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Ramkrishna Mission: पीएम मोदी ने किया था CAA का जिक्र तो कुछ हुए थे परेशान, अब स्वामी स्मरणानंद से मुलाकात क्यों है अहम

Swami Smaranananda: रामकृष्ण मठ और मिशन के 16वें अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद पिछले कुछ समय से बीमार हैं. बीते मंगलवार को पीएम मोदी उनका हालचाल जानने पहुंचे. इस बीच पीएम मोदी और स्वामी जी की पिछली मुलाकात का एक किस्सा सुर्खियों में हैं. क्या है पूरा मामला, आइए बताते हैं.  

Ramkrishna Mission: पीएम मोदी ने किया था CAA का जिक्र तो कुछ हुए थे परेशान, अब स्वामी स्मरणानंद से मुलाकात क्यों है अहम
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Shwetank Ratnamber|Updated: Mar 06, 2024, 09:29 AM IST

PM Modi Swami Smaranananda: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार शाम अचानक कोलकाता पहुंचे और करीब एक महीने से अस्पताल में भर्ती रामकृष्ण मिशन के प्रमुख संत स्वामी स्मरणानंद से मुलाकात करके उनका हालचाल जाना. सबसे पहले पीएम मोदी रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान गए. जहां रामकृष्ण मठ और मिशन के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद महाराज का इलाज चल रहा है. उन्होंने उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली. अब पीएम मोदी और उनकी एक पुरानी मुलाकात का किस्सा वायरल हो रहा है. 

चार साल पहले क्या हुआ था?

आपको बताते चलें कि चार साल पहले जब पीएम मोदी स्वामी स्मरणानंद से मिलने कोलकाता पहुंचे थे. बेलूर मठ में स्वामी जी से मुलाकात के बाद उन्होंने अपना संबोधन दिया था. 12 जनवरी 2020 को पीएम मोदी ने मठ से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) पर संक्षिप्त व्याख्यान दिया था. तब पीएम मोदी ने बेलूर मठ से अपने संबोधन के दौरान कहा था कि नया कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनेगा. मोदी ने यह भी कहा कि युवाओं के एक वर्ग को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के बारे में गुमराह किया जा रहा है. ऐसे में लोगों को सावधान रहने की जरूरत है. 

रामकृष्ण मिशन आश्रम ने जताई थी नाराजगी

बेलूर मठ में पीएम मोदी के संबोधन के फौरन बाद संस्थान से जुड़े लोगों ने धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्था का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए नाराजगी जताई थी. मिशन के एक सदस्य ने तब कहा था कि RKM, जो एक अराजनीतिक संस्था है, हमारे मंच से विवादास्पद राजनीतिक संदेशों को प्रसारित होना एक दुखद अनुभव रहा. उन्होंने ये भी कहा कि बीते कुछ सालों में आश्रम का गहरा राजनीतिकरण किया गया है. जिन लोगों या दलों ने ऐसा किया है वो सही नहीं है. 

रामकृष्ण मिशन ने तब सीएए (CAA) पर पीएम मोदी की टिप्पणियों से खुद को दूर कर लिया था. मिशन के प्रवक्ता ने कहा था-  'हम अपना घर छोड़कर मिशन में जीवनदानी बने हैं. मिशन एक अराजनीतिक संस्था हैं जो किसी के क्षणिक भाषण का समर्थन नही करती. हम किसी विवाद में नहीं पड़ते हैं.'

उसी समय मिशन के स्वामी सुविरानंद ने कहा था- 'राम कृष्ण मिशन समावेशिता में विश्वास करता है. हम एक समावेशी संगठन हैं, जिसमें हिंदू, इस्लाम और ईसाई समुदायों के लोग हैं. हम एक ही माता-पिता के भाइयों की तरह रहते हैं. हमारे लिए, नरेंद्र मोदी भारत के नेता हैं और ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की नेता हैं.'

तब कहा गया था कि मठ से पीएम मोदी के सीएए के संबोधन पर स्वामी स्मरणानंद महराज कुछ परेशान हो गए थे. जिसके बाद मिशन का बयान आया था.

पीएम मोदी की मंगलवार की मुलाकात की बात करें तो वह इस संस्था से गहरा जुड़ाव रखते हैं. वो संत स्मरणानंद से पहले भी मिल चुके हैं. 

देश में लोकसभा चुनावों का ऐलान होने वाला है. भारत में कई संतों और धार्मिक-अध्यात्मिक संस्थाओं का मतदाताओं में गहरा प्रभाव है. उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक भारत में ऐसे अनगिनत धार्मिक चेतना केंद्र है जहां लोगों की आस्था है. शायद यही वजह है कि चुनावों के समय सभी सियासी दलों के नेता ऐसे आश्रमों और मठों का दौरा करके उनके समर्थकों का समर्थन जुटाने की कोशिश करते हैं.

पीएम मोदी का देश के कई संतों से सीधा जुड़ाव है. ऐले में जब वो अस्पताल में भर्ती संत से मुलाकात करने पहुंचे, तो उनका बेलूर मठ से सीएए पर दिया गया बयान एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया.

 

रामकृष्ण मठ और मिशन के 16वें अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद हैं. उन्होंने स्वामी आत्मस्थानंद की मृत्यु के बाद 17 जुलाई, 2017 को मिशन के प्रमुख का दायित्व संभाला था. उनका जन्म 1929 में तमिलनाडु के तंजावुर के अंदामी गांव में हुआ था. संप्रदाय के सातवें प्रमुख स्वामी शंकरानंद ने उन्हें दीक्षा दी. 1960 में उनका नाम स्वामी स्मरणानंद रखा गया. उन्होंने देश भर में मिशन का काम आगे बढ़ाया.

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