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Delhi में मुफ्त सुविधाओं के खिलाफ SC में याचिका, कहा - टैक्सपेयर्स के पैसे का सियासी इस्तेमाल बंद हो

Free Facilities: याचिका में दिल्ली का हवाला देते हुए कहा गया है कि  दिल्ली जैसे शहर में जहां प्रति व्यक्ति आय चार लाख के आसपास है. वहां फ्री में बस टिकट बांटे जा रहे हैं, जबकि दिल्ली  सरकार लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं देने में नाकामयाब है.

Delhi में मुफ्त सुविधाओं के खिलाफ SC में याचिका, कहा - टैक्सपेयर्स के पैसे का सियासी इस्तेमाल बंद हो
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Arvind Singh|Updated: Aug 08, 2022, 07:00 PM IST

Supreme Court: दिल्ली में मुफ्त सुविधाओं  के खिलाफ  सुप्रीम कोर्ट में  याचिका दायर हुई है. याचिका अर्थशास्त्री और वकील विजय सरदाना की ओर से दाखिल हुई है. याचिका में कहा गया है कि एक ऐसे देश में जहां पर नागरिक सुविधाओं की हालत बेहद खस्ता है ,वहां पर टैक्सपेयर से मिले पैसे का इस्तेमाल राजनीतिक पार्टी अपने सियासी लाभ के लिए कर रही है. यह बेहद चिंता का विषय है.

दिल्ली सरकार पर निशाना

याचिका में दिल्ली का हवाला देते हुए कहा गया है कि  दिल्ली जैसे शहर में जहां प्रति व्यक्ति आय चार लाख के आसपास है. वहां फ्री में बस टिकट बांटे जा रहे हैं, जबकि दिल्ली  सरकार लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं देने में नाकामयाब है. दिल्ली सरकार सरकार मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए फंड नहीं दे रही जबकि पर्यावरण की दृष्टि से प्रोजेक्ट बेहद अहम है. मुफ्त बस यात्रा और बिजली के चलते डीटीसी और दिल्ली विद्युत निगम जैसे सार्वजनिक उपक्रम बर्बादी के कगार पर पहुंच गए है. कैग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इन दोनों उपक्रमो का घाटा 37 हज़ार करोड़ तक पहुंच गया है.

पंजाब का भी हवाला दिया

याचिका में पंजाब का हवाला देते हुए कहा गया है कि पंजाब किसानों ने मुफ्त बिजली की वजह से भूजल का जरूरत से ज्यादा दोहन किया है जिससे जल स्तर चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है.

SC ने सभी पक्षों से मांगे थे सुझाव

चुनाव के दौरान मुफ़्त सुविधाओं का वायदे करने वाले राजनीतिक दलो की मान्यता रदद् करने की अश्विनी उपाध्याय की याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहले से लम्बित है. विजय सरदाना ने इस याचिका के जरिये उसी मामले में दखल के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इसे बेहद गम्भीर मसला बताते हुए कहा था कि  मामले से जुड़े सभी पक्ष लॉ कमीशन, नीति आयोग, सभी दल,वित्त आयोग आपस में चर्चा कर अपने सुझाव दे. सभी पक्ष उस संस्था के गठन पर अपने विचार रखे जो मुफ्तखोरी की घोषणाओं पर लगाम लगा सके. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होनी है.

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