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बाड़मेर: बैंड बाजे के साथ निकाली गई अर्थी, हाथी-घोड़ों पर बैठकर बेटों ने उड़ाया गुलाल

राजस्थान के बाड़मेर में लक्ष्मीपुरा निवासी 84 वर्षीय शिक्षाविद प्रेमचंद का कल 3 नवंबर को निधन हो गया था, जिसके बाद परिजनों और समाज के लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा को शाही बनाने का निर्णय लिया और बेटों ने उनकी अंतिम यात्रा के लिए हाथी घोड़े ऊंट बैंड दल सहित ढोल नगाड़े मंगवाए.

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बाड़मेर: बैंड बाजे के साथ निकाली गई अर्थी, हाथी-घोड़ों पर बैठकर बेटों ने उड़ाया गुलाल
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Bhupesh Aacharya|Updated: Nov 05, 2022, 11:50 AM IST

Barmer: शाही शादियों में ऊंट, घोड़े, हाथी और बैंड-बाजे खूब देखे होंगे लेकिन आज हम आपको एक बुजुर्ग टीचर की अंतिम यात्रा के बारे में बताते हैं, जिसमें ऊंट, घोड़े, हाथी, बैंड बाजा के साथ बैकुंठ यात्रा निकाली गई. 

यात्रा में परिवार के सदस्य केसरिया साफा पहनकर शामिल हुए. हाथी घोड़े ऊंट बैंड बाजा और ढोल नगाड़ा अंतिम यात्रा में शामिल किए गए. वहीं, शिक्षाविद की शाही अंतिम यात्रा को देखने के लिए बाड़मेर शहर भर के लोग उमड़ पड़े. केसरिया साफा पहने परिजनों ने गुलाल उड़ाते हुए बुजुर्ग प्रेमचंद को बड़े ही धूमधाम से गाजे बाजे और ढोल नगाड़ों के साथ अंतिम विदाई दी.

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बाड़मेर शहर लक्ष्मीपुरा निवासी 84 वर्षीय शिक्षाविद प्रेमचंद का कल 3 नवंबर को निधन हो गया था, जिसके बाद परिजनों और समाज के लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा को शाही बनाने का निर्णय लिया और बेटों ने उनकी अंतिम यात्रा के लिए हाथी घोड़े ऊंट बैंड दल सहित ढोल नगाड़े मंगवाए. बड़े ही धूमधाम के साथ केसरिया साफा पहने हुए परिजनों ने आज शाम को उनके निवास स्थान से मोक्ष धाम तक शाही बैकुंठ अंतिम यात्रा निकाली. हाथी और रथ पर सवार परिजनों ने पूरे रास्ते में फूल और गुलाल और सिक्के उड़ाए.

क्या बोले बुजुर्ग के प्रेमचंद के पुत्र हरीश 
बुजुर्ग के प्रेमचंद के पुत्र हरीश ने बताया कि हमारे पिताजी अपनी पूरी आयु करके स्वर्ग लोक वासी हो गए हैं तो हमने बड़े ही खुशी से आज उनको मोक्ष प्राप्ति के लिए विदाई देकर श्मशान घाट तक उनकी अंतिम यात्रा निकाली और यह यात्रा बाड़मेर शहर में करीब 20 साल पहले ऐसी शाही अंतिम यात्रा निकली थी और पुरानी परंपरा को जीवित रखने के लिए आज फिर से हमने पिता के निधन पर अंतिम यात्रा निकाली है. प्रेमचंद के तीन बेटे व एक बेटी हैं और तीनों ही बेटे व्यवसाय करते हैं.

क्या बोले एडवोकेट सवाई महेश्वरी 
एडवोकेट सवाई महेश्वरी बताते हैं कि पहले हमारे महेश्वरी समाज में इस तरीके से बैकुंठ यात्रा निकाली जाती थी. इस बैकुंठ यात्रा को देखने के लिए बाड़मेर शहर भर के लोग उमड़े और उन्होंने बैकुंठ यात्रा के अंतिम दर्शन कर प्रेमचंद को श्रद्धांजलि अर्पित की.

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