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कुत्ते की मौत पर मालिक का छलका दर्द, अखबार में संदेश देकर घर में रखी शोक सभा

Rajasthan News: राजस्थान के चुरू में एक मालिक ने अपने पालतू कुत्ते का नाम मींकू रख रखा था, नाम देखकर ऐसा लगता है कि यह किसी बच्चे का नाम है.शोक संतप्त परिवार ने शोक संदेश छपवाकर तीये की बैठक रखी.

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Zee Rajasthan Web Team|Updated: Jul 11, 2024, 02:08 PM IST

Rajasthan News:आज तक हमने इंसानों की मौत पर शौक संदेश छपवाकर तीये की बैठक का आयोजन होते देखा है, जिले में पहली बार एक पालतू कुत्ते की मौत पर शोक संतप्त परिवार ने शोक संदेश छपवाकर तीये की बैठक रखी.

मामला चूरू तहसील के गांव बास ढाकान का है. जहां अरविन्द ढाका ने अपने पालतू कुत्ते का नाम मींकू रख रखा था, नाम देखकर ऐसा लगता है कि यह किसी बच्चे का नाम है. मगर यह मींकू जर्मन शेफर्ड नसल का एक कुता है,जिसकी मौत हो जाने पर उसके मालिक ने समाचार पत्र में शोक संदेश भी छपवाया है. वहीं किसी इंसान की मौत होने पर घर में रखी जाने वाली तीये की बैठक भी उसने रखी है.

अरविन्द ढाका ने नम आंखों से बताया कि मींकू उसके परिवार और जीवन का हिस्सा बन गया था. जिसकी मंगलवार दोपहर करीब साढ़े 12 बजे सीएचएफ कंजेटिव हार्ट फैलीयर नाम की बीमारी की मौत हो गयी.ढाका ने बताया कि मींकू की मौत पर उसे ऐसा महसूस हुआ की जैसे उसकी संतान या भाई की मौत हो गयी है. परिवार में मातम छा गया है. नम आंखों के साथ परिवार के लोगों के साथ मींकू को अपने ही खेत में सुपुर्द ए खाक किया गया. 

अरविन्द ढाका ने बताया कि वर्ष 2014 में जब मींकू एक माह की थी. उसको हिसार से खरीद कर लाया था. धीरे धीरे वह हमारे परिवार का एक हिस्सा बन गयी थी. करीब डेढ़ साल पहले वह बीमार हो गयी थी. जिसको हिसार में हिसार वेटनरी कॉलेज में दिखाया था. जहां पषु चिकित्सक ने बताया कि मींकू के कंजेटिव हार्ट फैलीयर नाम की बीमारी हो गयी. जिससे करीब सौ मीटर चलने के बाद ही उसकी सांस फूलने लग जाती थी. 

जहां उसकी काफी जांचे करवाकर दवाई दिलायी गयी. मगर फिर डॉक्टर ने बताया कि कुत्ते की उम्र करीब 14 से 15 साल ही होती है. जबकि मींकू के उम्र का भी असर है. उन्होंने बताया कि जह मींकू को पहली बार हिसार लेकर गये थे. तब करीब 40 हजार रूपए खर्च हुए थे. इसके बाद जब भी हिसार जाते है पर्सनल गाड़ी और दो प्रकार की टेबलेट के ही रूपए लगते थे.

सांप से बचायी थी परिवार के लोगों की जान
अरविन्द ढाका ने बताया कि वर्ष 2018 में जब एक रात परिवार के लोग कमरे में सोये हुए थे. तभी काले रंग का कोबरा सांप घर में आ गया था. जो मेरे कमरे में घुस रहा था. तभी मींकू मेरे बेड के पास आकर जोर जोर से भोंकने लगा और मुझे जगाया. 

मींकू मुझे गेट के पास लेकर गया.वहां काले रंग का कोबरा छीपा हुआ था. तभी पड़ोसियों व घर के लोगों को जगाकर उसे मार दिया. वरना उस दिन सांप कमरे में सो रहे परिवार के कई लोगों को काट सकता था.

दूध, दही, पनीर खाता था मींकू..
अरविन्द ढाका ने बताया कि मींकू शुरू से ही शाकाहारी था. जो सुबह और शाम एक लीटर दूध के साथ रोटी खाता था. वहीं दोपहर के समय दही में रोटी चूरकर खाता था. सप्ताह में दो तीन बार उसको पनीर भी खिलाया जाता था. 

करीब डेढ साल से बीमार होने के बाद डॉक्टर की सलाह पर सप्ताह में एक बार चिकन मटन खिलाते थे. बीमार होने से पहले उसने कभी भी नाॅनवेज नहीं खाया था. इसके अलावा वह परिवार के लोगों के साथ मिठाई भी खाता था.

रात का खाना मेरे साथ और हाथ से ही खाता था
अरविन्द ढाका ने बताया कि मींकू दिन के समय तो परिवार के लोगों के हाथ से खाना खा लेता था. मगर रात के समय केवल मेरे हाथ से ही खाना खाता था. किसी दिन में काम के सिलसिले में दूसरी जगह चला जाता. उस दिन मींकू रात के समय खाना नहीं खाता था. फिर जब भी मैं घर पहुंचता खुद से पहले मींकू को खाना खिलाता था.

घर के गेट पर मेरा इंतजार करता रहता
अब दो दिन से मींकू के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है. अरविन्द ढाका खुद चूरू के नया बास में मेडिकल स्टोर चलाते है. उन्होंने बताया कि शाम को किसी भी समय जब वह घर जाता तो मींकू के दरवाजे पर मेरा इंतजार करता. 

यहां तक की घर का मुख्य गेट भी वहीं खोलता था. आज मींकू की बहुत याद आ रही है. उसके साथ बिताया हर लम्हा आंखो के सामने घूम रहा है. उसकी कमी इस जीवन में कभी भी पूरी नहीं होगी.

उसके लिए कमरे में डेढ टन की एसी लगवायी
अरविन्द ने बताया कि वह गांव में जब भी घूमने जाता तो मींकू उसके साथ ही जाता था. जहां मैं बैठता वहीं मींकू बैठ जाता. जब मैं उसको बोलता की मींकू अब तुम घर जाओ तो अपने आप ही घर लौट जाता था. 

उन्होंने बताया कि उसने स्पेषल मींकू के लिए कमरे में डेढ़ टन की एसी लगवायी थी. वहीं खुद के कमरे में मींकू के अलग से छोटा बेड लगाकर रखता था. वह उसके उपर हीं सोता और बैठता था. ढाका ने बताया कि मीकू के बीमार होने पर उसने हिसार से एक ओर छोटा डॉगी लिया है. मगर वह मींकू की तरह बिल्कुल भी नहीं है. वह मींकू की जगह कभी भी नहीं ले सकता.

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