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Rajasthan- इस गांव का है प्राचीन सभ्यता से नाता! खुदाई में मिली देव प्रतिमा और गोल मकान और ये चीजें

Churu news: राजस्थान के चूरू जिले की सादुलपुर तहसील के गांव कामाण में प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं. इस गांव के एक खेत की खुदाई में हरियाणा बॉर्डर के निकट ये अवशेष दिखाई दिए. ग्रामीणों ने जेसीबी मशीन की मदद से खुदाई की.

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Zee Rajasthan Web Team|Updated: May 04, 2024, 09:33 PM IST

Churu news: राजस्थान के चूरू जिले की सादुलपुर तहसील के गांव कामाण में प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं. इस गांव के एक खेत की खुदाई में हरियाणा बॉर्डर के निकट ये अवशेष दिखाई दिए. ग्रामीणों ने जेसीबी मशीन की मदद से खुदाई की, जिसमें पत्थर का टंकी जैसा गोल मकान, मिट्टी के बर्तन, बड़े पत्थर, और पशुओं के लिए बनाए गए पत्थर के बर्तन के साथ एक देव प्रतिमा भी मिली. लगभग 15 फीट की गहराई तक खुदाई के बाद, ग्रामीणों ने खुदाई बंद कर दी.

हालांकि, हरियाणा के गांवों में भी प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिल रहे हैं, जैसे की कुनाल, बनावाली सोत्तर, भिरडाना, और बुआन. इन खुदाई और खोजों के बाद भी, प्रशासन या पुरातत्व के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे, लेकिन लोगों का मानना है कि यहां प्राचीन सभ्यता के अवशेष हैं.

गांव के लोगों ने बताया कि राजवीरसिंह महला के खेत में ट्रैक्टर चालक खेत में पलाऊ कर रहा था. एक दिन अचानक पलाऊ किसी वस्तु से टकरा गया, जिससे उसकी नोक टूट गई. ट्रैक्टर चालक ने देखा कि उसने किसी बड़े पत्थर से टकराया है. फिर वह पुनः पलाऊ चलाने का प्रयास किया, लेकिन ट्रैक्टर से पलाऊ नहीं चल पाया. तब उसने खेत के मालिक को सूचित किया.

खेत के मालिक राजवीर महला खेत में पहुंचकर दो-तीन युवकों के साथ खुदाई की शुरुआत की. खुदाई करते समय उन्हें बड़े-बड़े पत्थरों से बने कुएं की तरह कुछ दिखाई दिया. इसे देखकर सरपंच और ग्रामीण भी मौके पर पहुंचे.

बाद में जेसीबी मशीन से खुदाई शुरू की गई. खुदाई के दौरान बड़े-बड़े पत्थर और एक देव प्रतिमा, एक पत्थर का बना बड़ा पशुचारे का बर्तन निकले. लगभग 10-15 फीट की गहराई के बाद ज़मीन नजर आने लगी, और तब खुदाई बंद कर दी गई.

जेसीबी मशीन से लगभग दो घंटे तक हुई खुदाई के बाद बड़े बड़े पत्थरों से बना कुए जैसी दिखाई देने वाली जगह पर दस पन्द्रह फीट के बाद पक्का फर्श नजर आया. ग्रामीणों ने उस पर किसी कुंड होने का अनुमान लगाया, लेकिन खुदाई में भारी पत्थरों को कुएं की शक्ल देने, देव प्रतिमा की उपस्थिति और एक बड़े पत्थर के बने बर्तन के निकलने से गांववासियों को आश्चर्य हुआ. इसलिए क्योंकि आसपास कोई पहाड़ी क्षेत्र नहीं था और न ही पथरीली जमीन थी. ग्रामीणों का मानना था कि यहां पर कई वर्षों पहले कोई मानव परिवार या बस्ती रही होगी.

गांव के निवासी जलेसिह लाखलाण, रघुवीर सिंह, महेंद्र सिंह लाखलाण, शेरसिंह खैरू छोटी, उमेदसिंह, सुरेंद्रसिंह गुर्जर, करणसिंह महला, आजाद सिंह बेनीवाल, जयप्रकाश लाखलाण, सुनील कुमार, लमीचंद, अजीत कुमार, रविंद्र बेनीवाल, और जयकरण ने बताया कि गांव में 90 साल तक के लोग रह रहे हैं. उन्होंने कभी भी इस जगह पर किसी आबाद बस्ती का जिक्र नहीं सुना या देखा है. इससे साफ है कि कई सैकड़ों वर्ष पहले यहाँ पर किसी बस्ती की स्थापना हो चुकी थी.

गांव के राजवीरसिंह महला के खेत में प्लाउ करते समय एक ट्रैक्टर के चालक को ध्यान गया कि उनका प्लाउ किसी बड़े पत्थर से टकरा गया है. उन्होंने खेत मालिक राजवीरसिंह महला को सूचित किया. खेत मालिक के साथ एक टीम ने खुदाई शुरू की, जिसमें बड़े पत्थरों से बने कुएं, मिट्टी की बनी देवी की मूर्ति, और एक बड़ा पत्थर से बने पशुचारे के बर्तन निकले.

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