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Alwar: चौथे चरण की पाबंदियां लागू करने से औधोगिक संगठनों ने जताया विरोध, वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर नहीं

Alwar:  राजस्थान में एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के चलते ग्रेप के नियमों के तहत लगाई गई. पाबंदियों के चलते बिना वजह अलवर के मत्स्य औधोगिक क्षेत्र और आसपास के उधमियों को इसकी मार झेलनी पड़ रही है.

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वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर नहीं
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Jugal Kishor |Updated: Nov 07, 2022, 06:20 PM IST

Alwar: राजस्थान के अलवर में एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के चलते ग्रेप के नियमों के तहत लगाई गई. पाबंदियों के चलते बिना वजह अलवर के मत्स्य औधोगिक क्षेत्र और आसपास के उधमियों को इसकी मार झेलनी पड़ रही है, क्योंकि भिवाड़ी में एक्यूआई 450 तक पहुंचा, जिसकी वजह से ग्रेप के चौथे चरण की नियम लागू हो गए, लेकिन अलवर के मत्स्य औधोगिक क्षेत्र में एक्यूआई प्रथम चरण पर होने पर भी यहां भी चौथे चरण की पाबंदियां लागू कर देने से औधोगिक संगठनों ने विरोध जताया. हालांकि रविवार शाम को चौथे चरण की पाबंदियों के आदेश निरस्त भी कर दिए गए हैं.

साथ ही अलवर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, मत्स्य उद्योग संघ और लघु भारती से जुड़े पदाधिकारियों और उद्योगपतियों का कहना है कि एनसीआर में ग्रेप के नियमों के तहत चौथे चरण की पाबंदियों को लागू कर दिया गया. इसका खामियाजा अलवर शहर से लगते मत्स्य औधोगिक क्षेत्र में पुराना औधोगिक क्षेत्र इटाराना रोड़ स्थित विभिन्न इकाईयों को बेवजह उठाना पड़ रहा है. 

संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों ने एक प्रेस वार्ता कर अपनी बातों को रखा. अलवर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री अलवर के अध्यक्ष राजेश गुप्ता का कहना था. अलवर में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर नहीं है, जितनी दिल्ली की तरफ है अगर यही हालात रहें तो अलवर से औधोगिक इकाईयो को पलायन करना पड़ सकता है. सरकार से इंडस्ट्रीज के हित में निर्णय लिए जाने की मांग रखी गई. उन्होंने कहा पंजाब, हरियाणा और आसपास के क्षेत्रों में पराली जलाने से वायु गुणवत्ता सूचकांक में बढ़ोतरी हुई. यह पॉल्यूशन इंडस्ट्रीज का नहीं है.

वहीं सचिव विनोद शर्मा ने कहा फेक्ट्रियों की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि अलवर को एनसीआर का कोई लाभ नहीं मिल रहा. अलवर को एनसीआर से बाहर कर देना चाहिए. शर्मा ने कहा कि एनसीआर को राजघाट से 100 किलोमीटर के दायरे में करने की प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी है. एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की मीटिंग जुलाई में होनी थी, जिसमे इस पर निर्णय होना था जो नहीं हो पाया, जिसके कारण अलवर में स्थापित औधोगिक इकाईयों को ग्रेप की पाबंदियों को झेलना पड़ रहा है.

आपको बता दें कि प्रेस वार्ता में मौजूद कजारिया के प्लांट हैड अनिल सिंह, मत्स्य उद्योग संघ अध्यक्ष अशोक गोयल, श्यामसखा, शशांक झालानी, देवेंद्र अग्रवाल, सुबोध गोयल, सन्दीप अग्रवाल और वीरेंद्र अग्रवाल आदि मौजूद रहें. वहीं रविवार शाम को ग्रेप के चौथे चरण की पाबंदियों के तहत लगने वाली रोक के आदेश निरस्त कर तीसरे चरण की रोक को प्रभावी किया गया. इसके तहत ऐसी औधोगिक इकाईयां जो अनुमत ईंधन से चल रही थी. वह सप्ताह में पांच दिन चल पाएंगी.

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