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Weather Explain: सिर्फ दिल्ली ही नहीं... पूरी धरती तप रही, जानिए क्यों 'आग का गोला' बनती जा रही है दुनिया

Highest temperature in the world: पृथ्वी पर अब तक का सबसे अधिक तापमान 56.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. आज से 100 साल से भी अधिक पहले सन 1913 में अमेरिका के कैलिफोर्निया के रेगिस्तान में डेथ वैली नामक जगह पर यह तापमान दर्ज किया गया था.  

Weather Explain: सिर्फ दिल्ली ही नहीं... पूरी धरती तप रही, जानिए क्यों 'आग का गोला' बनती जा रही है दुनिया
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Sudeep Kumar|Updated: May 30, 2024, 06:06 PM IST

Heatwave IN India: दिल्ली-NCR समेत पूरा उत्तर भारत भीषण गर्मी की चपेट में है. पिछले दो दिनों में नई दिल्ली में दर्ज किया गया अधिकतम तापमान की किसी ने कल्पना नहीं की होगी. दिल्ली के मुंगेशपुर में बुधवार को अधिकतम तापमान 52.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. दिल्ली के इतिहास में यह अब तक का सबसे अधिक गर्म दिन था. हालांकि, भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि वह किसी भी संभावित त्रुटि के लिए क्षेत्र के मौसम केंद्र के सेंसर और डेटा की जांच कर रहा है.  

हालांकि, ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिल्ली ही भीषण गर्मी की चपेट में है. बल्कि दुनिया भर के कई स्थानों से रिकॉर्डतोड़ तापमान दर्ज की जाने की सूचना सामने आ रही है. पिछले साल जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित यूके स्थित प्रकाशन कार्बन ब्रीफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पृथ्वी के लगभग 40 प्रतिशत हिस्से ने साल 2013 से 2023 के बीच अपना उच्चतम तापमान दर्ज किया गया है. इसमें अंटार्कटिका के स्थान भी शामिल हैं.

ब्रिटेन ने जुलाई 2022 में पहली बार 40 डिग्री सेलिस्यस को पार किया था. चीन के उत्तर पश्चिम में स्थित एक छोटे शहर में पिछले साल 52 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था. यह चीन के लिए अब तक का सबसे अधिकतम तापमान है. 2021 में इटली के सिसिली में 48.8 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था. यह यूरोप में अब तक का सबसे अधिकतम तापमान है.

भीषण गर्मी की चपेट में दिल्ली

यदि मौसम विभाग दिल्ली में दर्ज किए गए 52.9 डिग्री सेल्सियस तापमान की पुष्टि करता है तो यह दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे भारत में अब तक का सबसे उच्चतम तापमान होगा. हालांकि, मौसम विभाग ने कहा है कि जिस वेदर स्टेशन पर 52.9 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया है, उसकी प्रमाणिकता की जांच की जा रही है. इस रीडिंग स्टेशन की इसलिए जांच की जा रही है क्योंकि इसके आस-पास मौजूद किसी भी वेदर स्टेशन में 52.9 डिग्री तापमान के करीब तापमान दर्ज नहीं किया गया. 

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब अधिकतम तापमान की प्रमाणिकता की जांच हो रही है. दुनिया भर के वेदर स्टेशन में जब इस तरह के अप्रत्याशित तापमान दर्ज किए जाते हैं तो उसकी दोबारा जांच की जाती है. ब्रिटेन में भी जब अधिकतम तापमान दर्ज किया गया था तो उसे अधिकारिक पुष्टि देने में कुछ दिनों का वक्त लगा था. इसके अलावा यूरोप के सिसिली तापमान रिकॉर्ड इस साल जनवरी में ही आधिकारिक किया गया. इसको आधिकारिक पुष्टि करने में लगभग तीन साल लग गए.

लेकिन रिकॉर्ड टूटे या ना टूटे लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि दिल्ली समेत अधिकांश उत्तर भारत भीषण गर्मी की लहरों की चपेट से गुजर रहा है. अधिकांश स्थानों पर अधिकतम तापमान सामान्य से 5 से 10 डिग्री सेल्सियस अधिक है. बुधवार को लगातार चौथा दिन था जब सफदरजंग स्टेशन पर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया. 

 

ग्लोबल वार्मिंग का कितना असर

वैज्ञानिकों ने वर्ष 2024 को अत्यधिक गर्म रहने का अनुमान लगाया था. पिछला वर्ष यानी साल 2023 वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म वर्ष था और इसका प्रभाव इस वर्ष भी जारी रहने की उम्मीद की जा रही थी. यह भी कह सकते हैं कि इसका असर अभी भी है.

यूरोपीय आयोग की एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के अनुसार, अप्रैल 2024 का तापमान लगातार 11वें महीने ऐसा था जब मासिक तापमान वैश्विक औसत मासिक तापमान से ज्यादा था. मई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच का वैश्विक औसत तापमान पिछले वर्ष के इसी अवधि की तुलना में अधिक था. पिछले वर्ष का वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के औसत तापमान से लगभग 1.61 डिग्री अधिक रहा.

भारत में हीटवेव का कितना खतरा?

भारत में तापमान वृद्धि पूरी दुनिया की तुलना में कम है. भारत में वार्षिक औसत तापमान 1900 के स्तर की तुलना में लगभग 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. यह दुनिया भर में औसत भूमि तापमान में 1.59 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से काफी कम है. यदि महासागरों को भी शामिल कर लिया जाए तो इस समय वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक औसत से कम से कम 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक है.

हालांकि, भारत में गर्मी की लहरें काफी अधिक गंभीर हैं. 2023 में फरवरी महीने में भी हीटवेव की स्थिति बनी थी. जबकि आमतौर पर यह सर्दियों का महीना होता है. दिल्ली और अधिकांश उत्तर भारत में उच्च तापमान असामान्य है. खास कर दिल्ली और उत्तर भारत के मौजूदा तापमान की तुलना अगर 1981-2010 की अवधि से करें तब तो और ज्यादा असामान्य है. अगर यही चलता रहा तो बहुत जल्द  45 डिग्री सेल्सियस तापमान सामान्य हो जाने की संभावना है. और यह भी संभव है कि आगे 50 डिग्री सेल्सियस की रीडिंग संदिग्ध भी नहीं लगेगी.

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