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दिल्ली की ट्रैफिक में 'किडनी' का 21Km का सफर 35 मिनट में.. बची 49 साल के शख्स की जान

Kidney Transplant: दिल्ली में 62 साल के एक बुजुर्ग के ब्रेन डेड होने के बाद उसके चार अंगों को निकाला गया जिन्हें परिवार ने दान करने की मंजूरी दी थी. लेकिन दिल्ली के ट्रैफिक में बड़ी चुनौती ये थी कि सही मरीज तक इन अंगों को वक्त गंवाए बिना पहुंचाया जा सके.

दिल्ली की ट्रैफिक में 'किडनी' का 21Km का सफर 35 मिनट में.. बची 49 साल के शख्स की जान
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Pooja Makkar|Updated: Nov 17, 2023, 10:23 PM IST

Kidney Transplant: दिल्ली में 62 साल के एक बुजुर्ग के ब्रेन डेड होने के बाद उसके चार अंगों को निकाला गया जिन्हें परिवार ने दान करने की मंजूरी दी थी. लेकिन दिल्ली के ट्रैफिक में बड़ी चुनौती ये थी कि सही मरीज तक इन अंगों को वक्त गंवाए बिना पहुंचाया जा सके. दो किडनी, कोर्निया और लिवर को दिल्ली-एनसीआर में समय पर भेजा गया.

किडनी ट्रांस्प्लांट का हैरान करने वाला मामला

किडनी बीएलके मैक्स अस्पताल और फोर्टिस एस्कॉर्टस अस्पताल लिवर को गुड़गांव के सनार अस्पताल और कोर्निया सफदरजंग अस्पताल को दिया गया. ऐसे में दिल्ली के राजेंद्र नगर में बने बी एल कपूर मैक्स अस्पताल को दो किडनी मिली जिसमें से एक को ओखला के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स  अस्पताल में ले जाया जाना था. दोनों अस्पतालों के बीच की दूरी 21 किलोमीटर है.

मरीज को मिली नई जिंदगी
 
दिवाली से ठीक दो दिन पहले 10 नवंबर को धनतेरस था, जिस दिन दिल्ली में साल का सबसे अधिक ट्रैफिक वाला दिन होता है. 21 किलोमीटर के सफर को आसान करने के लिए दिल्ली पुलिस ने ग्रीन कॉरीडोर बनाया. यानी एक लेन को पूरी तरह से एंबुलेंस के लिए खाली रखा गया. 21 किलोमीटर का सफर 35 मिनट में पूरा हुआ और मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट हो सका. 4 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद किडनी फेल्यर की बीमारी से जूझ रहे मरीज को नई जिंदगी मिल सकी. फिलहाल मरीज डॉक्टरों की निगरानी में है.

बिना समय गंवाए ट्रांसप्लांट

बी एल कपूर मैक्स अस्पताल से मिली किडनी फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में भर्ती मरीज को लगाई गई. 
किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉ संजीव गुलाटी के मुताबिक इस मरीज का परिवार वालों के साथ ब्लड ग्रुप मैच नहीं हो पा रहा था. डोनर किडनी मिलते ही जल्दी से मरीज का मिलान इस किडनी के साथ किया गया. इस किडनी के साथ मरीज के पैरामीटर जैसे HLA और कई ब्लड टेस्ट मेल खा गए. सर्जरी से पहले जरुरी सारे मानक भी काबू में थे.. जैसे मरीज का ब्लड प्रेशर, पल्स, खून की मात्रा. ऐसे में बिना समय गंवाए ट्रांसप्लांट हो सका.

अंगदान को लेकर अब भी बहुत संशय

भारत में हर साल 5 लाख लोगों का कोई ना कोई ऑर्गन फेल हो जाता है और केवल 2 प्रतिशत लोगों का ही अंग प्रत्यारोपण हो पाता है. पिछले साल दिल्ली में 11 मृत लोगों में से 30 ऑर्गन कामयाबी से निकाले जा सके. लेकिन अभी भी अंगदान को लेकर लोगों में बहुत संशय रहता है, जिसकी वजह से कई मरीज ऑर्गन का इंतजार करने में ही जान गंवा देते हैं.

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