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महिला सरपंच के पसीने और गांव वालों की मेहनत से 25 साल बाद लबालब हुआ तालाब

Pachpadra : 25 साल के बाद बाड़मेर के पचपदरा के बालोतरा के एक छोटे से गांव में पहली बार तालाब लबालब हो गया है और ये सब हो पाया है, गांव की महिला सरपंच और गांव के लोगों की मेहनत से ये संभव हो पाया है.

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महिला सरपंच के पसीने और गांव वालों की मेहनत से 25 साल बाद लबालब हुआ तालाब
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Bhupender Azad|Updated: Jul 25, 2022, 08:48 AM IST

Pachpadra : राजस्थान के बाड़मेर के पचपदरा के बालोतरा उपखण्ड के जानियाना गांव के एक तालाब में पहली बार बारिश से भर गया. जिससे आसपास के करीब 500 घरों को पेयजल आसानी से उपलब्ध हो सकेगा. जानियाना सरपंच बाबू देवी और ग्रामीणों की कोशिश से इस तालाब की कायापलट हुई और आज ये तालाब 25 सालों में पहली बार लबालब हो गया.

सरपंच समेत महिलाओं ने इस तालाब और तालाब के किनारे लोक देवताओं की पूजा अर्चना कर खुशहाली की कामना की. ग्रामीणों ने भी सरपंच की इस उपलब्धि की तारीफ करते हुए कहा कि सरपंच की पहल पर सभी ग्रामीणों ने इसमें अपना सहयोग दिया है. जिससे पेयजल को लेकर हम आत्मनिर्भर हो गए हैं. महिलाओं ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पहले करीब 5 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था, अब घर के पास ही तालाब में पानी आने से उस समस्या से निजात मिलेगी.

बदहाल तालाब की तस्वीर बदली वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी की पहल से मूल रूप से यही के निवासी मंत्री हेमाराम ने सरपंच और ग्रामीणों को इस तालाब के पक्के निर्माण की प्रेरणा दी. सरपंच बाबू देवी ने बताया कि बरसों पुराने इस तालाब में बरसात के दिनों में पानी तो जमा होता था, लेकिन रिसाव और कच्चे तल की वजह से 2 या 4 दिन ही ठहर पाता था. 

सरपंच ने बताया कि मंत्री जी की प्रेरणा से नरेगा के तहत 50 लाख की स्वीकृति के बाद इसका जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया गया. इसके निर्माण में इतनी ही राशि उन्होंने खुद भी वहन की और आज ये तालाब पक्का बनकर तैयार हो गया है. करीब 14 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल के तालाब को आधुनिक तकनीक से तैयार किया गया है और इसके कैचमेंट एरिया को भी विकसित किया जा रहा है.

यूं तो सरकार की तरफ से ग्रामीण क्षेत्रो में जल संरक्षण और स्वावलम्बन की कई योजनायें बनाई गई. उन योजनाओं में करोड़ों खर्च भी किये गए, लेकिन .लेकिन ये योजना सिर्फ कागजों में ही सफल हो पाई. जरूरत है कि जानियाना ग्राम पंचायत के इस तालाब को एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर, अन्य ग्राम पंचायतो में भी इस तरह कार्य किये जायें, ताकि इससे ग्रामीणों को राहत मिले.

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