Nupur Sharma: भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान की दुनिया भर के कई देशों ने आलोचना की है. खुद को इस विवाद से अलग करने के बावजूद भाजपा को देश के भीतर भी जोरदार विरोध का सामना करना पड़ा है. वहीं, कई ऐसे भी लोग हैं जो नूपुर शर्मा का खुलकर समर्थन कर रहे हैं. नूपुर शर्मा का समर्थन करने वालों में अब एक दिग्गज नेता का नाम भी शामिल हो गया है. आइये आपको बताते हैं नूपुर शर्मा का किस नेता ने समर्थन किया है.
नूपुर शर्मा का समर्थन करने वाले नेता भारत के नहीं बल्कि दूसरे मुल्क के हैं. हम बात कर रहे हैं डच राजनेता और नीदरलैंड के विधानमंडल के सदस्य, गीर्ट वाइल्डर्स की. उन्होंने नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन में ट्वीट्स की एक श्रृंखला पोस्ट की है.
Appeasement never works. It’ll only make things worse.
So my dear friends from India, don’t be intimidated by islamic countries. Stand up for freedom and be proud and steadfast in defending your politician #NupurSharma @NupurSharmaBJP who spoke the truth about Muhammad.— Geert Wilders (@geertwilderspvv) June 6, 2022
इस पूरे मामले को लेकर गीर्ट ने अरब देशों की भी कड़ी आलोचना की है. एक ट्वीट में उन्होंने दावा किया कि नूपुर शर्मा ने सही जानकारी दी. भारत को उनके समर्थन में खड़ा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता. उन्हें यह भी लगता है कि भारतीयों को नूपुर शर्मा के साथ खड़े होने की जरूरत है.
नूपुर शर्मा के बयान पर असंतोष जताने वाले अरब देश के खिलाफ डच राजनेता ने आवाज उठाई है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि मुस्लिम देशों में लोकतंत्र नहीं है. वहां जिस तरह से अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता है, उनका अपमान किया जाता है, ऐसा कहीं और नहीं होता. ऐसा करने वालों की भी आलोचना की जानी चाहिए.
कई मुस्लिम देशों ने इस घटना की आलोचना की है. कुवैत के एक शॉपिंग मॉल में भारतीय प्रोडक्ट्स का बहिष्कार तक किया जा चुका है. असंतोष की यही तस्वीर कुछ अन्य देशों में भी देखने को मिली है. कुवैत (कुवैत), इराक, ईरान, सऊदी अरब, कतर, ओमान, अरब अमीरात (यूएई), जॉर्डन, लीबिया, बहरीन, मालदीव, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया ने नूपुर शर्मा की कड़ी आलोचना की है.
भारत सरकार से माफी मांगने के लिए भी कहा गया है. इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने टिप्पणियों की कड़ी आलोचना की और संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई का आह्वान किया. यह देखने का अनुरोध किया गया है कि भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाए. हालांकि, मोदी सरकार पहले ही कह चुकी है कि यह टिप्पणी भारत सरकार द्वारा समर्थित नहीं है. यह बयान भारत सरकार की सोच के विपरीत है.
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