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चित्तौड़गढ़ः सरकारी चारागाह भूमि पर मार्बल उद्योगपतियों की दबंगई, अवैध तरीके से कर रहे हैं अतिक्रमण

चित्तौड़गढ़ में इन दिनों राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण में सरकारी चारागाह और गोचर भूमि पर अवैध तरीके से अतिक्रमण और खनन का खेल जोर-शोर से जारी है, जिसमें नरपत की खेड़ी पुलिया के समीप करीब 5 बीघा सरकारी भूमि पर कुछ मार्बल उद्योगपतियों ने मार्बल स्लरी की आड़ में रसायनिक अपशिष्ट पदार्

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चित्तौड़गढ़ः सरकारी चारागाह भूमि पर मार्बल उद्योगपतियों की दबंगई, अवैध तरीके से कर रहे हैं अतिक्रमण
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Zee Rajasthan Web Team|Updated: Dec 24, 2022, 11:50 PM IST

Chittorgarh News: चित्तौड़गढ़ में इन दिनों राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण में सरकारी चारागाह और गोचर भूमि पर अवैध तरीके से अतिक्रमण और खनन का खेल जोर-शोर से जारी है, जिसमें नरपत की खेड़ी पुलिया के समीप करीब 5 बीघा सरकारी भूमि पर कुछ मार्बल उद्योगपतियों ने मार्बल स्लरी की आड़ में रसायनिक अपशिष्ट पदार्थ डालकर उस पर अतिक्रमण करने का मामला सामने आया है.

जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ के रोलाहेड़ा ग्राम के आराजी नंबर 1014 रकबा 17.80 हैक्टर जिसमें कुल 5 बीघा चारागाह भूमि पर अतिक्रमण करने के लिए अब कुछ मार्बल उद्योगपतियो की नजर साफ दिखाई दे रही है, मार्बल उद्योगपति इस बेशकीमती भूमि पर मानव के स्वास्थ्य और मवेशियों के लिए हानिकारक रासायनिक अपशिष्ट पदार्थ डालकर आमजन और मवेशियों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ भूमि पर अतिक्रमण करने की तैयारी भी कर रहे हैं .

इसमें जानकारी में सामने आया है कि वर्ष 2013 में तत्कालीन जिला कलेक्टर रवि जैन ने नरपत की खेड़ी पुलिया के समीप इस भूमि पर गड्ढे भरने के लिए चित्तौड़गढ़ मार्बल उद्योग संस्थान को मार्बल स्लरी डंपिंग यार्ड के रूप में काम में लेने के लिए आदेश जारी किए थे लेकिन इस भूमि पर मार्बल स्लरी नहीं डालकर खतरनाक रासायनिक अपशिष्ट पदार्थ डालकर पीछे के रास्ते से भूमि पर अतिक्रमण करने का प्रयास किया जा रहा है. जिसकी जानकारी जिला प्रशासन और राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के साथ चित्तौड़गढ़ मार्बल उद्योग संस्थान के पदाधिकारियों को भी है लेकिन जिन मार्बल उद्योगपतियों द्वारा यह अपशिष्ट पदार्थ वहां पर डलवाया जा रहा है. उनकी राजनीतिक पहुंच के आगे कोई भी अधिकारी इस पर कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं जिसका नतीजा  करोड़ों रुपए की बेशकीमती सरकारी भूमि भी अब अतिक्रमण करने वालों के चुंगल में जाने वाली है.

वही जानकारी में यह भी सामने आया है कि जुलाई 2013 में तत्कालीन जिला कलेक्टर की ओर से यह आदेश जारी होने के बाद जिला प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण मंडल और चित्तौड़गढ़ मार्बल संस्थान के पदाधिकारियों ने इस बेशकीमती भूमि किस सुध तक नहीं ली, कि इस भूमि पर आदेश के अनुसार कार्य चल रहा है या नहीं अब देखना यह है कि प्रशासनिक विभाग के जिम्मेदार अधिकारी बेशकीमती भूमि को अतिक्रमण के चुंगल से किस तरह बचाने में सफल होते हैं.
Reporter: Deepak vyas

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