Rahul Gandhi Lok Sabha Speech on Agniveer Scheme: लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद राहुल गांधी फुल फॉर्म में आ गए हैं. लोकसभा में आज सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने अग्निवीर स्कीम समेत कई मुद्दों को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कि सरकार की अग्निवीर स्कीम में चुने गए जवानों को ऑपरेशन के दौरान जान गंवाने पर शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस स्कीम के जरिए जवानों को मजदूर बना दिया गया, जिसे 4 साल तक यूज करने के बाद थ्रो कर दिया जाएगा.
चीन में जवानों को 5 साल तक मिलती है ट्रेनिंग- राहुल गांधी
पीएम मोदी की मौजूदगी में सदन में सरकार पर हमला बोलते हुए राहुल गांधी ने दावा किया कि चीन में जवानों को 5 साल तक ट्रेनिंग मिलती है, जबकि अग्निवीर स्कीम में केवल 6 महीने की ट्रेनिंग देकर ड्यूटी पर उतार दिया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार देश के सैनिकों में फूट डालने का काम कर रही है. जहां परमानेंट सैनिकों को सारी सुविधाएं मिलेंगी, वहीं अग्निवीर सैनिकों को कुछ नहीं दिया जाएगा. राहुल गांधी ने कहा कि यह स्कीम सेना की नहीं बल्कि पीएम मोदी की है, जिसे पूरी सेना जानती है. विपक्ष के नेता ने ऐलान किया कि जब भी हमारी पार्टी की सरकार बनेगी, हम इस स्कीम को तुरंत बंद कर देंगे.
'सरकार सोच-समझकर लेकर आई स्कीम'
सदन में राहुल गांधी के तीखे वारों पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विरोध जताया. उन्होंने कहा कि विपक्षी नेता गलत बयानी करके सदन को गुमराह कर रहे हैं. यह स्कीम दुनिया के बहुत सारे देशों में लागू है और सरकार बहुत सोच- समझकर इस स्कीम को लेकर आई है. रक्षा मंत्री के बाद गृह मंत्री अमित शाह भी अपनी सीट से खड़े हुए और राहुल गांधी के आरोपों का खंडन किया. अमित शाह ने राहुल गांधी के अग्निवीर वाले बयान पर कहा कि यह सदन झूठ बोलने की जगह नही है.
उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि अग्निवीर स्कीम की सच्चाई मैंने सदन में रखी है. लेकिन सच बात ये है कि अग्निवीर की सच्चाई सेना, सदन और राजनाथ जी को पहले से मालूम है. वे जानते हैं कि सच कौन बोल रहा है.'
क्या चीनी सैनिकों को वाकई 5 साल मिलती है ट्रेनिंग?
राहुल गांधी ने सदन में दावा किया अग्निवीर सैनिकों को केवल 6 महीने और चीनी सैनिकों को 5 साल ट्रेनिंग मिलती है. लेकिन क्या उनका यह बयान वाकई सच है. डिफेंस से जुड़े एक्सपर्टों की मानें तो यह सत्य नहीं है. असल में चीन में 18 साल की उम्र पूरी करने वाले हरेक युवा के लिए 2 साल की मिलिट्री सर्विस करना अनिवार्य होता है. इसके बाद वे रिटायर हो सकते हैं या कंटीन्यू करने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाती थी और उसके बाद रेजिमेंट में नियुक्ति दे दी जाती है. वर्ष 2018 में ट्रेनिंग की अवधि को बढ़ाकर 6 महीने कर दिया गया, जो कि अग्निवीर के बराबर ही है.
क्या है मोदी सरकार की अग्निवीर स्कीम?
मोदी सरकार ने सेना के पेंशन खर्चों पर कमी लाने और मिलिट्री को आधुनिक बनाने के मकसद से 16 जून 2022 को यह स्कीम शुरू की थी. इस योजना के तहत आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में भर्ती होने वाले सैनिकों को अग्निवीर नाम दिया गया. उनका कार्यकाल 4 साल तय किया गया, जिसमें 6 महीने की ट्रेनिंग भी शामिल है. यह सेवा अवधि पूरी होने के बाद उनमें से 75 प्रतिशत को रिटायर कर दिया जाएगा. जबकि शेष 25 प्रतिशत को रेग्युलर आर्मी में एनरोल कर लिया जाएगा, जिसमें पेंशन का इंतजाम है. रिटायर होने वाले सैनिकों को पैरामिलिट्री फोर्स और राज्यों की पुलिस में भर्ती के लिए स्पेशल वेटेज देने का ऐलान किया गया.
क्यों हो रहा है स्कीम का विरोध?
असल में रेग्युलर सैनिकों को 15 वर्ष तक तीनों सेनाओं में सेवा का मौका मिलता है. इसके बाद वे चाहें तो रिटायरमेंट ले सकते हैं या सेवा अवधि को आगे बढ़ाने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इस दौरान उन्हें कई तरह के लाभ मिलते हैं. जिसमें मौत होने पर शहीद का दर्जा, रिटायर होने पर पेंशन और कई अन्य सुविधाएं शामिल हैं. जबकि 4 साल के लिए मिलिट्री में भर्ती होने वाले अग्निवीर सैनिकों के साथ ऐसा नहीं है. यही वजह है कि विपक्षी दल शुरू से इस स्कीम का विरोध करते आ रहे हैं और इसे सेना के लिए घातक बता रहे हैं.
सरकार को भुगतना पड़ा खामियाजा
कुछ अरसा पहले ड्यूटी पर तैनात एमपी के एक अग्निवीर सैनिक की मौत हो गई थी लेकिन उसे रेग्युलर सैनिक की तरह शहीद का दर्जा नहीं मिला, जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था. हालांकि मीडिया में खूब चर्चाओं और नेताओं के बयानों के बावजूद सरकार ने इस स्कीम से अपने पैर पीछे नहीं खींचे. इसका खामियाजा सरकार को इन लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा और सरकार बहुमत के आंकड़े के काफी पीछे रह गई हालांकि गठबंधन सहयोगियों की वजह से सरकार बनाने में कामयाब रही.
स्कीम में सुधार कर सकती है सरकार
अब सरकार ने इस योजना में सुधार के लिए कमेटी बनाने का ऐलान किया है. माना जा रहा है कि कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद अग्निवीर सैनिकों की सेवा अवधि को बढ़ाकर 7 साल किया जा सकता है. साथ ही 7 साल बाद 25 प्रतिशत के बजाय 50 प्रतिशत को रेग्युलर करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है. साथ ही पेंशन को छोड़कर कई अन्य सुविधाओं की घोषणा भी की जा सकती है. लेकिन विपक्ष तब तक के लिए इतना मौका देने के मूड में नहीं है और सरकार को लगातार घेरने में लगा है.