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Ajmer Dargah: पीएम के बाद गरीब नवाज के दर पर सीएम भजनलाल ने पेश की चादर, मांगी अमन, चैन, और खुशहाली की दुआ

 Ajmer Dargah: ख्वाजा गरीब नवाज के 812वें उर्स के अवसर पर  प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मजार शरीफ पर चादर चढ़ाई. चादर पेश करने के बाद  अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष ने सीएम भजनलाल के जरिए भेजे गए  संदेश  को पढ़कर सुनाया.

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CM Bhajan Lal  Sharma
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Zee Rajasthan Web Team|Updated: Jan 14, 2024, 07:57 PM IST

 Ajmer Dargah: ख्वाजा गरीब नवाज के 812वें उर्स के अवसर पर  प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मजार शरीफ पर चादर चढ़ाई. चादर को भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष हामिद मेवाती और खादिम अफसान चिश्ती ने दरगाह तक पहुंचाया. इस अवसर पर चादर को धान मंडी से निजाम गेट तक पैदल जुलूस निकालकर गरीब नवाज के दर पर लाकर मजार शरीफ पर पेश की. इसके बाद हामिद मेवाती ने खादिम अफसान चिश्ती के साथ अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष की दस्तारबंदी की.

चादर पेश करने के बाद  अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष ने सीएम भजनलाल के जरिए भेजे गए  संदेश  को पढ़कर सुनाया. भजनलाल ने कहा कि गरीब नवाज की दरगाह विश्वभर में अमन चैन भाईचारे का प्रतीक है और देश की गंगा जमुनी तहजीब और सूफी संत की परंपरा को बनाए रखने का अपना समर्थन दिया है. चादर भेजने से उन्हें अत्यंत खुशी हुई है और उन्होंने गरीब नवाज से प्रदेश में सदैव अमन, चैन, और खुशहाली की कामना की.

बता दें कि इससे पहले शनिवार को दिल्ली से पीएम मोदी ने भी  ख्वाजा गरीब नवाज को चादर पेश की थी. बता दें कि मुस्लिम समुदाय के लिए उर्स का मेला काफी पाक माना जाता है. माना जाता है कि उर्स के दौरान दरगाह पर जन्नती दरवाजे को लेकर लोगों के बीच काफी उत्सुकता रहती है, जहां यह दरवाजा साल में सिर्फ 4 दिन खुलता है.

साल में 4 बार खुलता है जन्नती दरवाजा
गौरतलब है कि दरगाह में जन्नती दरवाजा साल में 4 बार खुलता है, और इसे खोलने का अधिकार अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में होता है. इस दरवाजे को आधारित मान्यता है कि इससे गुजरकर जन्नत की प्राप्ति होती है, और इसे साल में केवल 4 बार ही खुलने का आदान-प्रदान है. यह परंपरा कई सालों से चल रही है, और खुदाईकोट के जायरीन इसे आने वाले हर जायर के लिए उत्सुक हैं. जब यह दरवाजा खुलता है, तो लोग लाइनों में खड़े रहते हैं, और उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है. इस अद्वितीय दरवाजे के सामने आने वाले श्रद्धालु विशेष रूप से इसे देखने और उसका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित होते हैं.

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