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Rajasthan Election : चुनाव से पहले विधायक बलजीत यादव से क्यों नाराज है बहरोड़ की जनता, जानें वजह

Behror Alwar Vidhansabha Seat : बहरोड़ विधायक बलजीत यादव का कहना है जो विकास कार्य पिछले 75 सालों में नही हुए वो उन्होंने 5 साल में कर के दिखाए है, जानें फिर भी क्यों नाराज है यहां की जनता...

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Rajasthan Election : चुनाव से पहले विधायक बलजीत यादव से क्यों नाराज है बहरोड़ की जनता, जानें वजह
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Zee Rajasthan Web Team|Updated: Aug 30, 2023, 02:21 PM IST

Behror Alwar Vidhansabha Seat : राजस्थान हरियाणा के बॉर्डर पर बसा हुआ बहरोड़ जो राठ क्षेत्र के नाम से विख्यात है. जो राजस्थान का सिंहद्वार भी कहा जाता है. जहां दिल्ली जयपुर हाइवे के मध्य होटल मिडवे होने के कारण भी इसकी अलग ही पहचान रही है. साथ हो अलवर जिले में सबसे ज्यादा शहीद भी बहरोड क्षेत्र में हुए है. भारतीय सेना में भी अलवर जिले में सबसे ज्यादा जवान तैनात है. बहरोड क्षेत्र की कुलदेवी जिलानी माता है. जिसकी शरण में बहरोड़ क्षेत्र बसा हुआ है.

बहरोड़ का जातिगत समीकरण

जातीय समीकरण के हिसाब से बहरोड विधानसभा यादव बाहुल्य शीट रही है. यादवों के बाद यहां एस सी, एसटी वोट बैंक अपनी जगह रखता है. इसके अलावा गुर्जर, ब्राह्मण, सैनी, राजपूत के अलावा अन्य जातियां भी है. बहरोड में हार जीत का फैसला एससी एसटी वर्ग ही तय करता है. बहरोड विधायक क्षेत्र में अपने आप से ज्यादा विकास कार्य कराने वाला किसी भी विधायक को नही मानते है.

मौजूदा विधायक बलजीत यादव का कहना है जो विकास कार्य पिछले 75 सालों में नहीं हुए वो उन्होंने 5 साल में कर के दिखाए है. क्षेत्र में सड़कों का जाल बिझाये है, वहीं दो-दो बालिका महाविद्यालय खुलवाना खुलवाये है, साथ ही बहरोड़ के ब्ल्डोद में नगरपालिका बनवाने के साथ-साथ विकास की गंगा बहाई है.

बहरोड़ के जातिगत समीकरण इस प्रकार है.

यादव- 70 हजार,

SC, ST - 50 हजार,
गुर्जर - 12 हजार,

राजपूत- 10 हजार,
सैनी - 15 हजार,

ब्राह्मण- 20 हजार,
महाजन- 8 हजार  सहित अन्य जातियां भी है.

प्रमुख चुनावी मुद्दे रहे है:

पानी की समस्या , बैरोजगारी , बस स्टैंड का अभाव , एकल जिला नहीं बनने पर निराशा, बहरोड में पिछले 5 साल से पहले बीजेपी का राज ज्यादा रहा है. यहां हमेशा से बीजेपी का पक्ष भारी रहा है.

चुनावी समीकरण:

जनवरी 2023 तक टोटल वोट 2 लाख 30 हजार के करीब. जबकि बहरोड़ में बीजेपी का दबदबा ज्यादा रहा है. करीब 25 सालों तक बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन पिछले चुनाव 2018 में निर्दलीय ने जीत दर्ज की. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे नम्बर पर रहा. बीजेपी तीसरे नंबर पर रही.

जनता का मूड- बहरोड विधानसभा चुनाव में इस बार जनता बीजेपी व कांग्रेस से मैदान में आने वाले प्रत्याशी के बाद ही तय कर पायेगी की किस और मतदान करना है. जबकि वर्तमान विधायक के कार्यों व व्यवहार से ज्यादा खुश नजर नहीं आये. लोगों ने दबी जुबान से विधायक के खिलाफ बोलने की हिम्मत की है. लोगो में बहरोड विधायक का लोगों में डर है कि कहीं विधायक नुकसान नहीं पहुंचा दे. अब बात करें बहरोड़-नीमराणा को जिला नहीं बनाए जाने से जनता की नाराजगी विधायक को झेलनी पड़ेगी. साथ ही स्थानीय युवाओं को उद्योगों में नौकरी नहीं दिलाने से भी बहरोड़ की जनता खिलाफ में है.

रिपोर्टर:-अमित यादव

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