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अच्छी बारिश के लिए तालाब की पाल पर पूजा, इंद्रदेव को मानने में जुटे ग्रामीण

Kishanganj :  ग्रामीणों की मान्यता है कि ज्येष्ठ मास में इंद्र देव की पूजा अर्चना और हवन करवाने से वर्षाऋतु में अच्छी बरसात होती है. 

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अच्छी बारिश के लिए तालाब की पाल पर पूजा, इंद्रदेव को मानने में जुटे ग्रामीण
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Manveer Singh|Updated: Jun 05, 2022, 12:08 PM IST

Kishanganj : अजमेर के किशनगंज के अंराई के बोराड़ा कस्बे में तेजाजी मंदिर परिसर में आज अच्छी बरसात की कामना को लेकर भगवान इंद्र की पूजा ग्रामीणों ने की. ग्रामीणों की मान्यता है कि ज्येष्ठ मास में इंद्र देव की पूजा अर्चना और हवन करवाने से वर्षाऋतु में अच्छी बरसात होती है. इसलिए गांव के मुखिया और कुछ व्यक्ति तालाब की पाल पर जाकर पण्डित की उपस्थिति में इंद्रदेव की पूजा अर्चना करते हैं. बोराड़ा के ग्रामीणों ने इंद्र देव की पूजा अर्चना करते हुए अच्छी बरसात की कामना की.

बैसाख और ज्येष्ठ माह में सभी गांवों में होती है इंद्र देव की पूजा 
मान्यता है कि बैसाख और ज्येष्ठ के महिने को हिन्दू धर्म के अनुसार पवित्र और धर्म पुण्य का महिना माना जाता है और साथ ही धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है इसी दौरान ग्रामीणों द्वारा आषाढ माह में जल्दी और अच्छी बरसात हो इसके लिए सबसे पहले इंद्र देव की पूजा अर्चना की जाती है, जिसमें गांव में सभी से राशि एकत्र कर तालाब की पाल पर हवन और इन्द्र पूजा की जाती है. फिर देवताओं को भोग लगाकर ब्राह्मण भोजन कराया जाता है. जिसको एक पुण्य और धर्म से भी जोडा गया है. इंद्र देव की पूजा सभी गांवों में की जाती है. जिसमें गांव के सभी समाज के लोग भाग लेते हैं. भगवान इंद्र देव से अच्छी बरसात की कामना की जाती है.

नंदी की मूर्ति स्थापित 
बोराड़ा गांव में लम्बे समय से रहने वाले एक सांड ( नंदी ) के मृत्यु के बाद उसकी तेजाजी मंदिर परिसर में बंनाई गई समाधी पर आज नंदी बाबा की मूर्ति स्थापना और प्रतिष्ठा पण्डित बनवारीलाल दाधीच की मौजूदगी में मंत्रोच्चारण के द्वारा कराई गई. ग्रामीणों ने बताया कि बोराड़ा में लम्बे समय से एक सांड रहता था, जो बिल्कुल शांत स्वभाव का था और रोज घरों के बाहर जाकर खड़ा हो जाता था. जिसे हर घर से रोटी और गुड़ खिलाया जाता था. कुछ साल पहले वो मर गया. जिसके बाद ग्रामीणों ने उसे देवता के समान मान कर तेजाजी मंदिर परिसर में दफनाया और फिर पत्थर से बनी मूर्ति की मंत्रोच्चारण के साथ स्थापना की गई. इस दौरान समाजसेवी रामदेव बाज्या हरिप्रसाद गुर्जर, तेजा उपासक भंवरलाल करीवाल, पंडित, शेखर शर्मा गोपाल खाती, रामप्रसाद माली ,हनुमान कुमार रामप्रसाद ,जांगीड़ मांगीलाल गेणा रामधन करीवाल ,गणेश माली समेत कई लोग मौजूद रहे.

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