Nirmal Jit Singh Sekhon: 15 अगस्त को भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस अवसर पर देश के सबसे लोकप्रिय चैनल Zee News ने देश के लिए मर-मिटने वाले भारतीय सेना के जवानों की याद में 'शौर्य' नाम से एक खास सीरीज शुरू की है. इस सीरीज में आज हम याद करेंगे 1971 के उस वीर को जिसने अकेले ही पाकिस्तानी सैनिकों को नाकों चने चबवा दिए. 1971 के इस सैनानी को मरणोपरांत पदमवीर चक्र से भी नवाजा गया. शौर्य में आज बात फ्लाईंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की.
चरम पर था 1971 का भारत-पाक युद्ध
साल 1971 का भारत-पाक युद्ध अपने चरम पर था. भारतीय सेनाएं हर मोर्चे पर पाकिस्तानी लड़ाकों से लोहा ले रही थीं. तारीख थी 3 दिसंबर, 1971 की जब अहम रक्षा ठिकानों पर हमलों का खतरा बढ़ गया था. श्रीनगर एयरबेस पाकिस्तान से लगती सीमा की सुरक्षा के लिए बेहद अहम था. वहां हमले की पूरी आशंका थी जो सच भी साबित हुई. इधर-उधर मात खाने के बाद 14 दिसंबर को पाकिस्तानी वायुसेना ने धावा बोल दिया. लेकिन पाकिस्तानियों का इस बात का अंदाजा नहीं था कि भारतीय खेमे में एक ऐसा जावांज बैठा है उनके होश उड़ाने के लिए अकेला ही काफी है. खतरे की आशंकाओं के बीच ही एयरबेस पर एक सायरन बजा और फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों अपने लड़ाकू विमान में उड़ान भरने के लिए तैयार हो गए.
6 पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों से अकेले भिड़ गए थे सेखों
कहा जाता है कि उस दिन युद्ध के दौरान सेखों की बहादुरी, अपने एयरक्राफ्ट की बेहतरीन मैनूवरिंग और कभी हार ना मानने का जज्बा देखकर दुश्मन भी हैरान था. भारतीय वायुसेना को खबर मिली कि कई पाकिस्तानी लड़ाकू विमान भारतीय सीमा में घुस आए हैं और वे जम्मू एयरबेस को तबाह करने की फिराक में हैं. इन पाकिस्तानी विमानों से लोहा लेने के लिए लेफ्टिनेंट घुम्मन और फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने फोलां नैट एयरक्राफ्ट से उड़ान भरी. लेकिन, उड़ान भरते ही लेफ्टिनेंट घुम्मन ने विजुअल्स खो दिए. अब कमान सेखों के हाथ में थी. जब तक सेखों हवा में पहुंचे ही थे, उन्हें चार पाकिस्तानी लड़ाकू विमान घेर चुके थे. जो लगातार उनपर बम बरसा रहे थे.
आखिरी पलों में बदल दी जंग की तस्वीर
इसी बीच सेखों ने अपनी रफ्तार से पाकिस्तानी विमानों को चौंका दिया. उन्होंने कुछ ही पलों में एक पाकिस्तानी विमान को निशाना बनाकर उड़ा दिया. सेखों अपनी रफ्तार से पाकिस्तानी विमानों को उलझा रहे थे. सेखों ने अकेले ही दुश्मन के छह-छह लड़ाकू विमानों का सामना किया और उन्हें भगाया. अगर उस दिन सेखों नहीं होते तो शायद जंग की आखिरी तस्वीर कुछ और ही होती.
अकेले ही नाकाम कर दिए पाकिस्तान के मंसूबे
हवा में युद्ध के दौरान जब सेखों का जेट एक बार हिट हुआ तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल संभाल रहे स्क्वाड्रन लीडर वीरेंद्र सिंह पठानिया ने उन्हें बेस पर लौटने की सलाह दी. लेकिन सेखों ने दुश्मन को खदेड़ना जारी रखा. उनका जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गया. पाकिस्तानी विमान यह देखकर लौट गए. सेखों ने आखिरी वक्त में एयरक्राफ्ट से निकलने की कोशिश की जो सफल नहीं हुआ, उनकी कैनोपी उड़ती हुई देखी गई. विमान का मलबा एक खाई में मिला मगर सेखों के पार्थिव शरीर का कुछ पता नहीं चला.
दुश्मन पायलट भी हो गया था मुरीद
फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने उस दिन आसमान में जो जादूगरी दिखाई, उससे पाकिस्तानी एयरफोर्स भी हैरान थी. विंग कमांडर सलीम बेग मिर्जा ने जंग के अपने अनुभवों में सेखों की बहादुरी को सलाम किया है. मिर्जा ने एक लेख में उस जंग का पूरा ब्योरा सामने रखा है. मिर्जा यह भी लिखते हैं कि 'पायलट ने बेस को खबर की थी कि उसका विमान हिट हुआ है. बेस ने कहा कि लौट आओ मगर इसके बाद पायलट ने और कुछ नहीं कहा.'
सेखों भारतीय वायुसेना के इकलौते ऐसे जवान हैं जिन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. युद्धकाल में वीरता का यह सर्वोच्च सम्मान उन्हें मरणोपरांत दिया गया.
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