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निर्दलीय प्रत्याशी उमेश साहू बोले- जाट समाज के निर्णय ने युवाओं का गला घोटने का काम किया

सरदारशहर में 5 दिसंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव में जाट समाज द्वारा आरएलपी पार्टी को समर्थन देने के बाद जाट समाज के ही निर्दलीय प्रत्याशी उमेश साहू ने जाट समाज के इस निर्णय को गलत बताते हुए बुधवार को मोटर मार्केट स्थित अपने कार्यालय में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया.

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युवाओं का गला घोटने का काम किया.
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Zee Rajasthan Web Team|Updated: Nov 23, 2022, 07:09 PM IST

Churu News: सरदारशहर में 5 दिसंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव में जाट समाज द्वारा आरएलपी पार्टी को समर्थन देने के बाद जाट समाज के ही निर्दलीय प्रत्याशी उमेश साहू ने जाट समाज के इस निर्णय को गलत बताते हुए बुधवार को मोटर मार्केट स्थित अपने कार्यालय में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया. उमेश साहू ने कहा कि जाट समाज ने निर्णय किया था कि वह तीसरे मोर्चे को अपना समर्थन देंगे, लेकिन जाट समाज द्वारा एक पार्टी को अपना समर्थन दिया गया है.

निर्दलीय प्रत्याशी उमेश साहू ने किया प्रेस वार्ता का आयोजन 

 उन्होंने कहा कि पहले भी समाज गुलामी की लाइन में था और एक बार फिर समाज को गुलामी की लाइन में लगा दिया है. उन्होंने कहा कि क्या मैं जाट नहीं हूं, मैं हर गांव के चौक- चौराहे में जाकर यह सवाल पूछूंगा कि क्या मैं जाट नहीं हूं. उमेश साहू ने जाट समाज के इस फैसले को भूर्ण हत्या बताया. उन्होंने कहा कि अगर मैं विधायक या सांसद होता तो जिन 11 सदस्य की टीम ने यह निर्णय लिया है वह लोग मुझे माला पहनाते. कहते हैं कि जो व्यक्ति कोशिश करता है उसके साथ समाज खड़ा होता है, लेकिन आज मैंने देख लिया कि समाज कोशिश करने वालों के साथ नहीं बल्कि बड़े लोगों के साथ खड़ा होता है.

समाज का हर युवा जाट समाज के निर्णय को टकटकी लगाए इंतजार कर रहा था लेकिन अब जाट समाज का हर युवा इस निर्णय से नाराज है. उन्होंने कहा कि इस तरह से दूसरे समाज भी एकजुट हो जाएंगे यह लोकतंत्र का भद्दा मजाक है. उमेश साहू ने कहा कि 11 आदमी समाज नहीं हो सकता, प्रत्येक गांव में जाते और पूछते और बाद में निर्णय करते कि जाट समाज को क्या करना चाहिए था.

कौन है यह युवा नेता

सरदारशहर में उमेश साहू नाम के युवा ने बड़े-बड़े बैनर और पोस्टर लगाकर सभी के मन में यह सवाल पैदा कर दिया कि आखिरकार यह युवा कौन है और इतनी बड़ी संख्या में बैनर पोस्टर लगाने का इसका उद्देश्य क्या है. विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद उपचुनाव होना तय था, ऐसे में माना जा रहा था कि उमेश साहू किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं और आखिरकार लोगों के मन का यह संशय शनिवार को उमेश साहू ने खत्म कर दिया. उमेश साहू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पत्रकारों के साथ वार्ता कर उन्होंने बताया कि वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सरदारशहर विधानसभा का उपचुनाव लड़ने जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मैं मजबूती के साथ इस उपचुनाव को लड़ूंगा और जीतूंगा, जब पत्रकारों ने उमेश साहू से पूछा कि आपको सरदारशहर की जनता वोट क्यों दे, तो उमेश साहू ने जवाब में कहा कि सरदारशहर की जनता पिछले 35 सालों से वनवास झेल रही है और इस वनवास को खत्म करने के लिए सरदारशहर की जनता मुझे वोट देगी और जिताएगी, उमेश साहू ने बताया कि अपना पक्ष आम आवाम है, अपनी पार्टी आम आवाम है.

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बता दें कि राजस्थान के चूरू जिले की सरदारशहर विधानसभा सीट पर कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा का निधन होने पर उपचुनाव कराया जा रहा है. चूरू लोकसभा में आने वाली यह विधानसभा सीट शेखावटी इलाके में पड़ती है. इस सीट पर होने वाला उपचुनाव राजस्थान की राजनीति में काफी दिलचस्प होने वाला है. क्योंकि अगले साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी-कांग्रेस के लिए यह सीट ऐसे समय में काफी महत्वपूर्वण मानी जा रही है. राजस्थान कांग्रेस में चल रही खींचतान के बीच यह उपचुनाव पार्टी के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होने वाला है. हालांकि, इससे पहले राजस्थान की वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज की थी.

सरदारशहर विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ माना जाता है

कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के कारण रिक्त हुई यह सीट कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. कांग्रेस को उम्मीद है कि वह सहानुभूति की लहर पर सवार होकर इस सीट को फिर से फतह कर लेगी. जबकि बीजेपी के सामने इस सीट को कांग्रेस से छीनने की चुनौती है. इस सीट पर कांग्रेस का लंबे समय तक कब्जा रहा है. विधायक पंडित भंवरलाल शर्मा का बीते नौ अक्टूबर को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. वे इस सीट से सात बार विधायक रहे थे. बीजेपी लगातार इस सीट को कांग्रेस से छीनने का प्रयास कर रही है.

बता दें कि सरदार शहर सीट पर अब तक 15 चुनाव हो चुके हैं जिनमें से कांग्रेस पार्टी 9 बार इस सीट पर कब्जा कर चुकी है. बीजेपी सिर्फ दो ही बार सरदार शहर सीट पर चुनाव जीत पाई है. ऐसे में बीजेपी के सामने कांग्रेस के किले को भेद पाना आसान काम नहीं होगा. 

 

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