trendingNow/india/rajasthan/rajasthan11418220
Home >>Churu

सरदारशहर: छठ महापर्व पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, बिहारी बंधुओं ने धूमधाम से की छठी माई की पूजा

छठ महापर्व को सूर्य षष्ठी, छठ, महापर्व, छठ पर्व, डाला पूजा, प्रतिहार और डाला छठ के रूप में भी जाना जाता है. चार दिनों का यह पर्व सूर्य देवता और षष्ठी देवी को समर्पित है. इस त्योहार पर महिलाएं अपने बेटों को भलाई और अपने परिवार की खुशी के लिए उपवास करती हैं और भगवान सूर्य और छठी मईया को अर्घ्य भी देती हैं. 

Advertisement
सरदारशहर: छठ महापर्व पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, बिहारी बंधुओं ने धूमधाम से की छठी माई की पूजा
Stop
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Oct 31, 2022, 09:39 AM IST

Sardarhahar: दिवाली के साथ ही महापर्व छठ का इंतजार पूरे उत्तर भारत को रहता है. लोग काफी लंबे समय से इस त्योहार की तैयारी शुरू कर देते हैं. इस प्राचीन हिंदू वैदिक त्योहार मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इसके साथ ही नेपाल में भी इसे मनाया जाता है. 

छठ महापर्व को सूर्य षष्ठी, छठ, महापर्व, छठ पर्व, डाला पूजा, प्रतिहार और डाला छठ के रूप में भी जाना जाता है. चार दिनों का यह पर्व सूर्य देवता और षष्ठी देवी को समर्पित है. इस त्योहार पर महिलाएं अपने बेटों को भलाई और अपने परिवार की खुशी के लिए उपवास करती हैं और भगवान सूर्य और छठी मईया को अर्घ्य भी देती हैं. 

यह भी पढे़ें- राजस्थान के 'जलियांवाला बाग' मानगढ़ धाम में पहुंचेंगे PM Modi, 3 प्रदेश के CM भी होंगे शामिल

सरदारशहर के बुता गेस्ट हाउस के पास रविवार को शाम बिहारी बन्धुओं ने धूमधाम के साथ छठ पूजा मनाई. इस मौके पर ज्यादात्तर बिहारी बन्धुओं ने उपवास रखा और नये कपड़े पहन कर बिहारी बन्धुओं ने भगवान सूर्य की पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगी. महिलाओं ने घाट बनाकर पानी में उतर कर भगवान सूर्य की पूजा अर्चना की. इस अवसर पर बिहारी बन्धुओं ने भगवान सूर्य के नारियल, सभी प्रकार के फल एवं मिठाई चढाई और करीब दो घंटे तक पूजा अर्चना की. पूजा स्थल को दुल्हन की तरह सजाया गया. इस छठ पूजा देखने के लिए बिहारी बन्धुओं के अलावा स्थानीय लोगों की भीड़ देखी गई. यह कार्यक्रम सूर्य अस्त तक चला. इस अवसर पर अंजलि मंडल ने बताया कि छठ पूजा के दिन हम नए-नए वस्त्र पहनते हैं और पूजा के लिए फलों की खरीदारी करते हैं. छठ मैया की पूजा कर मन्नते मगते हैं. इस पर्व को बड़ी धूमधाम के साथ हम मनाते हैं. 

क्यों रखते हैं यह व्रत
रंजन मंडल ने जानकारी देते हुए बताया कि यह पर्व पवित्रता के लिए भी प्रसिद्ध है. यह पर्व ऐतिहासिक पर्व है क्योंकि जब राम और सीता जी अयोध्या लौटे थे तो तो यह पर्व सीता जी ने भी मनाया था. मुख्यतः महिलाएं पुत्र प्राप्ति और अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस पर्व पर पूजा करती है. सोमवार को सुबह बिहारी बन्धु सूर्यदेव के दर्शन कर भोजन आदि करेंगे. इस अवसर पर रंजनराम, शंभु मण्डल, अमित मण्डल, रणजीत, दिनेश मण्डल, मिन्टशू, मिथलेश, चन्दन मण्डल, प्रकाश, धीरज, दलीप, संजय कुमार, राजा मण्डल, जितेन्द्र, हेमन्त कुमार सहित बड़ी संख्या में बिहारी बन्धु उपस्थित थे.

36 घंटे का उपवास सूर्य को अर्घ्य देने के बाद तोड़ा जाता है
छठ पूजा लोगों द्वारा विभिन्न रीति-रिवाजों का पालन करके मनाई जाती है. छठ पूजा के पहले दिन को कद्दू भात या नहाय खाय के नाम से जाना जाता है. इस दिन परवैतिन (मुख्य उपासक जो उपवास रखते हैं). सात्विक कद्दू भात को दाल के साथ पकाते हैं और दोपहर में देवता को भोग के रूप में परोसते हैं. छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है. 

इस दिन, परवैतिन रोटी और चावल की खीर पकाते है. और इसे ''चंद्रदेव'' (चंद्र देव) को भोग के रूप में परोसते हैं. छठ पूजा के तीसरे मुख्य दिन बिना पानी के पूरे दिन का उपवास रखा जाता है. दिन का मुख्य अनुष्ठान डूबते सूर्य को अर्घ्य देना है. छठ के चौथे और अंतिम दिन उगते सूर्य को दशरी अर्घ्य दिया जाता है और इसे उषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है. 36 घंटे का उपवास सूर्य को अर्घ्य देने के बाद तोड़ा जाता है. इस अवसर पर बिहारी बंधु आतिशबाजी भी करते हुए नजर आए.

Reporter- Gopal Kanwar

यह भी पढे़ं- कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई पर किरोड़ीलाल का कटाक्ष, बोले- CM ने तो टंटा ही कर लिया

 

 

Read More
{}{}