया था.

Read More
{}{}