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Mumbai: होर्डिंग दुर्घटना के 40 घंटे बाद भी शवों के निकलने का सिलसिला जारी, कब तय होगी हर गुनहगार की जिम्मेदारी?

Mumbai News: अधिकारियों के मुताबिक बचाव दल ने गिर गए होर्डिंग के नीचे से 89 लोगों को निकाला था जिनमें से 14 को मृत घोषित कर दिया गया था जबकि 75 अन्य लोग घायल हो गए थे.

Mumbai: होर्डिंग दुर्घटना के 40 घंटे बाद भी शवों के निकलने का सिलसिला जारी, कब तय होगी हर गुनहगार की जिम्मेदारी?
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Shwetank Ratnamber|Updated: May 15, 2024, 12:17 PM IST

Mumbai Hording rescue news: मुंबई में एक विशाल होर्डिंग गिरने वाली जगह पर मलबे के नीचे दो और लोगों के शव दिखाई दिए हैं. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि घटना के 40 घंटे बाद भी खोज एवं बचाव अभियान जारी है. उन्होंने कहा कि शवों को कल रात देखा गया था लेकिन अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है. छेड़ा नगर इलाके में शासकीय रेलवे पुलिस (GRP) की जमीन पर स्थित पेट्रोल पंप के पास लगा होर्डिंग सोमवार को धूल भरी आंधी और बेमौसम बारिश के कारण गिर गया था जिससे यह हादसा हुआ.

रेस्क्यू ऑपरेशन क्यों नहीं पूरा?

अधिकारियों के मुताबिक बचाव दल ने गिर गए होर्डिंग के नीचे से 89 लोगों को निकाला था जिनमें से 14 को मृत घोषित कर दिया गया था जबकि 75 अन्य लोग घायल हो गए थे. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के सहायक कमांडेंट निखिल मुधोलकर ने कहा था कि हमने गिरे हुए होर्डिंग के नीचे दो शवों को दबे हुए देखा हैं लेकिन जहां शव हैं वहां तक पहुंचने में हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. वहां से शवों को निकालने के लिए किसी भी व्यक्ति को रेंगकर जाना पड़ेगा. हमने पहले 'गर्डर' को रात में काटकर हटा दिया है तथा अब मशीनों की मदद से मलबा हटा रहे हैं.'

प्रशासन पर क्यों उठ रहे सवाल?

अधिकारियों का कहना है कि NDRF कर्मी अब दूसरे 'गर्डर' को काटेंगे. अधिकारी ने बताया कि दुर्घटना स्थल पर ऐसे पांच से अधिक 'गर्डर' हैं. अधिकारी ने कहा 'गर्डर' हटाने के बाद पता चलेगा कि कितने लोग अब भी वहां दबे हुए हैं. एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने कहा कि बुधवार सुबह खोज और बचाव अभियान के दौरान घाटकोपर में घटना स्थल पर मामूली तौर पर आग लग गई जिस पर वहां तैनात दमकल कर्मियों ने तुरंत काबू पा लिया.

पीड़ित परिजनों के अलावा आम लोगों की नाराजगी की वजह ये भी है कि हादसे के करीब 40 घंटे बाद तक रेस्क्यू ऑपरेशन क्यों पूरा नहीं हुआ है. यहां कोई उत्तराखंड की सिल्कियारा टनल जैसे हालात नहीं थे कि रेस्क्यू में इतना वक्त लग रहा है.

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